नई दिल्ली, एजेंसी। दिल्ली पुलिस ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि 2021 के दौरान राष्ट्रीय राजधानी में धार्मिक सभाओं में दिए गए नफरत फैलाने वाले भाषण के मामले में उसकी जांच काफी हद तक पूरी हो चुकी है। वह जल्द ही कोर्ट में इस पर अंतिम जांच रिपोर्ट फाइल करेगी।
तीन सप्ताह बाद होगी SC में सुनवाई
दिल्ली पुलिस की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज की दलीलों को सुनने के बाद सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की पीठ ने कहा कि वह मामले की सुनवाई तीन हफ्ते बाद करेंगे।
एक मीडिया चैनल से भी जुड़ा है हेट स्पीच का मामला
हेट स्पीच का एक मामला दिसंबर 2021 में एक मीडिया चैनल के संपादक से जुड़ा है। सुप्रीम कोर्ट ने इसे लेकर भी दिल्ली पुलिस से एक हलफनामा दायर करने को कहा है। कोर्ट ने इस मामले को लेकर अधिकारियों द्वारा अब तक उठाए गए कदमों का ब्योरा मांगा है। इससे पहले सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ को बताया था कि न्यायमूर्ति नरसिम्हा संबंधित मामलों में से एक में खुद वकील के रूप में पेश हुए थे। इसके अलावा, मेहता ने नफरत भरे भाषणों के मुद्दे पर एक टीवी चैनल के खिलाफ दायर एक अलग याचिका का भी उल्लेख किया। उन्होंने आग्रह किया कि इस मामले को भी सुनवाई के लिए एक साथ सूचीबद्ध किया जाए।
कोर्ट ने दिल्ली पुलिस की लगाई क्लास
वहीं, एक अन्य मामले में सामाजिक कार्यकर्ता तुषार गांधी की ओर से पेश वकील शादान फरासत ने कहा कि पुलिस ने इस तरह के नफरत भरे भाषणों को रोकने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। शीर्ष अदालत ने 13 जनवरी को प्राथमिकी दर्ज करने में देरी व 2021 में राष्ट्रीय राजधानी में धार्मिक सभाओं में दिए गए नफरत भरे भाषणों के एक मामले की जांच में कोई ठोस प्रगति नहीं होने पर दिल्ली पुलिस की क्लास लगा दी थी। अदालत ने इसपर भी जांच अधिकारी से रिपोर्ट मांगी थी।
कोर्ट का दिल्ली पुलिस से सवाल
पीठ ने सवाल किया कि आप जांच के संदर्भ में क्या कर रहे हैं? घटना 19 दिसंबर को हुई थी, प्राथमिकी पांच महीने बाद 4 मई 2022 को दर्ज की गई थी। इसके लिए आपको इतने समय की आवश्यकता क्यों पड़ी? उन्होंने आगे पूछा कि आपने क्या किया है? कितनी गिरफ्तारियां की गई हैं? आपने कितने लोगों की जांच की है।
सॉलिसिटर जनरल की दलील
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि दिल्ली पुलिस ने तहसीन पूनावाला मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले की कोई अवमानना नहीं की है। जिसमें हेट क्राइम से निपटने के लिए कई निर्देश दिए गए थे। उन्होंने कहा कि गांधी ये निर्देश नहीं दे सकते हैं कि जांच एजेंसी को कैसे काम करना चाहिए। बता दें कि शीर्ष अदालत गांधी द्वारा दायर उस अवमानना याचिका पर सुनवाई कर रही थी। जिसमें नफरत भरे भाषण मामलों में उत्तराखंड और दिल्ली पुलिस पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं करने का आरोप लगाया गया था। पीठ ने पिछले साल 11 नवंबर को उत्तराखंड सरकार और उसके पुलिस प्रमुख को अवमानना याचिका के पक्षकारों की सूची से हटा दिया था।
तहसीन पूनावाला मामले में कार्रवाई की मांग
तहसीन पूनावाला मामले में दिल्ली व उत्तराखंड के पुलिस प्रमुखों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए याचिका दायर की गई थी। अपने फैसले में शीर्ष अदालत ने दिशानिर्देशों को निर्धारित किया था कि मॉब लिंचिंग सहित घृणित अपराधों में क्या कार्रवाई करने की आवश्यकता है। याचिका में आरोप लगाया गया था कि 17 दिसंबर से 19 दिसंबर, 2021 तक हरिद्वार में और 19 दिसंबर, 2021 को दिल्ली में आयोजित 'धर्म संसद' में नफरत भरे भाषण दिए गए थे। याचिका में ये भी दावा किया गया कि कार्यक्रम के बाद वे भाषण सार्वजनिक डोमेन पर उपलब्ध थे। फिर भी उत्तराखंड पुलिस और दिल्ली पुलिस ने अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की।