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LIFE Mission Case: केरल CMO के पूर्व प्रधान सचिव एम शिवशंकर की बिगड़ी तबीयत, अस्पताल में हुए भर्ती

केरल के मुख्यमंत्री के पूर्व प्रधान सचिव एम शिवशंकर को बेचैनी की शिकायत के बाद शनिवार रात कोच्चि के सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया गया। सूत्रों के हवाले से ये जानकारी सामने आई है। एम शिवशंकर को अस्पताल के जेल सेल में भर्ती कराया गया था।

By Jagran NewsEdited By: Versha SinghPublished: Sun, 12 Mar 2023 09:49 AM (IST)Updated: Sun, 12 Mar 2023 09:54 AM (IST)
केरल CMO के पूर्व प्रधान सचिव एम शिवशंकर की बिगड़ी तबीयत

कोच्चि, एजेंसी। केरल के मुख्यमंत्री के पूर्व प्रधान सचिव एम शिवशंकर को बेचैनी की शिकायत के बाद शनिवार रात कोच्चि के सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया गया। सूत्रों के हवाले से ये जानकारी सामने आई है।

अधिकारियों ने कहा कि दाहिने पैर में घुटने में गंभीर दर्द के बाद उन्हें एर्नाकुलम मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया है और उनका इलाज चल रहा है।

इससे पहले बुधवार को स्पेशल प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) कोर्ट ने मामले में एम शिवशंकर की न्यायिक हिरासत 21 मार्च तक बढ़ा दी थी। उन्हें प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों ने 14 फरवरी को गिरफ्तार किया था।

सीबीआई ने 2020 में कोच्चि की एक अदालत में भारतीय दंड संहिता की धारा 120 बी और एफसीआरए की धारा 35 के तहत तत्कालीन कांग्रेस विधायक अनिल अक्कारा की शिकायत पर एक प्राथमिकी दर्ज की थी, जिसमें यूनिटैक बिल्डर के प्रबंध निदेशक संतोष एप्पन को पहले आरोपी के रूप में और दूसरे आरोपी के रूप में साने वेंचर्स को सूचीबद्ध किया गया था।

दोनों कंपनियों ने एक अंतरराष्ट्रीय मानवीय आंदोलन रेड क्रीसेंट द्वारा उनके साथ किए गए समझौते के आधार पर निर्माण किया था, जो लाइफ मिशन परियोजना के लिए 20 करोड़ रुपए प्रदान करने पर सहमत हुए थे।

कांग्रेस आरोप लगाती रही है कि रेड क्रिसेंट द्वारा ठेकेदार के चयन में भ्रष्टाचार किया गया।

हालाँकि, लाइफ मिशन के सीईओ ने अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया था कि यूनिटैक और साने वेंचर्स ने रेड क्रिसेंट द्वारा उनके साथ किए गए समझौते के आधार पर निर्माण किया था और रेड क्रिसेंट से सीधे विदेशी योगदान स्वीकार किया था, जो एक विदेशी एजेंसी है।

सीईओ ने यह भी तर्क दिया है कि जिन कंपनियों ने रेड क्रीसेंट के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं, वे एफसीआरए की धारा 3 के अनुसार किसी भी विदेशी योगदान को प्राप्त करने से प्रतिबंधित व्यक्तियों की श्रेणी में नहीं आती हैं।


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