इधर आजादी के जश्न की भारत कर रहा था तैयारी, उधर चीन दे रहा था चुनौती
सीमा पर पाकिस्तान आए दिन संघर्ष विराम को ठेंगा दिखा रहा है तो चीनी सेना भी भारतीय हद में घुसपैठ से बाज नहीं आ रही। लद्दाख के बाद चीनी सेना ने अरुणाचल प्रदेश में न केवल घुसपैठ की बल्कि चार दिनों तक जमे रहने के बाद 15 अगस्त को वापस लौटी। यानी स्वतंत्रता दिवस पर जिस समय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह देश को संबोधित कर रहे थे, उस वक्त भी चीनी सेना हमारी हद में डेरा डाले बैठी थी। हालांकि अरुणाचल के चागलागम इलाके में 20 किमी भीतर तक घुस आए चीनी सैनिकों की इस करतूत क
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सीमा पर पाकिस्तान आए दिन संघर्ष विराम को ठेंगा दिखा रहा है तो चीनी सेना भी भारतीय हद में घुसपैठ से बाज नहीं आ रही। लद्दाख के बाद चीनी सेना ने अरुणाचल प्रदेश में न केवल घुसपैठ की बल्कि चार दिनों तक जमे रहने के बाद 15 अगस्त को वापस लौटी। यानी स्वतंत्रता दिवस पर जिस समय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह देश को संबोधित कर रहे थे, उस वक्त भी चीनी सेना हमारी हद में डेरा डाले बैठी थी। हालांकि अरुणाचल के चागलागम इलाके में 20 किमी भीतर तक घुस आए चीनी सैनिकों की इस करतूत को सेना मुख्यालय और विदेश मंत्रालय कमतर बताने में जुटा है।
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इस घटना को भारत की ओर से चीन के साथ उठाए जाने के सवाल पर विदेश मंत्रालय ने कहा कि राजनयिक संबंधों में ऐसे मसलों को नहीं उठाते, जो किसी गंभीर घटना की श्रेणी में नहीं आते। यह पूछे जाने पर कि क्या इस तरह की कोई घटना हुई ही नहीं, मंत्रालय प्रवक्ता सैयद अकबरुद्दीन का कहना था कि इसका निर्धारण सीमा पर बैठे हमारे रक्षक व सैनिक ही करते हैं।
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इस बीच, सेना मुख्यालय भी अरुणाचल में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीनी सैनिकों के भारतीय हद में भीतर तक आने की घटना को कमतर बता रहा है। सेना मुख्यालय सूत्रों के अनुसार ऐसी घटनाएं अक्सर हो जाती हैं, क्योंकि विवादित वास्तविक नियंत्रण रेखा पर दोनों पक्ष अपनी धारणा के अनुसार गश्त करते हैं।
सूत्रों ने बताया कि चागलागाम इलाके में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के जवान भारतीय सरजमीं के 20 किमी से अधिक अंदर आ गए थे। हालांकि इस इलाके से चीन और भारत दोनों की सैन्य चौकियां काफी दूर हैं। चीनी सैनिक 11 अगस्त को इस इलाके में आए थे। 13 तारीख को भारतीय सेना के गश्ती दल ने उन्हें देखा और निर्धारित बैनर दिखाए। इसके बाद 15 अगस्त को उन्हें वहां से हटाया जा सका। इससे पहले दोनों पक्षों की करीब 15 मिनट की बैठक भी हुई।
गौरतलब है कि चीन अरुणाचल प्रदेश को दक्षिण तिब्बत बताते हुए अपना हिस्सा करार देता है। इतना ही नहीं, पूर्वोत्तर भारत के इस सूबे के नागरिकों को चीन अपना नागरिक बताते हुए वीजा देने से भी इन्कार करता है। इससे पहले चीन भारतीय रक्षा मंत्री, प्रधानमंत्री व राष्ट्रपति के अरुणाचल दौरे पर एतराज जताने की हद तक भी जा चुका है।
गत 15 अप्रैल को चीनी सैनिक लद्दाख के दिपसांग इलाके में न केवल 19 किमी भीतर तक भारतीय हद में घुस आए थे, बल्कि उन्होंने तंबू भी लगा लिए थे। इसके बाद भारतीय सेना को भी आमने-सामने की स्थिति में मोर्चा बांधना पड़ा था। इस सैन्य गतिरोध का हल निकालने में तीन हफ्ते का वक्त लगा था। सूत्र बताते हैं कि इस साल बीते 8 महीने में, चीनी पक्ष की ओर से 150 से अधिक बार घुसपैठ की गई। दोनों देशों के बीच चार हजार किलोमीटर से अधिक लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा विवादित है।
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