चुनाव आयोग ने दी खुली चुनौती, ईवीएम में गड़बड़ी साबित करो
इस दौरान लोगों को इसमें हेर-फेर के अपने दावों को साबित करने का मौका मिलेगा।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। मतदान मशीन यानी ईवीएम को ले कर उठाए जा रहे तमाम सवालों पर चुनाव आयोग ने हमेशा के लिए विराम लगाने की तैयारी कर ली है। मई के पहले सप्ताह में यह सभी राजनीतिक दलों के साथ वैज्ञानिकों और तकनीकविदों को भी खुली चुनौती दे कर अपनी मशीनें इनके सामने पेश करेगा। इस दौरान लोगों को इसमें हेर-फेर के अपने दावों को साबित करने का मौका मिलेगा।
'दैनिक जागरण' ने रविवार को प्रकाशित अपनी खबर में पहले ही बता दिया था कि चुनाव आयोग मशीनों के साथ छेड़छाड़ के आरोपों को साबित करने का विशेष मौका दे सकता है। अब आयोग ने यह भी तय कर लिया है कि वह अगले महीने के पहले हफ्ते से ही इसकी शुरुआत कर देगा। अधिक से अधिक लोगों को यह मौका मिल सके, इसलिए वह लगातार एक हफ्ते या उससे भी अधिक समय तक यह मौका उपलब्ध करवा सकता है। तारीख तय होते ही आयोग विज्ञापन जारी कर इसके लिए लोगों को आमंत्रित कर सकता है।
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आयोग ने फैसला किया है कि यह मौका सिर्फ राजनीतिक दलों को ही नहीं बल्कि गैर राजनीतिक लोगों को भी मिलेगा। जिनकी ऐसी मशीनों की तकनीक को ले कर विशेषज्ञता होगी, वैसे लोग भी इसमें मनमुताबिक छेड़छाड़ करने की कोशिश कर सकेंगे। आयोग ने इससे पहले वर्ष 2009 में भी ऐसा ही मौका दिया था। तब भी कोई अपने आरोप साबित नहीं कर सका था। पिछले महीने पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव नतीजे आने के बाद से कई राजनीतिक दलों ने ईवीएम में गड़बड़ी के आरोप लगाए थे।
हालांकि आयोग लगातार यह दावा करता रहा है कि इसकी तकनीक ऐसी है कि इसमें किसी भी स्तर पर कोई छेड़छाड़ संभव ही नहीं है। इसके बावजूद आरोपों को थमता नहीं देख कर आयोग ने यह बड़ा फैसला किया है। एक बार अपनी मशीनों को उपलब्ध करवा देने के बाद भी अगर कोई अपने आरोप साबित नहीं कर सका तो फिर लोगों की नजर में इन आरोपों की कोई अहमियत नहीं रह जाएगी। आयोग के अधिकारी कहते हैं कि लोकतंत्र में आम लोगों के विश्वास को कायम रखने के लिए यह बहुत जरूरी है कि ईवीएम को ले कर लोगों के मन में कोई आशंका नहीं रह जाए। इसलिए आयोग ने यह बड़ा कदम उठाने का फैसला किया है।
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