आम बजट में कृषि से जुड़े उद्यमों को मिलेगी खास तवज्जो; पशुधन विकास, डेयरी व मत्स्य पालन से काफी उम्मीदें
आगामी वित्त वर्ष 2023-24 के आम बजट में कृषि के अलावा उससे जुड़े अन्य उद्यमों को खास तवज्जो मिल सकती है। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के इस दाव से जहां किसानों की आमदनी बढाने में मदद मिलेगी।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। आगामी वित्त वर्ष 2023-24 के आम बजट में कृषि के अलावा उससे जुड़े अन्य उद्यमों को खास तवज्जो मिल सकती है। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के इस दाव से जहां किसानों की आमदनी बढाने में मदद मिलेगी वहीं वैश्विक बाजार में इनके उत्पादों की धमक बनाई जा सकती है। पशुधन विकास, डेयरी और मत्स्य पालन जैसे क्षेत्र की तेज विकास दर के भरोसे समूचे कृषि क्षेत्र को प्राथमिकता मिल सकता है।
दुनिया का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक देश भारत
भारत फिलहाल दुनिया का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक देश बन चुका है। विश्व के दुग्ध उत्पादन में भारत की हिस्सेदारी 23 फीसद तक पहुंच चुकी है। वर्ष 1951 में जहां मात्र 1.70 करोड़ टन दूध का उत्पादन होता था, वही वर्ष 2020-21 में बढ़कर 21 करोड़ टन हो चुका है। पिछले एक दशक के दौरान दुग्ध का उत्पादन 12.1 करोड़ टन से बढ़कर 21 करोड़ टन पहुंच गया है। उत्पादन की इस तेज उछाल से जहां कृषि क्षेत्र की विकास दर को तेजी मिली है, वहीं किसानों के जेब में नगदी पहुंचाने में मदद मिली है।
आम बजट में पशुधन और डेयरी क्षेत्र पर विशेष ध्यान
आगामी वित्त वर्ष के आम बजट में पशुधन और डेयरी क्षेत्र में विशेष ध्यान दिए जाने की संभावना है। पशुओं के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए लंपी, खुरपका-मुंहपका जैसे वायरल रोगों के लिए संयुक्त टीकाकरण अभियान चलाया जाएगा। पशु स्वास्थ्य के लिए शुरु की गई मोबाइल चिकित्सा वैन की सफलता के बाद इसकी संख्या को बढ़ाया जा सकता है। पशुपालकों के लिए यह सुविधा वरदान साबित हो सकती है। मीट, डेयरी और पॉल्ट्री निर्यात में भारत साल दर साल तेजी से ऊंचाइयां चढ़ रहा है।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारत की मजबूत पकड़
अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारत इस क्षेत्र में अपनी पकड़ मजबूत बना रहा है। इसके लिए पशुओं के स्वास्थ्य और उत्पादों की क्वालिटी को बनाए रखने के लिए आम बजट में विशेष प्रविधान किया जा सकता है। मत्स्य उत्पादन की विकास दर 14 फीसद से भी अधिक पहुंच गई है। इसे और तेज करने के साथ अन्य ढांचागत सुविधाओं के लिए प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के साथ कुछ और प्रविधान किए जा सकते हैं।
समुद्री उत्पादों के लिए विशेष योजनाएं
खासतौर समुद्री उत्पादों के लिए विशेष योजनाएं शुरु की जा सकती हैं। समुद्र तटीय क्षेत्रों में मछली पकड़ने के लिए आधुनिक जरूरी मशीनों (जाल व नाव) की सख्त जरूरत हैं। साढे सात हजार किमी लंबाई वाले तटीय क्षेत्रों में अपार संभावनाएं है। वर्ष 2019-20 में जहां 14.16 करोड़ टन मछलियों के शिकार किए गए वह वर्ष 2021-22 में बढ़कर 1.62 करोड़ टन हो गया। जबकि मछलियों का निर्यात 13.62 लाख टन किया गया है, जिससे लगभग 60 हजार करोड़ रुपए की विदेशी मुद्रा प्राप्त हुई।
अंतरराज्यीय मछली विकास के लिए आधुनिक तरीके अपनाए जाने लगे हैं जो उत्पादन की दृष्टि से काफी मुफीद साबित हुआ है। आम बजट में इनलैंड फीसरीज के लिए इंटीग्रेटेड रिजर्वायर डवलपमेंट प्रोजेक्ट और गहरे समुद्र में मछली पकड़ने के लिए विशेष प्रविधान की उम्मीद की जा रही है। इस दिशा में लांच की गई प्रायोगिक परियोजनाओं की सफलता के बाद इसके विस्तार की पूरी संभावना है। समुद्री मछलियों को पकड़ने के लिए देश में डेढ़ दर्जन से अधिक अलग तरह के बंदरगाह बनाने की मंजूरी मिल चुकी है। इसके विस्तार पर भी वित्त मंत्री की नजर जा सकती है। यह एक ऐसा क्षेत्र है, जिसके निर्यात की पर्याप्त संभावना है। भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक बन चुका है, जिसमें झींगा की हिस्सेदारी सबसे अधिक है।