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आंतरिक सुरक्षा में जनसहभागिता जरूरी : फड़नवीस

फड़नवीस ने बताया कि 26/11 हमले के बाद मुंबई में सुरक्षा व्यवस्था सुदृढ़ करने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं।

By Gunateet OjhaEdited By: Published: Sun, 26 Nov 2017 08:44 PM (IST)Updated: Sun, 26 Nov 2017 08:44 PM (IST)
आंतरिक सुरक्षा में जनसहभागिता जरूरी : फड़नवीस

राज्य ब्यूरो, मुंबई। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस का मानना है कि आतंकियों द्वारा अपनाए जा रहे नए-नए तरीकों से निपटने के लिए देश के आम लोगों को भी पुलिस के आंख-कान बनकर रहना होगा। उन्होंने कहा कि जनसहभागिता से ही आतंक के विरुद्ध लड़ाई जीती जा सकती है।

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मुख्यमंत्री 'फोरम फॉर अवेयरनेस ऑफ नेशनल सिक्यूरिटी' नामक स्वयंसेवी संस्था द्वारा मुंबई शेयर बाजार के रोतुंडा सभागार में 26 नवंबर, 2008 को मुंबई में हुए आतंकी हमले की बरसी पर आयोजित कार्यक्रम में बोल रहे थे। कार्यक्रम में 26/11 हमले में शहीद हुए एनएसजी कमांडो संदीप उन्नीकृष्णन के माता-पिता भी शामिल हुए। फड़नवीस ने कहा कि जिन आतंकियों से हमें लड़ना पड़ रहा है, उनके कोई नियम-कानून नहीं होते। वह हमले करने के नए-नए तरीके और रास्ते खोजते रहते हैं। इसलिए पुलिस के साथ-साथ आम नागरिकों को भी मुस्तैद रहने की जरूरत है। यदि आम लोग भी सावधान रहें तो आतंकी प्रयास सफल नहीं हो पाएंगे।

मछुआरों की नौकाओं को दिए जा रहे अलग-अलग रंग के कोड

फड़नवीस ने बताया कि 26/11 हमले के बाद मुंबई में सुरक्षा व्यवस्था सुदृढ़ करने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं। इनमें समुद्री सीमाओं की सुरक्षा भी शामिल है। मछुआरों की नौकाओं को अलग-अलग रंग के कोड प्रदान करने से लेकर उन्हें प्रशिक्षित करने तक का काम किया जा रहा है। महाराष्ट्र में एनएसजी की तर्ज पर एक विशेष सुरक्षा बल 'फोर्स वन' का गठन किया गया है। पुलिस को बड़ी संख्या में बुलेटप्रूफ जैकेट उपलब्ध करवाई गई हैं। किसी भी आपातस्थिति से निपटने के लिए एक केंद्रीकृत नियंत्रण कक्ष बनाया गया है। हाल ही में मुंबई में अत्यधिक बरसात होने के दौरान भी यह कक्ष काफी उपयोगी साबित हुआ। केंद्र एवं राज्य की विभिन्न सुरक्षा एवं गुप्तचर एजेंसियों में आपसी समन्वय भी एक महत्वपूर्ण कदम है। फड़नवीस ने बताया कि महाराष्ट्र एटीएस पिछले कुछ वषरें में दर्जनों युवाओं को आइएस के चंगुल में फंसने से बचा चुका है।

कड़े कदम उठा रहा भारत : हंसराज अहीर

कार्यक्रम में उपस्थित केंद्रीय गृह राज्यमंत्री हंसराज अहीर ने कहा कि मुंबई हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद की नजरबंदी खत्म होने से पाकिस्तान में जश्न मनाया जा रहा है। लेकिन, उसे ज्यादा खुश होने की जरूरत नहीं है क्योंकि अब भारत आतंकी गतिविधियों से निपटने के लिए कड़े कदम उठा रहा है। परिणामस्वरूप कश्मीर में आतंकियों को बड़ी संख्या में जान से हाथ धोना पड़ रहा है। नक्सलवाद में भी 20 से 22 फीसद तक कमी आई है।

बापू इस आजादी से सहमत नहीं थे : इंद्रेश कुमार

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य एवं विचारक इंद्रेश कुमार ने कार्यक्रम में कहा कि हम लोग 70 साल से एक झूठ का प्रचार करते आ रहे हैं कि हमें कांग्रेस ने आजादी दिलवा दी। जबकि सच यह नहीं है। न ही इस आजादी से बापू सहमत थे।

अंग्रेजों ने आजादी का दस्तावेज पेश नहीं किया था। उन्होंने बंटवारे का दस्तावेज पेश किया था। महात्मा गांधी इस दस्तावेज से सहमत नहीं थे। उन्होंने साफ कहा था कि विभाजन हमारी लाश पर होगा। हम विभाजन स्वीकार नहीं करेंगे। उन्होंने कांग्रेस नेताओं से कहा था कि ब्रिटिश हुकूमत से कहो कि आप आजादी के दस्तावेज पर हस्ताक्षर करिए और जाइए। हम बाद में तय कर लेंगे कि हम भाइयों को आपस में क्या करना है। लेकिन, कांग्रेस ऐसा नहीं कर सकी। ब्रिटिश हुकूमत के प्रतिनिधि माउंटबेटन, मुस्लिम लीग पाकिस्तान के प्रतिनिधि मोहम्मद अली जिन्ना एवं भारतीय स्वाधीनता आंदोलन के नेतृत्वकर्ता जवाहरलाल नेहरू आदि ने बंटवारे के दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए, जो महात्मा गांधी को मंजूर नहीं था। यही कारण है कि जब देश आजादी का जश्न मना रहा था तो बापू नोआखाली में थे।

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