Move to Jagran APP

Crisis in Neighborhood: संकटग्रस्त पड़ोसी देशों से भारत की बढ़ी मुश्किलें, उम्‍मीद भरी नजरों से देख रहे श्रीलंका, अफगानिस्तान, बांग्लादेश और नेपाल

आर्थिक और खाद्य संकट की समस्या से जूझ रहे श्रीलंका बांग्लादेश नेपाल अफगानिस्तान मदद के लिए भारत की तरफ से देख रहे हैं। जानकारों का कहना है कि पड़ोसी देशों में आए संकट के कारण भारत की भी जिम्मेदारी बढ़ती जा रही है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Thu, 23 Jun 2022 09:14 PM (IST)Updated: Fri, 24 Jun 2022 04:27 AM (IST)
पड़ोसी मुल्‍कों में गहरा रहे संकट के चलते भारत की भी जिम्मेदारी बढ़ती जा रही है।

जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। भारत के पड़ोसी देशों की आर्थिक स्थिति जिस तरह से बिगड़ रही है उससे भारत की भी जिम्मेदारी बढ़ती जा रही है। आर्थिक और खाद्य संकट की समस्या से दो चार हो रहे श्रीलंका, बांग्लादेश, नेपाल, अफगानिस्तान मदद के लिए भारत की तरफ से देख रहे हैं। सबसे ज्यादा संकट से जूझ रहे श्रीलंका को और मदद देने के लिए गुरुवार को विदेश सचिव विनय क्वात्रा की अगुवाई में वित्त व विदेश मंत्रालय की एक उच्चस्तरीय टीम कोलंबो पहुंची और श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे और पीएम रानिल विक्रमसिंघे से मुलाकात कर भावी मदद के बारे में विस्तार से बात की।

पहले ही श्रीलंका की मदद कर चुका है भारत 

श्रीलंका को पहले ही भारत 3.5 अरब डालर की मदद देने का एलान कर चुका है लेकिन पड़ोसी देश इसके अलावा भी 1.5 अरब डालर की और मदद मांग रहे हैं। श्रीलंका की स्थिति इस बात से समझी जा सकती है कि पीएम विक्रम¨सघे ने एक दिन पहले बयान दिया है कि उनके देश की आर्थिक स्थिति पूरी तरह से धवस्त हो चुकी है।

  • श्रीलंका ने भारत से मांगी 1.5 अरब डालर की तत्काल मदद
  • भूकंप के बाद अफगानिस्तान को भी भेजी रही है अतिरिक्त मदद
  • बांग्लादेश को चाहिए अतिरिक्त गेहूं, नेपाल को लाइन आफ क्रेडिट

बांग्लादेश को सबसे ज्यादा खाद्यान्न की जरूरत

सूत्रों के मुताबिक पिछले दिनों भारत-बांग्लादेश संयुक्त सलाहकार समिति (जेसीसी) की बैठक में बांग्लादेश की तरफ से वैश्विक बाजार में खाद्यान्नों की कीमतों में लगातार हो रही वृद्धि के मद्देनजर भारत से मदद मांगी है। बांग्लादेश को सबसे ज्यादा गेहूं, चीनी जैसे खाद्यान्नों की जरूरत है।

बांग्लादेश को 1.5 लाख टन गेहूं का निर्यात

भारत ने हाल ही में गेहूं के निर्यात पर रोक लगाने के बावजूद बांग्लादेश को 1.5 लाख टन गेहूं का निर्यात किया। बांग्लादेश की तरफ से 10 लाख टन गेहूं की जरूरत बताई गई है। भारत एकमुश्त इतनी बड़ी मात्रा में गेहूं देने की स्थिति में नहीं है लेकिन यह आश्वासन जरूर दिया है कि जैसे-जैसे जरूरत होगी उसे आपूर्ति जारी रखा जाएगा।

अफगानिस्‍तान पर भूकंप की मार 

एक अन्य पड़ोसी देश अफगानिस्तान में पहले से ही खाने पीने की चीजों व दवाइयों की भारी मांग कर रखी है लेकिन बुधवार को वहां आए भयंकर भूकंप के बाद उसे इन चीजों की जरूरत और बढ़ गई है। पीएम नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को ही भूकंप में जानमाल के नुकसान पर गहरी संवेदना जताते हुए इस कठिन समय में हर तरह की मदद देने की पेशकश की थी। सूत्रों के मुताबिक तालिबान के अधिकारी भारतीय विदेश मंत्रालय के साथ संपर्क में हैं और उन्हें भारतीय मदद की पहली खेप जल्द ही भेजने की तैयारी है।

नेपाल में भी आर्थिक संकट के आसार 

एक अन्य पड़ोसी देश नेपाल की आर्थिक स्थिति भी बहुत खास नहीं है। खास तौर पर वहां के बाजार में उर्वरकों की काफी कम है जिसके लिए वह भारत से उम्मीद लगाये हुए है। नेपाल के अर्थविद चेतावनी दे रहे हैं कि अगर विदेशी मुद्रा भंडार को जल्दी से बढ़ाने के उपाय नहीं हुए तो उनके देश की स्थिति भी श्रीलंका की तरह हो सकती है। नेपाल के पास अभी 5-6 महीने के आयात के विदेशी मुद्रा का भंडार है लेकिन जुलाई, 2021 से ही इसमें लगातार कमी आ रही है। हाल ही में लग्जरी उत्पादों के आयात पर प्रतिबंध लगाया गया है।

अफगानिस्तान को गेहूं देने का एलान

पिछले दिनों लुम्बनी में पीएम मोदी और नेपाल के पीएम शेर बहादुर देउबा के बीच वार्ता मे भारत की तरफ से दी जाने वाली मदद को लेकर भी चर्चा हुई है। इस बारे में जल्द ही फिर दोनों देशों के विदेश मंत्रालयों के बीच विस्तार से चर्चा होने वाली है। अफगानिस्तान को पहले ही 50 हजार टन गेहूं देने का ऐलान किया गया है जिसमें 20 हजार टन भेजा जा चुका है। शेष 30 हजार टन भी भेजने के लिए पाकिस्तान के रूख का इंतजार किया जा रहा है।

श्रीलंका को दिया है कर्ज

सूत्रों की मानें तो पड़ोसी देशों को उनकी स्थिति के मुताबिक भारत पहले भी मदद देता रहा है और आगे भी इस सिलसिले को जारी रखा जाएगा। अभी सबसे ज्यादा विकट स्थिति श्रीलंका की है इसलिए उस पर ज्यादा फोकस है। विदेश सचिव के साथ गुरुवार को आर्थिक मामलों के सचिव अजय सेठ और प्रमुख आर्थिक सलाहकार डॉ. वी. अनंथ नागेश्वरन भी कोलंबो पहुंचे हैं। भारत ने हाल ही में श्रीलंका को 50 करोड़ रुपये कर्ज दिया है। इससे वह पेट्रो उत्पाद आयात कर सके, साथ ही 40 हजार लीटर डीजल भी भेजा गया है।

निवेश साझेदारी को आगे बढ़ाने पर भी हुई बात

विदेश मंत्रालय की तरफ से बताया गया है कि भारत अभी तक इस पड़ोसी देश को कुल पांच अरब डालर की मदद दे चुका है। दोनों देशों के बीच भारत-श्रीलंका निवेश साझेदारी को आगे बढ़ाने पर भी बात हुई है ताकि इंफ्रास्ट्रक्चर, रिनीवेबल, कनेक्टिविटी क्षेत्रों मे तेजी से सहयोग हो सके। बजट 2022-23 में भारत ने 8,133 करोड़ रुपये बतौर कर्ज व अनुदान देने के लिए आवंटित किया है। 


This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.