मतगणना से पहले आप को लेकर भाजपा, कांग्रेस में बेचैनी
नई दिल्ली [आशुतोष झा]। इस सप्ताह दिल्ली के पास अपनी मौजूदा हालत से उबरने का अवसर है। बड़े राजनीतिक दलों के सामने सिर्फ एक वर्ष पुरानी आम आदमी पार्टी [आप] ने जिस तरह टक्कर देने की कोशिश की चुनाव नतीजा अनोखे मोड़ पर पहुंचा सकता है। रविवार को होने वाले मतगणना को लेकर भाजपा, कांग्रेस के दिग्गजों में जो बैचेनी है उसकी बड़ी वज
नई दिल्ली [आशुतोष झा]। इस सप्ताह दिल्ली के पास अपनी मौजूदा हालत से उबरने का अवसर है। बड़े राजनीतिक दलों के सामने सिर्फ एक वर्ष पुरानी आम आदमी पार्टी [आप] ने जिस तरह टक्कर देने की कोशिश की चुनाव नतीजा अनोखे मोड़ पर पहुंचा सकता है। रविवार को होने वाले मतगणना को लेकर भाजपा, कांग्रेस के दिग्गजों में जो बैचेनी है उसकी बड़ी वजह आप है। बड़े राजनीतिक दलों को आप की चिंता भी है और बड़े विश्वास से यह भी कहते हैं कि आप जीरो है।
आप के चुनावी मैदान में उतरने से दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजे पर पूरे देश की नजर टिकी है। दिल्ली में रिकॉर्ड मतदान ने लोगों में रोमांच पैदा कर दिया है। हालांकि आप के चुनावी मैदान में उतरने से राजनीति में जिस बदलाव की बात की जा रही है ऐसा हुआ तो यह शहर वाकई महान कहलाने का हकदार हो जाएगा। यह चुनाव आसान रहा इसमें विश्वसनीय नजर आने वाले विकल्पों में त्रिकोणीय संघर्ष है। चुनाव रूझान से पहला विकल्प भाजपा के रूप में सामने दिखाई दे रहा है।
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भाजपा ने मुख्यमंत्री पद के लिए डॉ. हर्षवर्द्धन के रूप में एक स्वच्छ छवि का प्रत्याशी पेश किया है। अन्य दो दलों की तुलना में वे उतने हाई प्रोफाइल नहीं हैं। हालांकि उन्हें भाजपा से जुड़े होने का फायदा मिलेगा, जो कांग्रेस की परंपरागत विकल्प होने के साथ नरेंद्र मोदी की पार्टी है। चतुराई से पैदा की गई मोदी लहर भाजपा के हर प्रत्याशी को अतिरिक्त फायदा पहुंचाया। इसमें कोई संदेह नहीं कि अधिकतर दिल्ली वाले लोकसभा के राष्ट्रीय और विधानसभा के स्थानीय चुनावों का फर्क जानते हैं।
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दिल्ली का एक विकल्प, आम आदमी पार्टी इस चुनाव का सबसे रोमांचक हिस्सा है वरना ये चुनाव भी उबाऊ ही साबित होते। आप की झाड़ू सिर्फ दिल्ली की सफाई नहीं करेगी बल्कि देश की राजनीति की सफाई कर देगी। यदि यह सब हुआ तो दिल्ली अपना खोया गौरव फिर हासिल कर लेगी। दिल्ली को बहुत शर्मिंदा होना पड़ा है। आप के गठन पर कई स्थापित दलों ने इसकी खिल्ली उड़ाई और उपहास किया। अब जनमत संग्रह संकेत दे रहे हैं कि खिल्ली उड़ाने वालों का मजाक भी बन सकता है। बहरहाल, इस सप्ताह दिल्ली के पास मौका है कि वह बिलकुल अलग ही विकल्प आजमाकर देखे।
आम आदमी पार्टी किसी अन्य भारतीय राजनीतिक दल जैसी नहीं है। जिन परिस्थितियों में इस पार्टी ने जन्म लिया, वे उम्मीद जगाती हैं। वह किसी वर्ग विशेष की पहचान लेकर नहीं जन्मी है।अभी तो सारे दलों में ऐसे बहुत से प्रभावशाली नेता हैं, जो मानते हैं कि भ्रष्टाचार तथा सुशासन जैसे मुद्दे तो मीडिया निर्मित हैं। यदि आप को ईमानदारी के मुद्दे पर फायदा मिला तो निश्चित रूप से प्रमुख पार्टिया खुद को साफ-सुथरा दिखाने के लिए संगठन में सुधार ले आएंगी। यदि आप योग्य, साफ-सुथरे प्रत्याशियों को जिता सकी तो विभिन्न दलों में अच्छे लोगों को लाने की होड़ लग जाएगी।
कांग्रेस के पास ऊर्जावान मुख्यमंत्री चौथा कार्यकाल चाह रही हैं। कई तरह के आरोपों के बावजूद यह तो मानना ही होगा कि शीला दीक्षित के कार्यकाल में दिल्ली के आधारभूत ढांचे का जो रूपांतरण हुआ है, उसकी देश के किसी अन्य महानगर में मिसाल नहीं है। हालांकि, उनका यह दुर्भाग्य है कि वे कांग्रेस पार्टी की हैं, जो मध्यवर्ग का भरोसा खो चुकी है।
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