हवाओं का रुख पलटा, पटाखों के साथ पराली जली तो दिवाली और उसके बाद फूलेगी दिल्ली की सांस
वैसे अभी भी दिल्ली-एनसीआर में हवाओं की गुणवत्ता खराब स्तर में पहुंच चुकी है। पीएम 2.5 का स्तर रविवार शाम को 113 से ज्यादा था। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के मुताबिक पीएम-2.5 का स्तर 90 के पार जाते ही वायु गुणवत्ता की स्थिति खराब हो जाती है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। दिवाली से ठीक पहले हवाओं का रुख जिस तरह से बदला है, उसे देखते हुए दिल्ली-एनसीआर के लिए दिवाली और उसके बाद के दिन सांसों पर भारी पड़ेंगे। यह इसलिए है क्योंकि दीपावली पर पटाखे जलना तय है। हालांकि सरकारी दावा है कि जागरूकता और ग्रीन पटाखों के इस्तेमाल से पहले जैसा प्रदूषण नहीं होगा लेकिन ऐसे में यदि पराली भी जली तो मुश्किल बढ़ेगी।
केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने राज्यों को फिर किया सचेत
फिलहाल हवाओं का जो रुख है, उनमें पंजाब और हरियाणा की ओर से हवाएं दिल्ली-एनसीआर की ओर आ रही है। ऐसे में बड़ी अग्नि परीक्षा केंद्र और राज्य सरकारों के उन दावों की होगी, जो पराली को जलाने से रोकने के लिए पिछले कई महीनों से मशक्कत करते दिख रही थी। इस बीच हवाओं का रुख बदलते देख केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय और वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने पंजाब और हरियाणा को फिर से सतर्क किया है और कहा कि वह पराली को जलाने से रोकने के लिए सभी जरूरी कदम उठाए।
सरकार के दावों की होगी अग्निपरीक्षा
इसके अलावा पराली जलाने की घटनाओं पर नजर रखने के लिए टीमों को मैदान में उतारने के भी निर्देश दिए गए है। वहीं दिल्ली-एनसीआर के वायु प्रदूषण पर करीब से नजर रख रही एजेंसी 'सफर इंडिया' के मुताबिक जो स्थिति है उसमें दिल्ली की सांस फूलना है। यह सिर्फ तभी टल सकता है जब पराली जलने की घटनाएं सौ से अधिक न हो। हालांकि इसके बाद भी दिल्ली-एनसीआर के वायु प्रदूषण की जो स्थिति है, उनमें वायु गुणवत्ता बेहद खराब ही रहने वाली है।
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कहा- पराली जलने से रोकने के लिए उठाएं सभी जरूरी कदम
वैसे अभी भी दिल्ली-एनसीआर में हवाओं की गुणवत्ता खराब स्तर में पहुंच चुकी है। पीएम 2.5 का स्तर रविवार शाम को 113 से ज्यादा था। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के मुताबिक पीएम-2.5 का स्तर 90 के पार जाते ही वायु गुणवत्ता की स्थिति खराब हो जाती है। गौरतलब है कि पराली पर सरकार दावों की परख इसलिए भी होनी है, क्योंकि सरकार ने इस दावा किया था कि पराली का बेहतर प्रबंधन किया गया है, जिसके चलते इस बार पराली कम जलेगी।
पराली जलाने से रोकने के लिए उठाए गए कदम
फिलहाल अब तक जो राहत की बात है, उनमें पराली जलने की जो घटनाएं रिपोर्ट हुई है, उनमें अब तक एक दिन में करीब सात सौ तक ही रिपोर्ट हुई है। इससे पहले यह घटनाएं प्रतिदिन करीब तीन हजार तक रिपोर्ट हुई है। पराली जलाने से रोकने के लिए केंद्र सरकार ने किसानों को हाईटेक मशीनों सहित बायो डी-कंपोजर और पराली को बेच कर पैसा कमाने का भी विकल्प दिया है।