चुनावी बॉन्ड मामले में कांग्रेस की सुप्रीम कोर्ट की निगरानी जांच करवाने की मांग, कहा- सत्ता में आए तो होगी इन्वेस्टिगेशन
कांग्रेस ने चुनावी बॉन्ड मामले की सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में एसआईटी जांच की अपनी मांग शनिवार को दोहराई। साथ ही आरोप लगाया कि इस योजना ने सुनिश्चित किया कि बैंकिंग चैनल के माध्यम से रिश्वत दी जा सके। कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा जिस व्यक्ति ने काला धन वापस लाने की गारंटी दी थी उसने इसके बजाय भ्रष्टाचार को वैध बना दिया।
पीटीआई, नई दिल्ली। कांग्रेस ने चुनावी बॉन्ड मामले की सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में एसआईटी जांच की अपनी मांग शनिवार को दोहराई। साथ ही आरोप लगाया कि इस योजना ने सुनिश्चित किया कि बैंकिंग चैनल के माध्यम से रिश्वत दी जा सके। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने संवाददाता सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा, जिस व्यक्ति ने 'काला धन वापस लाने' की गारंटी दी थी, उसने इसके बजाय भ्रष्टाचार को वैध बना दिया और इसे छिपाने की कोशिश कर रहा है।
विपक्षी दल ने 'पायथन कोड' भी जारी किया। दावा किया कि इससे राजनीतिक दलों के साथ चंदादाताओं का मिलान करने में 15 सेकंड से भी कम समय लगा। कांग्रेस ने चुनावी बॉन्ड मामले में भ्रष्टाचार के चार पैटर्न उजागर किए हैं। इनमें 'चंदा दो, धंधा लो' यानी प्रीपेड रिश्वत, 'ठेका लो, रिश्वत दो' यानी पोस्टपेड रिश्वत, हफ्ता वसूली यानी छापे के बाद रिश्वत, फर्जी कंपनी यानी शेल कंपनियां शामिल हैं।
कंपनियों को अनुबंधों में कुल 3.8 लाख करोड़ मिले
जयराम ने आरोप लगाया कि विश्लेषण से पता चला कि 38 कॉरपोरेट समूहों, जिन्हें केंद्र या भाजपा की राज्य सरकारों से 179 अनुबंध और परियोजनाओं की मंजूरी मिली है, ने चुनावी बॉन्ड से चंदा दिया। भाजपा को चुनावी बॉन्ड से दिए गए 2,004 करोड़ रुपये के चंदे के बदले इन कंपनियों को परियोजनाओं और अनुबंधों में कुल 3.8 लाख करोड़ रुपये मिले हैं।
सत्ता में आएंगे तो घोटाले की एसआईटी जांच करवाएंगे
उन्होंने कहा कि जब आईएनडीआईए सत्ता में आएगा तो वह चुनावी बॉन्ड घोटाले की एसआईटी जांच करवाई जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि अगर आईएनडीआईए सत्ता में आया तो अदाणी मामले पर जेपीसी का गठन किया जाएगा। पीएम-केयर्स फंड की भी एसआईटी जांच होगी। जयराम ने आरोप लगाया कि 41 कॉरपोरेट समूहों को ईडी/सीबीआई/आईटी के कुल 56 छापे का सामना करना पड़ा है। इन समूहों ने भाजपा को 2,592 करोड़ रुपये दिए हैं, जिनमें से 1,853 करोड़ रुपये छापे के बाद दिए गए थे। 16 फर्जी कंपनियों ने चंदा दिया। फर्जी कंपनियों द्वारा दिए गए कुल 543 करोड़ चंदे में भाजपा को 419 करोड़ रुपये का चंदा मिला।
स्टेट बैंक के दावे पर उठाया सवाल
रमेश ने कहा, "हमने सैकड़ों अनुबंधों, परियोजना मंजूरी, ईडी/आईटी/सीबीआई छापे और शेल कंपनियों का पूर्ण, सत्यापित डाटाबेस इकट्ठा किया है, सभी डाटा का भाजपा के चुनावी बॉन्ड दाताओं के डाटा से मिलान किया गया है। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने कहा था कि इसे करने में महीनों लगेंगे, जबकि हमारी टीम को पायथन कोड से इसे करने में 15 सेकंड से भी कम समय लगा।
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