Congress President Election: यदि गहलोत और थरूर के बीच हुआ मुकाबला तो किसका पलड़ा होगा भारी..?
कांग्रेस अध्यक्ष पद चुनाव में यूं तो अशोक गहलोत और शशि थरूर में लड़ाई तय मानी जा रही है। क्या कोई तीसरा भी मैदान में उतरेगा इस पर सबकी नजरें टिकी हैं। वैसे यदि अशोक गहलोत और शशि थरूर के बीच टक्कर हुई तो जानें किसका पलड़ा होगा भारी...
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष पद चुनाव के लिए 24 सितंबर से शुरू हो रहे नामांकन के बाद यूं तो अशोक गहलोत और शशि थरूर में लड़ाई तय मानी जा रही है, लेकिन सबकी नजरें इस पर भी टिकी हैं कि क्या कोई तीसरा भी मैदान में उतरेगा। वर्तमान आकलन के अनुसार गांधी परिवार के विश्वस्त गहलोत की जीत में कोई बड़ा रोड़ा नहीं है लेकिन जीत का मार्जिन यह जरूर बताएगा कि जी-23 की सोच कुछ लोगों तक सीमित थी या फिर पार्टी में उसका कोई बड़ा आधार था।
अध्यक्ष के चुनाव के लिए मैदान तैयार
कांग्रेस ने गांधी परिवार से बाहर के अध्यक्ष के चुनाव के लिए मैदान तो तैयार कर दिया है लेकिन यह संदेश हर किसी तक है कि सुप्रीमो या असली चेहरा परिवार ही है। यही कारण है कि राहुल गांधी ने स्पष्ट किया है कि अध्यक्ष बने तो गहलोत को भी मुख्यमंत्री पद छोड़ना ही होगा। अध्यक्ष पद के लिए जो 9000 डेलीगेट चुने गए हैं वह नामांकन के जरिए हैं।
गांधी परिवार का समर्थन होगा निर्णायक
लिहाजा अधिकतर का मतदान भी उनके लिए होगा जिसे गांधी परिवार का समर्थन होगा। बहरहाल, पिछले कुछ महीनों में पार्टी के अंदर चर्चा तेज हुई है और इसलिए एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में थरूर की उम्मीदवारी को बहुत कम कर नहीं आंका जा रहा है। जाहिर तौर पर उन्होंने दावेदारी पेश की है तो लोगों से चर्चा के बाद ही। थरूर का भरोसा उन पर है जो अंदरखाने बदलाव के समर्थक हैं।
दक्षिण के राज्यों में ठीक ठाक समर्थन पाएंगे थरूर
माना जा रहा है कि थरूर दक्षिण के राज्यों में ठीक ठाक समर्थन पाएंगे जबकि उत्तर प्रदेश और राजस्थान में भी कुछ वोट उनके खाते में आ सकता है। चूंकि हर विधानसभा क्षेत्र सेऔसतन दो डेलीगेट होंगे इसलिए व्यक्तिगत संबंधों का भी असर दिख सकता है। लेकिन आखिरी बाजी गहलोत की होने की उम्मीद है। इस बीच पार्टी के अंदर यह अटकलें भी लगने लगी हैं कि 1996 चुनाव की तर्ज पर तीन उम्मीदवारों के बीच भी मुकाबला हो सकता है।
तीसरा कौन देखना दिलचस्प
गहलोत और थरूर के बीच तीसरा कौन होगा यह देखना रोचक होगा। माना जा रहा है कि वह संभावित तीसरा व्यक्ति नाराज खेमे से हो सकता है। वैसे तीसरा कोई भी हो, लड़ाई थरूर के लिए ही कठिन होगी। 1996 मे सीताराम केसरी के खिलाफ शरद पवार और राजेश पायलट ने ताल ठोकी थी जबकि 1998 में सोनिया गांधी के खिलाफ जीतेंद्र प्रसाद भी मैदान में उतरे थे।
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