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Reality of Farmer Protest: राजनीति उपयोग कर रही तुम्हारे कंधे..समझाया तो घर लौट गए आंदोलनरत पंजाबी युवा

किसान आंदोलन में राजनीतिक दलों और खालिस्तानियों के घुसने से पंजाब के वास्तविक किसानों और सिख समुदाय की हो रही बदनामी ने मध्य प्रदेश के समझदार सिखों को व्यथित कर दिया है। इसलिए कुछ विवेकशील व प्रतिष्ठित सिखों ने युवाओं को समझाने का बीड़ा उठाया है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Thu, 10 Dec 2020 09:31 PM (IST)Updated: Thu, 10 Dec 2020 09:31 PM (IST)
किसान आंदोलन में राजनीतिज्ञों का मोहरा बन रहे रिश्तेदार युवा

 ईश्वर शर्मा, इंदौर। पंजाब के जालंधर निवासी सचदीप अरोरा दिल्ली की सिंधु बॉर्डर पर किसान आंदोलन में 'मोदी हाय-हाय' के नारे लगा रहे थे। तभी उनका फोन बजा तो वे नारे छोड़ भीड़ से दूर गए और कॉल उठाया। फोन पर मध्य प्रदेश के उज्जैन में रह रहीं उनकी बुआ अमरजीत अरोरा थीं। बुआ ने बहुत प्रेम और मार्मिक अंदाज में समझाया कि 'बेटा, आंदोलन में राजनीतिक लोग तुम जैसे युवाओं का कंधा उपयोग कर रहे हैं, जबकि नए कृषि कानून तो किसानों के हक में हैं।' करीब 10 मिनट की बातचीत में सचदीप ने अपने तर्क दिए और बुआ ने अपने ढंग से हर सवाल का जवाब दिया। अंतत: सचदीप को समझ आ गया कि वह विपक्षी दलों का मोहरा बन गया है। उसने नारेबाजी छोड़ी, कपड़े का झोला उठाया और आंदोलन छोड़ दिल्ली से अपने शहर जालंधर लौट गया।

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किसान आंदोलन में राजनीतिज्ञों, खालिस्तानियों के घुसने से हो रही सिख समाज की बदनामी

दरअसल, किसान आंदोलन में राजनीतिक दलों और खालिस्तानियों के घुसने से पंजाब के वास्तविक किसानों और सिख समुदाय की हो रही बदनामी ने मध्य प्रदेश के समझदार सिखों को व्यथित कर दिया है। इसलिए कुछ विवेकशील व प्रतिष्ठित सिखों ने किसान आंदोलन में राजनीतिज्ञों का मोहरा बन रहे अपने रिश्तेदार युवाओं को समझाने का बीड़ा उठाया है। ये फोन लगाकर युवाओं को तर्क व तथ्यों के साथ समझा रहे हैं और युवा भी इनकी बात सुनकर आंदोलन छोड़ घर लौट रहे हैं। अब तक जालंधर, पटियाला, अमृतसर और तरणतारण के रहने वाले ऐसे करीब 20 युवा दिल्ली से अपने घर जा चुके हैं।

यूं समझा रहे समाजजन

केस 1

गुरुनानक देव पर दो चर्चित किताबें लिख चुके उज्जैन निवासी वरिष्ठ लेखक डॉ. पिलकेंद्र अरोरा ने अपने परिचित तरणतारण निवासी पलविंदर को समझाया कि आंदोलन अब राजनीतिज्ञों के हाथ की कठपुतली बन गया है। वहां लग रहे 'इंदिरा को ठोका था' और 'मोदी क्या चीज है' जैसे नारों से देश में सिख समाज की बदनामी हो रही है। नतीजतन, पलविंदर को सच का अहसास हुआ और वे दिल्ली छोड़ अपने घर तरणतारण चले गए।

केस 2

इंदौर निवासी दलजीत सिंह ने आंदोलन में शामिल अमृतसर निवासी अपने मित्र के बेटे बंटी भसीन को समझाया कि आंदोलन शुरू में सही दिशा में था, लेकिन अब उसमें युवाओं को मोहरा बनाया जा रहा है। आंदोलन अब गलत दिशा में जा रहा है। आधे घंटे की बातचीत में बंटी मान गया और आंदोलन छोड़ घर लौट गया।

मध्य प्रदेश में उज्जैन के गुरुद्वारा श्री गुरसिंघ सभा के अध्यक्ष गुरदीपसिंह जुनेजा ने कहा कि समस्या का हल तो आंदोलन के बजाय बातचीत से ही निकलेगा। सिख समाज के युवाओं को यह बात समझनी होगी। समाजजन प्रयास कर रहे हैं, बच्चे समझ भी रहे हैं।


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