Move to Jagran APP

स्वास्थ्यकर्मियों की एक गलती ने टीकाकरण अभियान में दिखाई नई राह, ICMR के अध्ययन में आया सामने नतीजा

मई में सिद्धार्थनगर में 20 लोगों को पहली डोज कोविशील्ड की और दूसरी डोज कोवैक्सीन की लगा दी गई थी। उस समय इसे टीकाकर्मियों की बड़ी लापरवाही के रूप में देखा गया था और वैक्सीन लगाने वालों पर इसके दुष्परिणाम की आशंका भी जताई जाने लगी थी।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Sun, 08 Aug 2021 09:03 PM (IST)Updated: Sun, 08 Aug 2021 09:03 PM (IST)
उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर में स्वास्थ्यकर्मियों की गलती ने टीकाकरण अभियान में एक नई राह दिखाई

 नई दिल्ली, नीलू रंजन। उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर में स्वास्थ्यकर्मियों की एक गलती ने कोरोना वायरस के खिलाफ टीकाकरण अभियान में एक नई राह दिखाई है। यहां कुछ लोगों को पहली डोज कोविशील्ड की लगाई थी। उन्हीं लोगों को दूसरी डोज गलती से कोवैक्सीन की लगा दी गई। यह मामले सामने आया तो टीका लगवाने वालों में दहशत फैल गई। दो डोज में हुई इस गड़बड़ी के प्रभाव का पता लगाने के लिए भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) ने अध्ययन किया तो नतीजे हैरान करने वाले मिले।

loksabha election banner

एक ही व्यक्ति को अलग-अलग वैक्सीन की दो डोज लगाने से मिली बेहतर सुरक्षा

यह पाया गया कि जिन लोगों को एक डोज कोविशील्ड की और दूसरी कोवैक्सीन की लगाई थी, उन लोगों के शरीर में कोरोना वायरस के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता उन लोगों की तुलना में ज्यादा थी, जिन्हें दोनों डोज कोविशील्ड या कोवैक्सीन की दी गई थी। डोज को मिक्स करने की संभावनाओं पर दुनिया भर में अध्ययन किए जा रहे हैं और इस गलती ने इस दिशा में एक नई राह दिखाई है।

UP के सिद्धार्थनगर में 20 लोगों को पहली डोज कोविशील्ड की और दूसरी डोज कोवैक्सीन की लगा दी गई थी

दरअसल, मई में सिद्धार्थनगर में 20 लोगों को पहली डोज कोविशील्ड की और दूसरी डोज कोवैक्सीन की लगा दी गई थी। उस समय इसे टीकाकर्मियों की बड़ी लापरवाही के रूप में देखा गया था और वैक्सीन लगाने वालों पर इसके दुष्परिणाम की आशंका भी जताई जाने लगी थी। वैसे नीति आयोग के सदस्य और कोरोना टीकाकरण पर गठित टास्क फोर्स के प्रमुख डा. वीके पाल ने उस समय साफ किया था कि इससे कोई कोई समस्या नहीं आनी चाहिए, फिर भी उन्होंने लाभार्थियों पर नजर रखने की सलाह दी थी।

एक ही वैक्सीन की दो डोज की तुलना में मिक्स डोज ज्यादा कारगर

अब आइसीएमआर के अध्ययन से साफ हो गया है कि भले ही वैक्सीन की दूसरी डोज गलती से लगी हो, लेकिन लाभार्थियों के लिए यह बेहतर साबित हुई। आइसीएमआर के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक ने कहा कि अध्ययन के लिए दोनों अलग-अलग डोज लेने वाले सभी 20 लोगों से संपर्क किया गया। इनमें से दो ने इसमें भाग लेने से इनकार कर दिया।

इसके बाद 18 लोगों पर अल्फा, बीटा, डेल्टा जैसे कोरोना वायरस के नए वैरिएंट के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता की जांच की गई। इसके साथ ही 40-40 लोगों के दो अन्य समूह भी बनाए गए, जिनमें एक समूह ने दोनों डोज कोविशील्ड ली थी और दूसरे समूह नो दोनों डोज कोवैक्सीन की ली थी। अल्फा, बीटा और डेल्टा वैरिएंट के खिलाफ उनकी प्रतिरोधक क्षमता भी देखी गई।

मिक्स डोज के विचार को मिला बल

अध्ययन से पता चला कि जिन लोगों को गलती से अलग-अलग डोज लगा दी गई थीं, उनमें समान वैक्सीन की दोनों डोज लेने वालों की तुलना में प्रतिरोधक क्षमता अधिक विकसित पाई गई। आइसीएमआर ने कहा है कि उसके अध्ययन से इस विचार को बल मिलता है जिसमें कोविशील्ड की पहली डोज के बाद कोवैक्सीन की दूसरी डोज देने की बात कही जा रही है। जाहिर है आइसीएमआर के अध्ययन के आधार पर आने वाले दिनों सरकार टीकाकरण अभियान में वैक्सीन के अलग-अलग डोज को शामिल कर सकती है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.