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छलकता रहा भाजपा का उत्साह

दस साल के बाद सत्ता में वापसी व तीन दशक की सबसे बड़ी जीत इकट्ठा मिले तो खुशी लाजिमी थी। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेताओं ने इस खुशी को जाहिर करने में कोई कसर भी नहीं छोड़ी। वहीं, दबे सुरों में नेताओं के बीच अपनी भूमिका को लेकर आकांक्षा भी बढ़ गई। संसद के केंद्रीय कक्ष से लेकर पीछे के दलान तक ऐसे न

By Edited By: Published: Wed, 21 May 2014 05:50 AM (IST)Updated: Wed, 21 May 2014 06:12 PM (IST)
छलकता रहा भाजपा का उत्साह

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। दस साल के बाद सत्ता में वापसी व तीन दशक की सबसे बड़ी जीत इकट्ठा मिले तो खुशी लाजिमी थी। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेताओं ने इस खुशी को जाहिर करने में कोई कसर भी नहीं छोड़ी। वहीं, दबे सुरों में नेताओं के बीच अपनी भूमिका को लेकर आकांक्षा भी बढ़ गई। संसद के केंद्रीय कक्ष से लेकर पीछे के दलान तक ऐसे नेताओं की भरमार थी, जो मंत्रिमंडल की अटकलों पर कान लगाए घूमते रहे।

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मंगलवार को सरकार गठन की प्रक्रिया शुरू हो रही थी, नरेंद्र मोदी नेता चुने जाने वाले थे, लिहाजा दोपहर 12:00 बजे की बैठक के लिए 10:00 बजे से ही सांसदों का आना शुरू हो गया था। भाजपा के महासचिव जेपी नड्डा ने सुबह से ही संसद भवन में तैयारी पूरी कर ली थी। फूलों के गुलदस्ते व कमल निशान लेकर नेतागण मुख्य द्वार पर भी खड़े थे, जो हर आने वाले सांसदों के चेहरों पर बड़ी मुस्कान भर दे रहे थे।

वहीं, पास ही पुराने व वरिष्ठ नेता यह विश्लेषण करते दिखे कि 'अच्छे' दिन काफी दिनों बाद आए हैं। केंद्रीय कक्ष में वरिष्ठ नेताओं में सबसे पहले पहुंचने वालों में मुरली मनोहर जोशी थे। एक-एक कर अलग-अलग भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री भी अपने सांसदों के साथ केंद्रीय कक्ष पहुंचे। तालियों की गड़गड़ाहट के बीच सेंट्रल हॉल में प्रवेश करने के बाद नरेंद्र मोदी ने लालकृष्ण आडवाणी के पैर छुए, तो आडवाणी को भी उन्हें स्नेह के साथ गले लगाते देखा गया। नए सांसदों के लिए अनोखा माहौल था, हर कोई आगे बढ़कर खुद का परिचय दे रहा था। लेकिन उस वक्त कक्ष में हलचल तेज हो गई, जब मोदी के नजदीकी व लोकसभा चुनाव के सितारों में शामिल अमित शाह ने प्रवेश किया। हर कोई एक-दूसरे से आगे बढ़कर उनसे मिलने का इच्छुक दिखा।

अहमदाबाद से चुनकर आए सिने स्टार परेश रावल भी इस दौड़ में शामिल दिखे व सीट बदल-बदल कर बैठते रहे। नरेंद्र मोदी के आते ही पहले तालियों का शोर गूंजा और फिर पूरी तरह शांति हो गई। दरअसल, पहले आडवाणी व फिर मोदी के भाषणों के भावुक क्षण को हटा दिया जाए तो हर पल उत्साह से छलकता रहा। बड़ी संख्या में ऐसे सांसद भी चुनकर आए हैं, जिन्होंने आखिरी समय में भाजपा का दामन थामा था। कांग्रेस छोड़कर आए जगदंबिका पाल व राजद से आए रामकृपाल यादव जरूर कुछ वक्त के लिए मोदी का भाषण भूल चुनाव की थकान मिटाते दिखे। जहां जीत की खुशी थी, वहीं भविष्य को लेकर नेताओं में आशा भी छलक रही थी। कई नेता परोक्ष रूप से यह भांपने में लगे रहे कि उन्हें या औरों को क्या जिम्मेदारी मिलने वाली है। पर यह आशंका भी सवार थी कि मिनिमम गवर्नमेंट, मैक्सिमम गवर्नेस की बात करने वाले मोदी की टीम में कहीं उन्हें शामिल न किया जाए।

मौजूदगी दर्ज कराने की दौड़

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह अपने बेटे अभिषेक तो राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे अपने बेटे दुष्यंत का परिचय अन्य सांसदों से करा रही थीं। सेंट्रल हॉल में उपस्थित महिला सांसद भी जहां उत्साह के साथ भाग ले रहीं थीं, तो यहां भगवा रंग भी मजबूती से उपस्थिति दर्ज करा रहा था और सात नवनिर्वाचित साधु व साध्वी इस दौरान दिखाई दिए। इनमें उमा भारती व योगी आदित्यनाथ शामिल हैं। सेंट्रल हॉल में धोती-कुर्ता पहने हुए पार्टी सांसद बहुतायत में थे, लेकिन आसनसोल से नवनिर्वाचित सांसद बाबुल सुप्रियो ने नीली कमीज व डेनिम पहन रखी थी। अभिनय से राजनीति में आई हेमा मालिनी व स्मृति ईरानी पर भी लोगों की नजरें टिकी रहीं। हेमा सुनहरे रंग के फूलों से सजी क्रीम रंग की साड़ी पहनकर आईं, तो स्मृति जामुनी रंग की साड़ी पहनकर पहुंचीं।

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