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डासना से लखनऊ तक एक्सप्रेसवे में बदलेगा एनएच-24

पत्रकारों को संबोधित करते हुए गडकरी ने कहा कि कें]द्र ने देश में 11 एक्सप्रेसवे के निर्माण का निर्णय लिया गया है।

By Mohit TanwarEdited By: Published: Fri, 28 Apr 2017 09:39 PM (IST)Updated: Fri, 28 Apr 2017 09:39 PM (IST)
डासना से लखनऊ तक एक्सप्रेसवे में बदलेगा एनएच-24
डासना से लखनऊ तक एक्सप्रेसवे में बदलेगा एनएच-24

संजय सिंह, पलवल। सरकार एनएच-24 के डासना से लखनऊ तक के हिस्से को एक्सप्रेसवे में परिवर्तित करेगी। दिल्ली से डासना तक एक्सप्रेसवे का निर्माण पहले ही शुरू हो चुका है। जबकि लखनऊ से कानपुर के बीच एक्सप्रेसवे बनाने के लिए डीपीआर तैयार की जा रही है। ऐसे में आने वाले वक्त में दिल्ली से मुरादाबाद, बरेली होते हुए कानपुर तक एक्सप्रेसवे के जरिए पहुंचना संभव होगा। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने इस बात का एलान किया।

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ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेसवे का हेलीकाप्टर से निरीक्षण करने के उपरांत पत्रकारों को संबोधित करते हुए गडकरी ने कहा कि केंद्र ने देश में 11 एक्सप्रेसवे के निर्माण का निर्णय लिया गया है। इनमें ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेसवे के अलावा दिल्ली-मेरठ, कानपुर-लखनऊ, दिल्ली-जयपुर, दिल्ली-कटरा एक्सप्रेसवे शामिल हैं।

ईस्टन पेरीफेरल एक्सप्रेसवे की प्रगति पर प्रसन्नता प्रकट करते हुए गडकरी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 5 नवंबर, 2015 को इसका शिलान्यास किया गया था और 400 दिन में काम पूरा करने का लक्ष्य दिया था। लेकिन किसानों के आंदोलन के चलते बीच-बीच में कुल 48 दिन काम बंद रहा।

नया एक्ट आने के कारण अधिग्रहीत भूमि पर कब्जे को लेकर समस्या खड़ी हुई। एनएचएआइ को नुकसान हुआ, लेकिन खुशी है कि किसानों को 4,100 करोड़ रुपये का अतिरिक्त भुगतान बढ़ाकर अब तक 7,700 करोड़ का मुआवजा दिया गया है। सीमेंट, पत्थर, मिट्टी की उपलब्धता की समस्या भी आई। जिसका हल राज्य सरकारों के साथ बात करके निकाला गया। अब तक 60 फीसद काम हुआ है। यह इतना मजबूत है कि दो सौ साल चलेगा। सतह भी काफी समतल है। इसे अगस्त तक पूरा करने का लक्ष्य है। ताकि प्रधानमंत्री की इच्छा के अनुरूप 15 अगस्त को उद्घाटन हो सके।

क्या है ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेस वे

135 किमी लंबाई वाला यह एक्सप्रेसवे पलवल (एनएच-2) से शुरू होकर फरीदाबाद, गौतमबुद्धनगर, गाजियाबाद, बागपत होते हुए कुंडली (एनएच-1) पर मिलेगा। इस पर 4418 करोड़ की लागत आएगी। इसमें हाइवे ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम, इलेक्ट्रानिक साइनेज, वीडियो इंसीडेंट डिटेक्शन सिस्टम, वार्निग डिवाइसेस, ओवर स्पीड चेकिंग सिस्टम, वे-इन मोशन, फाइबर आप्टिक नेटवर्क सहित आधुनिकतम तकनीकों का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसके बनने से उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर को जाने वाले छोटे-बड़े वाहनों को दिल्ली नहीं गुजरना पड़ेगा। इससे दिल्ली का 50 फीसद ट्रैफिक जाम खत्म हो जाएगा तथा प्रदूषण में भी कमी आएगी। बाकी 50 फीसद जाम से निजात वेस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेसवे दिलाएगा, जो पलवल से मानेसर होते हुए कुंडली में मिलेगा।

ईस्टन ईवे में ब्रिज, इंटरचेंज, फ्लाईओवर जैसे जिन 389 स्ट्रक्चर पर कार्य चालू हैं, उनमें 222 पूरे हो गए हैं। इसमें यमुना, हिंडन नदी और आगरा कैनाल पर बड़े पुलों के अलावा 45 छोटे पुल, आठ रेल ओवर ब्रिज, चार फ्लाईओवर, 77 अंडरपास, 152 पेड्रेस्टि्रयन अंडरपास, 116 पुलियों का निर्माण होगा।

ऐसे हो रहा काम

कुल 260 लाख घन मीटर मिट्टी का इस्तेमाल होगा, जिसमें प्रतिदिन 12 हजार ट्रक या एक लाख घन मीटर मिट्टी डाली जा रही है। प्रतिदिन एक लाख बोरी सीमेंट की खपत हो रही है. इसके अलावा 11 लाख टन सीमेंट, 50 लाख टन गिट्टी, 20 लाख टन रेत, 1 लाख टन स्टील, 100 लाख घन मीटर फ्लाई एश का उपयोग किया जाएगा।

मानव संसाधन व मशीने

इसमें 2,100 इंजीनियर तथा 5,200 सहयोगी कर्मचारी काम कर रहे हैं जिनसे कुल 40 लाख मानव दिवस का रोजगार निर्मित होगा। मशीनों में 2,300 से अधिक डंफर, जेसीबी, एक्सकेवेटर, वाटर टैंकर, ग्रेडर्स, डोजर्स काम पर लगे हैं। कंक्रीट सड़क निर्माण में लगने वाले 16 मीटर के 6 पेवर लगातार काम कर रहे हैं। पूरे देश में ऐसे केवल 8 पेवर उपलब्ध हैं।

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