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Chandrayaan-2 Enters into Lunar Orbit: चंद्रमा की कक्षा में दाखिल हुआ चंद्रयान-2, यह है इसरो का अगला प्‍लान

Chandrayaan-2 Enter into Lunar Orbit चंद्रयान-2 ने मंगलवार को सुबह बेहद कड़ी अग्नि परीक्षा पास कर ली। अब वह चंद्रमा की कक्षा में दाखिल हो चुका है। जानें क्‍या थी मुश्किल चुनौती...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Mon, 19 Aug 2019 08:22 AM (IST)Updated: Tue, 20 Aug 2019 03:46 PM (IST)
Chandrayaan-2 Enters into Lunar Orbit: चंद्रमा की कक्षा में दाखिल हुआ चंद्रयान-2, यह है इसरो का अगला प्‍लान

नई दिल्‍ली, एजेंसी। Chandrayaan-2 to enters Moon orbit on Tuesday अपनी लॉन्चिंग के 29 दिन बाद चंद्रयान-2 मंगलवार को सुबह चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश कर गया। इसरो ने अपने बयान में कहा कि लूनर ऑर्बिट इंसर्शन (एलओआई) प्रक्रिया सुबह नौ बजकर दो मिनट पर सफलतापूर्वक पूरी कर ली गई। चंद्रयान-2 सात सितंबर को चंद्रमा पर लैंड करेगा। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (Indian Space Research Organisation, Isro) के लिए यह उपलब्‍ध‍ि एक मील का पत्‍थर साबित होगी। चंद्रयान-2 को 22 जुलाई को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से इसरो के सबसे भारी रॉकेट जीएसएलवी-मार्क 3 (बाहुबली) की मदद से प्रक्षेपित किया गया था। 

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इसरो प्रमुख बोले, बेहद तनावपूर्ण थे ऑपरेशन के 30 मिनट 
इसरो के चेयरमैन के. सिवन (ISRO Chairman K. Sivan) ने बताया कि चद्रयान-2 को चंद्रमा की कक्षा में भेजने के 30 मिनट के ऑपरेशन के दौरान बेहद तनावपूर्ण महौल था। घड़ी की सूई जैसे-जैसे आगे बढ़ रही थी ऑपरेशन कक्ष में तनाव और चिंता बढ़ती जा रही थी। जैसे ही चंद्रयान-2 ने चंद्रमा की कक्षा में सफलतापूर्वक प्रवेश किया सभी के चेहरे खुशियों से खिल उठे। उन्‍होंने कहा कि हम एकबार फ‍िर चंद्रमा की यात्रा पर जा रहे हैं। 

यह है इसरो की अगली योजना 
इसरो के प्रमुख ने चंद्रयान-2 को लेकर अगली योजना का भी खुलासा किया। उन्‍होंने कहा कि हम तीन सितंबर को तीन सेकेंड के लिए कक्षीय बदलाव करेंगे ताकि हम किसी खतरे के बारे में जानकर उसे टाल सकें। इसके बाद चंद्रयान को चंद्रमा की सतह से लगभग 100 किलोमीटर की दूरी पर ध्रुवों के ऊपर से गुजर रही इसकी अंतिम कक्षा में पहुंचाया जाएगा। सात सितंबर को फाइनल लैंडिंग कराई जाएगी। 07 सितंबर 2019 को लैंडर से उतरने से पहले धरती से दो कमांड दिए जाएंगे, ताकि लैंडर को सही सलामत चंद्रमा की सतह पर उतारा जा सके।  

प्रधानमंत्री मोदी ने दी बधाई 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चंद्रयान-2 के सफलतापूर्वक चंद्रमा की कक्षा में पहुंचने पर बधाई देते हुए ट्वीट किया। प्रधानमंत्री ने कहा, 'चंद्रमा की कक्षा में चंद्रयान-2 के दाखिल होने पर टीम इसरो को बधाई। यह चंद्रमा की मील का पत्थर माने जाने वाली यात्रा की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।' इजराइल ने भी चंद्रयान-2 के चंद्रमा की कक्षा में पहुंचने पर भारत को बधाई दी। भारत में इजराइल के दूतावास ने ट्वीट कर कहा, 'चंद्रयान-2 के चंद्रमा की कक्षा में सफलता पूर्वक पहुंचने के लिए भारत और टीम इसरो को बधाई। चंद्रमा की सतह पर अगले महीने होने वाली सॉफ्ट लैंडिंग के लिए भारत और इसरो के वैज्ञानिकों के लिए शुभकामनाएं। 

कल चंद्रमा की अगली कक्षा में होगा दाखिल 
बेंगलूरु के नजदीक ब्याललू स्थित इंडियन डीप स्पेस नेटवर्क (आईडीएसएन) के एंटीना की मदद से बेंगलुरु स्थित इसरो टेलीमेट्री ट्रैकिंग एंड कमांड नेटवर्क (ISTRSC) के मिशन ऑपरेशन्स कांप्लेक्स (MOX) से यान की स्थिति पर लगातार नजर रखी जा रही है। एजेंसी ने बताया कि अगली कक्षीय प्रक्रिया बुधवार को दोपहर साढ़े 12 से डेढ़ बजे के बीच की जाएगी। स्वदेशी तकनीक से निर्मित चंद्रयान-2 में कुल 13 पेलोड हैं। आठ ऑर्बिटर में, तीन लैंडर ‘विक्रम’ जबकि दो रोवर प्रज्ञान में लगे हैं। 

कम की गई यान की रफ्तार  
वैज्ञानिकों ने चंद्रमा के क्षेत्र में प्रवेश करने पर उसके गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव में पहुंचाने के लिए अंतरिक्ष यान की गति को कम की। इसके लिए चंद्रयान-2 के ऑनबोर्ड प्रोपल्‍शन सिस्‍टम को थोड़ी देर के लिए फायर किया गया। इसरो ने बताया कि यह पूरी प्रक्रिया 1,738 सेकेंड की थी और इसके साथ ही चंद्रयान2 चंद्रमा की कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित हो गया। इस दौरान सभी कमांड बिल्‍कुल सटीक और सधे थे। वैज्ञानिकों की मानें तो एक छोटी सी चूक भी यान को अनियंत्रित कर सकती थी। यह बेहद मुश्किल बाधा थी जिसे चंद्रयान-2 ने सफलतापूर्वक पार कर लिया। 

एक बार फिर शुरू होगी कक्षा में बदलाव की प्रक्रिया
इसरो के वैज्ञानिकों की मानें तो चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश करने के बाद चंद्रयान-2 31 अगस्त तक चंद्रमा की कक्षा में परिक्रमा करता रहेगा। इस दौरान एक बार फिर कक्षा में बदलाव की प्रक्रिया शुरू होगी। इसरो के मुताबिक, यान को चांद की सबसे करीबी कक्षा तक पहुंचाने के लिए कक्षा में चार बदलाव किए जाएंगे। इस तरह तमाम बाधाओं को पार करते हुए यह सात सितंबर को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड करेगा जिस हिस्‍से में अभी तक मानव निर्मित कोई यान नहीं उतरा है।

चंद्रयान-2 की अपील हर अपडेट के लिए मुझसे जुड़े रहें 
बीते दिनों चंद्रयान-2 ने धरती पर अपनी अच्छी सेहत और शानदार यात्रा के बारे में संदेश भेजा था। यान की ओर से भेजे गए संदेश में कहा गया था, 'हेलो! मैं चंद्रयान-2 हूं, विशेष अपडेट के साथ। मैं आप सबको बताना चाहूंगा कि अब तक का मेरा सफर शानदार रहा है। मैं कहां हूं और क्या कर रहा हूं, यह जानने के लिए मेरे साथ जुड़े रहें।' 22 जुलाई को प्रक्षेपित किया गया चंद्रयान-2 अब तक कई बदलावों से गुजर चुका है। छठा बदलाव 14 अगस्त को किया गया था। इस बदलाव के जरिये यान को लुनर ट्रांसफर ट्रेजेक्टरी (एलटीटी) पर पहुंचा दिया गया था। एलटीटी वह पथ है, जिस पर बढ़ते हुए यान चांद की कक्षा में प्रवेश करेगा। इस प्रक्रिया को ट्रांस लुनर इंसर्शन (टीएलआइ) कहा जाता है। पूरी खबर... 

बदली जाएगी चंद्रयान-2 की दिशा 
चंद्रमा का चुंबकीय प्रभाव 65,000 किलोमीटर तक का है, जिसका अर्थ है कि उस दूरी तक वह अंतरिक्ष पिंडों को खींच सकता है। चंद्रयान-2 जब चंद्रमा की कक्षा से जब लगभग 150 किलोमीटर दूर था तभी इसरो ने इसके अभिविन्‍यास की प्रक्रिया शुरू कर दी थी। इसरो ने चंद्रयान-2 को एक ऐसा वेग प्रदान किया जिससे कि यह चंद्रमा की कक्षा में आसानी से प्रवेश कर गया। वैज्ञानिकों ने चंद्रयान-2 के वेग को कम किया और इसकी दिशा भी बदली। यह भारत का दूसरा चंद्र अभियान है।  2008 में भारत ने आर्बिटर मिशन चंद्रयान-1 भेजा था। यान ने करीब 10 महीने चांद की परिक्रमा करते हुए प्रयोगों को अंजाम दिया था। चांद पर पानी की खोज का श्रेय भारत के इसी अभियान को जाता है।

बढ़ाई जा सकती है ऑर्बिटर की मियाद 
चंद्रयान-2 में तीन हिस्से हैं - ऑर्बिटर, लैंडर 'विक्रम' और रोवर 'प्रज्ञान'। लैंडर और रोवर चांद की सतह पर उतरकर प्रयोग का हिस्‍सा बनेगा जबकि ऑर्बिटर करीब सालभर चांद की परिक्रमा कर शोध को अंजाम देगा। हालांकि, इसरो अधिकारियों का कहना है कि चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर के जीवन काल को एक साल और बढ़ाया जा सकता है। करीब 978 करोड़ रुपये के मिशन चंद्रयान-2 से जुड़े वैज्ञानिकों के मुताबिक, कक्षा में सारे बदलाव के बाद अंत में ऑर्बिटर के पास 290.2 किलोग्राम ईंधन होना चाहिए ताकि चंद्रमा के चक्‍कर लगा सके। अभी इतना ईंधन है कि चंद्रमा की कक्षा में दो साल तक चक्‍कर लगाया जा सकता है। हालांकि, सब कुछ परिस्थितियों पर निर्भर करेगा। 

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