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2019 में 93 करोड़ 10 लाख टन खाना हुआ बर्बाद, इस देश में सालाना प्रति व्यक्ति 82 किलो खाने की बर्बादी

एक तरफ देश-दुनिया में भोजन की बर्बादी हो रही है वहीं दूसरी ओर ऐसे लोग भी हैं जिन्हें दो वक्त का खाना तक नसीब नहीं होता। एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनियाभर में 2019 में 93 करोड़ 10 लाख टन खाना बर्बाद हो गया।

By Manish PandeyEdited By: Published: Mon, 08 Mar 2021 11:27 AM (IST)Updated: Mon, 08 Mar 2021 12:19 PM (IST)
खाना बर्बाद करने के मामले में 61 फीसद योगदान घरों का है।

नई दिल्ली, नरपत दान चारण। संयुक्त राष्ट्र की ओर से जारी ताजा रिपोर्ट यूएन फूड वेस्ट इंडेक्स-2021 के मुताबिक दुनियाभर में 2019 में अनुमानत: 93 करोड़ 10 लाख टन खाना बर्बाद हो गया, जो कुल उपलब्ध खाने का 17 प्रतिशत है। इसमें बताया गया है कि सबसे ज्यादा 61 फीसद खाना बर्बाद घरों में होता है। उसके बाद होटल समेत खाना खिलाने वाली अन्य जगहों पर 26 फीसद और फिर खुदरा दुकानों में 13 फीसद खाना बर्बाद होता है। सालाना प्रति व्यक्ति 82 किलो खाने की बर्बादी के साथ अफगानिस्तान इस सूची में शीर्ष पर है। वहीं भारत में सालाना प्रति व्यक्ति 50 किलो खाने की बर्बादी हो रही है। करीब-करीब सभी आय वर्ग के देशों में यह समस्या है।

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विडंबना ही है कि एक तरफ हम अपने घरों, होटलों या किसी शादी समारोहों में बचा हुआ खाना फेंक देते हैं, वहीं दूसरी ओर ऐसे लोग भी हैं जिन्हें दो वक्त का खाना तक नसीब नहीं होता है और वे भुखमरी का शिकार होते हैं। हमारी भारतीय संस्कृति में अन्न को देवता का स्वरूप माना जाता है। इसलिए हमारे यहां पुराने समय में अन्न की बर्बादी को पाप माना जाता था, लेकिन आज के दौर में ये बातें सिर्फ कहने को रह गई हैं। इसीलिए खाने के बाद जूठन छोड़ना और फिर उसे फेंक देना आम बात हो गई है। कृषि मंत्रलय की एक रिपोर्ट के मुताबिक भी जितना अनाज हम एक साल में बर्बाद करते हैं, ब्रिटेन तो उतना पैदा भी नहीं कर पाता। हालांकि भारत खाद्यान्न उत्पादन के मामले में आत्मनिर्भर राष्ट्र है, लेकिन फिर भी हमारे देश में भुखमरी के शिकार लोगों की तादाद चीन से भी अधिक है। इसमें सर्वाधिक संख्या बच्चों की है। देश में भोजन के अपव्यय से बर्बाद होने वाली राशि को बचाकर करीब पांच करोड़ बच्चों के जीवन को बचाया जा सकता है।

अन्न को बचाना और उसका सदुपयोग करना कोई कठिन कार्य नहीं है। हर कोई इसे आसानी से बचा सकता है। इसके लिए किसी कठोर कानून की भी जरूरत नहीं है। मानसिकता में परिवर्तन करके अन्न सहेजने का काम हर कोई आसानी से कर सकता है। इसके लिए इच्छाशक्ति और सही नियत होनी चाहिए। लोगों को यह ध्यान रखना होगा कि वे जब भी किसी पार्टी या शादी समारोह में जाएं तो उतना ही खाना लें जितना कि खा सकें। इसके अलावा पार्टी आयोजकों को भी खाने की बर्बादी को रोकने के लिए नोटिस बोर्ड लगा देना चाहिए। इसके साथ हमें अपने संस्कार, संस्कृति और परंपराओं का चिंतन करना चाहिए और अपनी आदतों में सुधार करना होगा। जब भी थाली में जरूर से ज्यादा खाना बच जाए तो किसी भूखे का स्मरण कर लेना चाहिए। तब हमें खाने का महत्व समझ आएगा। इस तरह खाना सहेजने के लिए हम एक प्रयास कर सकते हैं। अन्न बचाना ही जीवन बचाना है। (लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं)

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