विकास के रथ पर सवार भाजपा, कांग्रेस ने नोटबंदी व जीएसटी से रोकी रफ्तार
मोदी को सत्ता में अब एक दशक हो गया था लिहाजा हर क्षेत्र में मोदी अपनी उपलब्धियां भी गिनाने लगे
शत्रुघ्न शर्मा, अहमदाबाद। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के ग्रह प्रदेश गुजरात में हो रहा विधानसभा चुनाव बडा ही रोचक हो गया है, चुनाव सूबे का है पर जंग राष्ट्रीय मुद्दों पर हो रहा है। जीएसटी व नोटबंदी को कांग्रेस खूब उछाल रही है वहीं भाजपा विकास के रथ से उतरने को तैयार नहीं है।
बीते दो दशक में यह पहला चुनाव होगा जिसमें मोदी खुद मैदान में नहीं हैं, गुजरात की अस्मिता व गुजराती स्वाभिमान पहले भी मुद्रदा बना आज भी है लेकिन बीते तीन चुनाव जिन नारे, मुद्रदे पर लडा गया इस बार वे अप्रासंगिक हो गए हैं। गोधरा कांड के बाद 2002 में हुए चुनाव में दंगे बनाम हिनदुत्व की लहर बडा मुद्दा बने थे तब मोदी ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के विेदशी होने के मुद्दे को उठाया था अब ये कोई मुद्दा ही नहीं रह गया है। अपने पहले चुनाव में मोदी ने जनता से पहले मतदान पिफर कन्यादान,आाप एक दिन जागो,मैं 5 साल जागुंगा जैसे नारे दिए साथ ही साथ गुजरात के गौरव के लिए उन्होंने आपणुं गुजरात आगवुं गुजरात मतलब अपना गुजरात, आगे गुजरात जैसा नारा दिया। कांग्रेस दंगों के मुद्रदे से आगे नहीं बढ पाई।
2007 के चुनाव में कांग्रेस ने चक दे गुजरात का नारा दिया मोदी को घेरने के लिए सवा लाख चेकडेम व सुजलाम सुफलाम में भ्रष्टाचार के भी आरोप जडे पर मोदी ने जीतेगा गुजरात के नारे पर पूरा चुनाव लड़ लिया, मोदी ने वाईर्बेंट गुजरात निवेशक सम्मेलन में हुए निवेश को भी मुद्दा बनाना शुरु कर दिया था। इसके साथ कच्छ रण महोत्सव, शाला प्रवेशोत्सव, क्रषि महोत्सव, पतंग महोत्सव भी मोदी के तरकश के तीर बनते गए। साथ ही ज्योतिग्राम योजना जिसमें गांव व शहरों को 24 घंटे थ्री फेज बजिली मिलने लगी थी।
नर्मदा बांध के निर्माण को लेकर आ रही बाधाओं को मोदी ने बडा मुद्रदा बना दिया था, मोदी के 51 घंटे के उपवास के बाद लोगोंकी भावनाएं भी इससे जुडती चली गई। उधर कांग्रेस ने पहले सोहराबुद्दीन मुठभेड़ को उछाला फिर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने मोदी को मौत का सौदागर बताकर चुनावी माहौल को गरमा दिया। मोदी ने इसे मुद्दा बनाकर जमकर भुनाया, कांग्रेस एक नारे की वजह से बैकफुट पर आ गई। वर्ष 2012 का चुनाव प्रचार मोदी ने गुजरात के साथ केन्द्र सरकार के अन्याय के मुद्रदे पर फोकस किया। बाकायदा गुजरात के विकास से जुड़े मुद्दे तथ अनुदान व रॉयल्टी के मामलों को उठाकर मोदी ने चुनाव को केन्द्र वर्सेज राज्य बना दिया।
मोदी को सत्ता में अब एक दशक हो गया था लिहाजा हर क्षेत्र में मोदी अपनी उपलब्धियां भी गिनाने लगे, कृषि उत्पादन, नर्मदा कैनाल,गीर जंगल में शेरों की संख्या बढ़ने, राज्य में इंजीनियरिंग, मेडिकल कॉलेज की संख्या बढ़ने, साणंद मे नैनो प्रोजेक्ट,बीआरटीएस, साबरमती पर रिवरफ्रंट, निजी क्षेत्र में रोजगारसृजन, गरीब कल्याण मेले आदि। इसी दौरान मोदी ने आई लव गुजरात, मैं नहीं हम के भी नारे देकर गुजरात को एक टीम बताना शुरु किया। पिछला चुनाव मोदी ने सबका साथ सबका विकास के मुद्रदे पर लड़ा था। साथ ही वे कालाधन, कर्फ्यू मुक्त गुजरात,के साथ उनके खिलाफ सीबीआई, इन्कम टैक्स, सेबी, ईडी आदि लगाने के मामलों को उठाया।
कांग्रेस अब अदाणी व अंबानी सहित मोदी के करीबी उद्योगपतियों को घेरने लगी लेकिन मोदी केन्द्र के अन्याय को केन्द्र में रखकर लड़ते रहे इस चुनाव में भी नर्मदा मुख्य हथियार बना है, अमित शाह व सीएम रुपाणी ने राहुल गांधी से पूछे 5 सवालों में इसे उपर रखाा है भाजपा ने इस बार नारा दिया है मैं हूं गुजरात, मैं हूं विकास वहीं कांग्रेस नवसर्जन गुजरात के नारे पर चुनाव लड रही है। केन्द्र की यूपीए सरकार का भ्रष्टाचार पहले भी प्रमुख मुद्दा था इस चुनाव में भी है। गत चुनाव में भाजपा कालेधन के मुद्रदे को उठा रही थी इस बार नोटबंदी से जोडकर कांग्रेस उठा रही है। इस बार मुद्दे प्रदेश के बजाए देश के उठाए जा रहे हैं, मसला आतंकवाद हो,घुसपेठ हो या पिफर जम्मू कश्मीर का हो।
भाजपा ने विकास के मुद्दे के साथ गुजरात की शांति, कर्फ्यू मुक्त गुजरात, शहरी विकास, मेहसाणा में सुजूकी प्लांट, बुलैट ट्रेन के साथ नोटबंदी, जीएसटी को अपनी उपलब्धी बता रही है वहीं कांग्रेस महंगाई,गैस सिलेंडर के दाम, किसानों को फसल के दाम, युवाओं को रोजगार के मुद्देों को हवा दे रही है।
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