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खाद्य तेलों के लिए नए मानक बनाने जा रहा एफएसएसएआइ

खाद्य तेलों में एसिड, पराक्साइड के मानक निर्धारण की चुनौती, प्रयोग हो चुके तेल और फ्रेश तेल के लिए अलग-अलग मानक

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Wed, 11 Apr 2018 11:13 AM (IST)Updated: Wed, 11 Apr 2018 11:13 AM (IST)
खाद्य तेलों के लिए नए मानक बनाने जा रहा एफएसएसएआइ

नई दिल्ली (अतुल पटैरिया)। खाद्य तेलों की गुणवत्ता का निर्धारण करने के लिए भारतीय खाद्य मानकों को नए सिरे से कसने की कवायद शुरू हो चुकी है। भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (फूड सेफ्टी एंड स्टैंडड्र्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया, एफएसएसएआइ) ने सभी साझीदारों से 15 अप्रैल तक सुझाव देने को कहा है ताकि मानकों में जरूरी संशोधन व सुधार किया जा सके।

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आयल और फैट्स संबंधी मानकों को लेकर खाद्य निर्माताओं द्वारा सवाल खड़े किये जाने के बाद स्वास्थ्य मंत्रालय के अधीन काम करने वाला देश का सर्वोच्च खाद्य नियामक एफएसएसएआइ अब इसे लेकर गंभीर है।

निशाने पर एसिड और पराक्साइड

चिप्स से लेकर केक-कुकीज तक और फ्रेंच फ्राइज से लेकर फ्राइड राइस तक, पैकेज्ड फूड आइटम हों या रेस्तरां में परोसे जाने वाले व्यंजन, उपभोक्ता को यह नहीं पता होता है कि खाने को बनाने में इस्तेमाल किए गए तेल में फैटी एसिड और पराक्साइड की मात्रा क्या है। अधिक देर तक पकाने या बार-बार इस्तेमाल होने पर खाद्य तेल, खास तौर पर पाम आयल में यह मात्रा घातक स्तर पर पहुंच जाती है, लेकिन भारत में ऐसा कोई सिस्टम विकसित नहीं हो सका है, जो उपभोक्ता को आगाह कर सके।

पाम आयल की एसिड वैल्यू को लेकर उलझन

भारत में खाद्य बनाने में सर्वाधिक (80 फीसद) इस्तेमाल हो रहे पाम तेल की मानक एसिड वैल्यू का निर्धारण सबसे चुनौतीपूर्ण है। फ्रेश पाम आयल में एसिड वैल्यू का मानक 0.5 एनटीएम है, जबकि उपयोग किए जा रहे तेल और निर्मित खाद्यों में इसकी मात्रा कई गुना अधिक 10.5 तक पाई जाती है। वहीं पराक्साइड की मानक वैल्यू 10 है। मानक से अधिक मात्रा पाए जाने पर खाद्य निर्माता के विरुद्ध मामला कायम कर लिया जाता है।

देशभर में हर जिले में ऐसे सैकड़ों मामले आए दिन स्थानीय अदालतों में पहुंचते हैं। खाद्य निर्माताओं का कहना है कि उपयोग में आने के बाद तेल की एसिड वैल्यू का बढ़ना स्वाभाविक है, जबकि भारत में जो मानक है, वह फ्रेश तेल के मापदंड पर आधारित है।

मैक डोनाल्ड्स ने उठाया था सवाल

अंतरराष्ट्रीय फूड चेन मैक डोनाल्ड्स ने सूचना के अधिकार (राइट टू इनफॉरमेशन, आरटीआइ) के तहत जानकारी मांग कर बड़ा रहस्योद्घाटन किया। बताया गया कि खाद्य पदार्थों को बनाने की प्रक्रिया के दौरान व तैयार खाद्य पदार्थों में पाम आयल व अन्य खाद्य तेलों में मौजूद एसिड वैल्यू को मापने व आंकने का भारत में कोई तरीका मौजूद नहीं है। इससे मौजूदा मानकों पर भी सवाल खड़े हो गए।

जल्द लागू किए जाएंगे नए मानक भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण की प्रवक्ता रुचिका शर्मा ने दैनिक जागरण को बताया कि खाद्य मानकों को नए सिरे से परिभाषित किया जाना है। इसके लिए ड्राफ्ट नोटिफिकेशन (आयल एंड फैट्स कैटेगरी) जारी किया जा चुका है। वनस्पति मैन्युफैक्चर्स ऑफ इंडिया सहित अन्य संस्थाओं और विशेषज्ञों से बात की गई है, उनसे सुझाव मांगे गए हैं। सुझावों के आधार पर इसे अंतिम रूप दिया जाएगा।

उम्मीद है कि अगले एक-डेढ़ महीने के अंदर यह प्रक्रिया पूरी हो जाएगी जिसके बाद नए मानक लागू हो सकेंगे। इससे खाद्य और तेल उद्योग को स्पष्ट मानक मिल सकेंगे साथ ही आम उपभोक्ता को भी यह जानकारी मुहैया हो सकेगी कि वह क्या खरीद रहा है।  


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