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ध्वनि प्रदूषण में मुंबई टॉप पर, चौथे पायदान पर दिल्ली : CPCB

ध्वनि प्रदूषण पर जारी सीपीसीबी की रिपोर्ट के मुताबिक राजधानी दिल्ली और व्यवसायिक राजधानी मुंबई शोरगुल का सबसे ज्यादा सामना कर रहे हैं।

By Lalit RaiEdited By: Published: Tue, 26 Apr 2016 09:48 AM (IST)Updated: Tue, 26 Apr 2016 10:31 AM (IST)

नई दिल्ली। ध्वनि प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए सरकार बड़े बड़े दावें करती हैं। लेकिन केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट कुछ और ही कहती है। रिपोर्ट के मुताबिक मुंबई में शोरगुल का स्तर देश में सबसे ज्यादा है। वहीं वायू प्रदूषण से कराह रही राजधानी दिल्ली चौथे नंबर है।

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सीपीसीबी की रिपोर्ट

-मुंबई

-लखनऊ

- हैदराबाद

-नई दिल्ली

सीपीसीबी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि 2011-14 के दौरान मुंबई में ध्वनि प्रदूषण का स्तर सबसे ज्यादा रहा है। रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली में हरियाली और सड़कों किनारे पेड़ों की संख्या से ध्वनि प्रदूषण पर लगाम लगी है। ध्वनि प्रदूषण के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार गाड़ियों की संख्या को बताया गया है लेकिन जेनरेटर सेट, ऑफिस मशीन, एयरक्रॉफ्ट और कंस्ट्रक्शन गतिविधियों से भी शोर प्रदूषण में इजाफा हो रहा है।

55 डेसीबेल से ज्यादा आवाज खतरनाक

सीपीसीबी ने कहा कि दिन में 55 डेसीबेल और रात में 45 डेसीबेल से ज्यादा आवाज से लोगों में गुस्सा बढ़ रहा है। साथ ही लोग हाइपरटेंशन, अनिद्रा, टिनिटस जैसी समस्या का सामना कर रहे हैं। टिनिटस से लोगों में बहरापन होने के साथ साथ भूलने की भी समस्या आ रही है।

सात शहरों से आंकलन

सीपीसीबी ने सात शहरों की 35 जगहों से रियल टाइम डेटा इकठ्ठा किया था । हालांकि आने वाले समय में 18 राज्यों के 160 जगहों से डेटा इकठ्ठा किया जाएगा। मौजूदा समय में दिल्ली में आईटीओ, दिल्ली कॉलेज ऑफ इंजीनिरिंग द्वारका, दिलशाद गार्डेन और इस्ट अर्जून नगर में सीपीसीबी के मुख्यालय से ध्वनि प्रदूषण पर नजर रखी जाती है।

दिल्ली में दिलशाद गार्डेन, दिल्ली कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग मॉनिटरिंग सेंटर से ध्वनि प्रदूषण का स्तर नियत मानक के अंदर है। सीपीसीबी ने ध्वनि प्रदूषण से निपटने के लिए हरित पट्टी, ग्रीन मफलर जोन बनाने का सुझाव दिया है।

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