नागपुर, पीटीआई। भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीश शरद बोबडे ने शुक्रवार को कहा कि संस्कृत को आधिकारिक भाषा क्यों नहीं बनाया जा सकता है? उन्होंने संस्कृत का उपयोग कोर्ट में करने समेत इसे देश की आधिकारिक भाषा बनाने की वकालत करते हुए कहा कि 1949 में अखबारों में प्रकाशित खबरों के अनुसार संविधान निर्माता डा बी आर आंबेडकर ने भी इसका प्रस्ताव रखा था।

उन्होंने कहा कि कानून के अनुसार, कोर्ट में आधिकारिक भाषाओं के रूप में हिंदी और अंग्रेजी का उपयोग किया जाता है, जबकि प्रत्येक प्रधान न्यायाधीश को ज्ञापन मिलते हैं, जिनमें संबंधित क्षेत्रीय भाषाओं को मंजूरी देने की मांग की जाती है, जिनका इस्तेमाल अब जिला स्तरीय न्यायपालिका और कुछ हाई कोर्ट में किया जाता है।

संस्कृत को आधिकारिक भाषा बनाने की वकालत

संस्कृत भारती द्वारा आयोजित अखिल भारतीय छात्र सम्मेलन को संबोधित करते हुए बोबडे ने कहा कि हाई कोर्ट के स्तर पर आधिकारिक भाषा अंग्रेजी है, हालांकि, अनेक हाई कोर्ट को क्षेत्रीय भाषाओं में आवेदनों, याचिकाओं और यहां तक कि दस्तावेजों को स्वीकार करना होता है। बोबडे ने कहा कि मुझे नहीं लगता कि यह मुद्दा अनसुलझा रहना चाहिए. यह 1949 से लटका हुआ है।

उन्होंने कहा कि 11 सितंबर, 1949 के अखबारों में खबर थी कि डा आंबेडकर ने संस्कृत को भारत संघ की आधिकारिक भाषा बनाने की पहल की थी। संस्कृत की शब्दावली हमारी अनेक भाषाओं में समान है। मैं स्वयं से यह प्रश्न पूछता हूं कि संस्कृत को आधिकारिक भाषा क्यों नहीं बनाया जा सकता, जैसा कि डा आंबेडकर ने प्रस्ताव रखा था।

संस्कृत को आधिकारिक भाषा बनाने का किसी धर्म से कोई लेना-देना नहीं

पूर्व प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि संस्कृत को आधिकारिक भाषा बनाने का किसी धर्म से कोई लेना-देना नहीं है, क्योंकि 95 प्रतिशत भाषा का किसी धर्म से नहीं बल्कि दर्शन, कानून, विज्ञान, साहित्य, शिल्पकला, खगोलशास्त्र आदि से लेना-देना है। उन्होंने कहा कि यह (संस्कृत) भाषा दक्षिण या उत्तर भारत की नहीं है और धर्मनिरपेक्ष उपयोग के लिए यह पूरी तरह सक्षम है। नासा के एक वैज्ञानिक ने कम्प्यूटरों के लिए इसे उपयुक्त पाया, जिन्होंने 'संस्कृत में ज्ञान का वर्णन और कृत्रिम बुद्धिमत्ता विषय पर शोधपत्र लिखा था। उन्होंने यह भी कहा कि यथासंभव कम से कम शब्दों में संदेश संप्रेषण के लिए इसका उपयोग किया जा सकता है।

हिंदी क्षेत्रीय भाषाओं के खिलाफ नहीं: केंद्रीय मंत्री

गृह मंत्रालय के तहत राजभाषा विभाग द्वारा तिरुवनंतपुरम में आयोजित क्षेत्रीय राजभाषा सम्मेलन में केंद्रीय मंत्री अजय कुमार मिश्रा ने शुक्रवार को कहा कि हिंदी क्षेत्रीय भाषाओं का मुकाबला या विरोध नहीं कर रही है। उन्होंने कहा कि हिंदी एक ऐसी भाषा है जो भारत के लोगों द्वारा आसानी से समझी जाती है और कुछ लोग केवल राजनीतिक कारणों से इसका विरोध करते हैं। मिश्रा ने कहा कि वास्तव में हिंदी भारत की अपनी भाषा है और अन्य क्षेत्रीय भारतीय भाषाओं की बहन है।

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Edited By: Devshanker Chovdhary