अकेली रह गई 'तुम्हारी अमृता'
जुल्फी तुम न बदले। उन सिलसिलेवार खतों को एक बार फिर पलटकर देख लें या आज हजारों नम आंखों में झांककर देख लो। मुहब्बत के उस अफसाने में जुल्फी अपने ख्वाब पूरे करते-करते अमृता से दूर होते चले गए और एक बार फिर वही दर्द..। ताज के साए में मुहब्बत की कहानी कद्रदानों को सुनाने की हसरत क्या पूरी हुई, हमेशा क
आगरा। जुल्फी तुम न बदले। उन सिलसिलेवार खतों को एक बार फिर पलटकर देख लें या आज हजारों नम आंखों में झांककर देख लो। मुहब्बत के उस अफसाने में जुल्फी अपने ख्वाब पूरे करते-करते अमृता से दूर होते चले गए और एक बार फिर वही दर्द..। ताज के साए में मुहब्बत की कहानी कद्रदानों को सुनाने की हसरत क्या पूरी हुई, हमेशा के लिए अलविदा कह गए फारुख शेख और अकेली सिसकती रह गई 'तुम्हारी अमृता'।
कलाकार जितने ही बेहतरीन इंसान थे फारुख शेख
फिल्म अभिनेता फारुख शेख का निधन
फारुख शेख: स्टेज से सिल्वर स्क्रीन तक का सफर
दो दशक में कई बार मिले-बिछुड़े जुल्फी (फारुख शेख) और अमृता (शबाना आजमी) आखिरी बार ताजनगरी में ताज के साए में मिले। फिल्म निर्देशक फिरोज अब्बास खान द्वारा निर्देशित नाटक 'तुम्हारी अमृता' का मंचन ताज लिटरेचर फेस्टिवल (टीएलएफ) के अंतिम दिन 14 दिसंबर को ताज नेचर वॉक में हुआ था। वो कई खतों में सिमटी 35 साल की प्रेम कहानी का मर्मातक दृश्य था, जिसने दर्शकों की आंखें नम कीं। मगर, अगले ही पल दाद उन दो उम्दा फनकारों के फन पर। बेशक, इस प्रस्तुति से ताजनगरी के कलाप्रेमियों की खुशी का पारावार न था। ..और इस कहानी के पात्र जुल्फी यानी बॉलीवुड के जाने-माने सितारे फारुख शेख का दिल कितना गदगद था, ये उनके करीबी ही समझ सकते थे।
यूं तो खुद फारुख साहब ने नाटक के मंचन के बाद इकबाल किया था कि उन्हें ताज पर 'तुम्हारी अमृता' के मंचन का बीस साल से इंतजार था। लेकिन उनकी बेकरारी कितनी थी, ये टीएलएफ के चेयरमैन हरविजय बाहिया बयां करते हैं। फारूख ने नाटक के निर्देशक फिरोज अब्बास खान के मार्फत यह बात बाहिया तक पहुंचाई थी कि वह 'तुम्हारी अमृता' का मंचन ताज के साए में करना चाहते हैं। यह उनकी हसरत थी।
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