खत्म हो रहे हैं तिब्बत के ग्लेशियर
चीन में ग्लेशियर तेजी से खत्म होते जा रहे हैं, खासकर हिमालय के तिब्बत वाले इलाके में। चीन के अधिकारियों के मुताबिक 65 साल में ग्लेशियर करीब 7,600 वर्ग किलोमीटर पीछे खिसक गए हैं। चीन में करीब 46,000 ग्लेशियर हैं, जो दुनियाभर के ग्लेशियरों के करीब 14.5 प्रतिशत हैं। एक अधिकारी
बीजिंग। चीन में ग्लेशियर तेजी से खत्म होते जा रहे हैं, खासकर हिमालय के तिब्बत वाले इलाके में। चीन के अधिकारियों के मुताबिक 65 साल में ग्लेशियर करीब 7,600 वर्ग किलोमीटर पीछे खिसक गए हैं। चीन में करीब 46,000 ग्लेशियर हैं, जो दुनियाभर के ग्लेशियरों के करीब 14.5 प्रतिशत हैं।
एक अधिकारी ने बताया कि 1950 से हर साल ग्लेशियरों की करीब 247 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र की बर्फ पिघलती जा रही है। उनके अनुसार प्रदूषण के कारण माउंट एवरेस्ट के बेस कैंप के पास बर्फ की मोटी परत गायब हो चुकी है और वहां केवल पत्थर की चट्टानें नजर आ रही हैं। अधिकारी ने बताया कि इससे माउंट कोमोलंगमा पर जाने वाले पर्वतारोही भी स्तब्ध हैं। माउंट एवरेस्ट का तिब्बती नाम माउंट कोमोलंगमा है।
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तिब्बत के पर्वतारोही प्रशासन केंद्र के निदेशक झांग मिंगशिंग ने बताया, कोमोलंगमा का आधार शिविर सागर तल से 5200 मीटर ऊपर है। किसी समय वहां बर्फ की मोटी परत हुआ करती थी, लेकिन अब वहां केवल पत्थर नजर आ रहे हैं। तिब्बत पठार शोध संस्थान के कांग शीचांग ने बताया कि 1974 के बाद से ग्लेशियर करीब 10 फीसद सिकुड़ गए हैं।
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इसका तथ्य नीचे ग्लेशियर से बनने वाली झीलों में दिखता हैं जो 13 गुना बड़ी हो गई हैं। चीन के ग्लेशियरों का सर्वे करने वाली टीम के प्रमुख लियू शीयिन ने बताया कि पिघलते ग्लेशियरों से निकलने वाला पानी झीलों को भरेगा और नई झीलें बनाएगा जो कभी भी तबाही ला सकती हैं। अकेले तिब्बत में 1930 से 1990 के दशकों के बीच 15 बार झीलों के टूटने से बाढ़ और और मिट्टी तबाही लेकर आई है।
[साभार: नई दुनिया]