अब संसद सत्र के बाद ही हार पर मंथन करेगी कांग्रेस
विदेश से इलाज करा लौटी सोनिया ने अभी नहीं शुरू की है मेल-मुलाकातें..
संजय मिश्र, नई दिल्ली। उत्तरप्रदेश की करारी शिकस्त के बाद कांग्रेस में व्यापक बदलाव की बाट जोह रहे पार्टी कार्यकर्ताओं को अभी कुछ समय और इंतजार करना पड़ेगा। पार्टी के भीतर उत्तरप्रदेश की हार और गोवा-मणिपुर में रणनीतिकारों की राजनीतिक प्रबंधन की कमजोरी पर बहस की जरूरत बताई जा रही है मगर इस पर किसी तरह की बैठक की रूपरेखा नहीं बनी है। इलाज करा कर स्वदेश लौंटी कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने राजनीतिक मेल-मुलाकातों का सिलसिला अभी शुरू नहीं किया है। इसीलिए माना जा रहा कि अब संसद का बजट सत्र खत्म होने के बाद ही कांग्रेस अपनी हार का पोस्टमार्टम करेगी।
विदेश से सोनिया और राहुल गांधी के लौटने के बाद उत्तरप्रदेश में पार्टी की हुई दुर्गति के बाद आगे की राह पर तत्काल चर्चा के कयास कांग्रेस में लगाए जा रहे थे। लेकिन पार्टी के उच्चपदस्थ सूत्रों ने बताया कि सेहत की वजहों से सोनिया गांधी ने वापस आने के बाद अपनी सक्रियता अभी तेज नहीं की है और धीेरे-धीरे वे इसकी शुरूआत करेंगी। स्वदेश वापसी के बाद सोनिया ने केवल अपने राजनीतिक सचिव अहमद पटेल से चर्चा जरूर की है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि भले ही राहुल गांधी उपाध्यक्ष के नाते पार्टी की कमान संभाल रहे हैं मगर उत्तरप्रदेश में कांग्रेस जिस अंधेरे कुंए में चली गई है उससे बाहर निकालने की दशा-दिशा में सोनिया की भूमिका अहम रहेगी। इसलिए हार की समीक्षा के लिए कार्यसमिति की बैठक की तारीख तय नहीं हो पायी है।
हालांकि पार्टी नेता यह जरूर मान रहे हैं कि उत्तरप्रदेश के नतीजों के बाद अब कांग्रेस के पास इन विकट राजनीतिक चुनौतियों से उबरने के लिए वक्त की गुंजाइश नहीं है। इस साल के अंत में गुजरात तो अगले वर्ष की शुरुआत में हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक विधानसभा के चुनाव हैं। तो 2018 के अंत में मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ और राजस्थान के चुनाव हैं और इसके चार-पांच महीने बाद अगला लोकसभा चुनाव होना है। पार्टी की मौजूदा दशा में इन भावी राजनीतिक चुनौतियों की गंभीरता को देखते हुए ही राहुल गांधी ने उत्तरप्रदेश की हार के बाद कांग्रेस के डाउन हालत में होना कबूलते हुए संगठन के ढांचे में व्यापक बदलाव की बात कही थी। बदलाव की रूपरेखा बनने में लग रहे वक्त के बीच कर्नाटक के दिग्गज एसएम कृष्णा के भाजपा में शामिल होने से लेकर गुजरात के वरिष्ठ नेता शंकर सिंह वाघेला की शिष्टाचार के नाते भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से हुई मुलाकात जैसी घटनाएं कांग्रेस में अंदरुनी बेचैनी बढ़ा रही है।
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