चिदंबरम ने नोटबंदी और उसकी प्रक्रिया को बताया दोषपूर्ण, याचिकाकर्ता की ओर से सुप्रीम कोर्ट में रखी दलीलें
नोटबंदी को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हुई। नोटबंदी को चुनौती देने वाले एक याचिकाकर्ता की ओर से वकील के तौर पर पेश हुए चार बार के वित्तमंत्री पी. चिदंबरम ने कहा कि नोटबंदी और उसकी प्रक्रिया गलत थी।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। नोटबंदी को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हुई। नोटबंदी को चुनौती देने वाले एक याचिकाकर्ता की ओर से वकील के तौर पर पेश हुए चार बार के वित्तमंत्री पी. चिदंबरम ने कहा कि नोटबंदी और उसकी प्रक्रिया गलत थी। केंद्र सरकार ने नोटबंदी में जो प्रक्रिया अपनाई उसमें भारी खामी थी। सुप्रीम कोर्ट में कुल 58 याचिकाएं लंबित हैं जिनमें नवंबर 2016 में 500 और 1000 के नोट बंद किये जाने को चुनौती दी गई है।
संविधान पीठ नोटबंदी पर कर रही सुनवाई
मामले पर न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर, बीआर गवई, एएस बोपन्ना, वी. रामसुब्रमण्यम और बीवी नागरत्ना की पांच सदस्यीय संविधान पीठ सुनवाई कर रही है। गुरुवार को मामले पर सुनवाई शुरू हुई। याचिकाकर्ता आदिल अलवी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील और पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम ने नोट बंदी और उसकी प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए कोर्ट से इस बारे में फैसला देने का अनुरोध किया। चिदंबरम ने पीठ से कहा कि आरबीआइ की धारा 26(2) की व्याख्या की जानी चाहिए या फिर इसे असंवैधानिक घोषित किया जाए क्योंकि इसमें असीमित शक्तियां दी गई हैं। ये धारा संविधान के अनुच्छेद 14,19,21 और 300ए का उल्लंघन करती है।
अलग से कानून पारित करने की भी मांग
चिदंबरम ने कहा कि किसी सिरीज के नोटों को बंद करने के लिए अलग से कानून पारित होना चाहिए। चिदंबरम ने कहा कि नोटबंदी का फैसला लेने की प्रक्रिया में भारी खामी थी। कोर्ट को उसकी समीक्षा करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि नोटबंदी में तय विधायी प्रक्रिया सरकार की ओर से उलट दी गई थी। इसमें सरकार ने आरबीआइ को प्रस्ताव भेजा था प्रस्ताव आरबीआइ की ओर से नहीं आया था। आरबीआइ ने तो सिर्फ पालन करते हुए संस्तुति दे दी थी। उन्होंने कहा कि आरबीआइ की 500 और 1000 के नोटों को बंद करने की सिफारिश से पहले सुसंगत तथ्यों पर विचार नहीं किया गया न ही गंभीर परिणामों के बारे में सोचा गया।
सरकार पर दस्तावेज मुहैया नहीं कराने के आरोप
उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र सरकार ने प्रक्रिया से जुड़े सारे दस्तावेज कोर्ट के सामने नहीं रखे हैं। इस बात की जानकारी किसी को नहीं थी कि 86 फीसद नोट बंद हो जाएंगे। नोटबंदी से लोगों का रोजगार गया और नागरिकों को भारी परेशानी उठानी पड़ी थी। उन्होंने कहा कि सरकार का कहना है कि नोटबंदी कालेधन पर रोकथाम के लिए की गई थी आंकड़े देखने से पता चलता है कि ऐसा नहीं था। मामले में शुक्रवार को भी बहस जारी रहेगी।
शुक्रवार को फिर होगी सुनवाई
शुक्रवार को दूसरे याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ वकील श्याम दीवान बहस करेंगे। मालूम हो कि केंद्र सरकार ने कुछ दिन पहले सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर नोटबंदी को सही ठहराया था और कहा था कि ये सोचा समझ कर लिया गया फैसला था। नोटबंदी आर्थिक नीति और आर्थिक सुधार का हिस्सा थी। इतना ही नहीं कालाधन, आतंकी फंडिंग आदि पर लगाम लगाने के लिए नोट बंदी की गई थी।