अब सामने आया तीन हजार करोड़ का GST घोटाला, इस तरह बनाए थे फर्जी बिल
दैनिक जागरण की खबर पर कार्रवाई करते हुए सेंट्रल जीएसटी ने फर्जी बिलिंग का पर्दाफाश हुआ। सेंट्रल जीएसटी की पांच टीमों ने पानीपत की 18 परिसरों में दबिश देकर 50 फर्म की चिह्नित किया।
पानीपत [महावीर गोयल]। टैक्स प्रक्रिया को सरल बनाने और चोरी रोकने के लिए मोदी सरकार ने एक देश-एक टैक्स कॉन्सेप्ट पर गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) लागू किया तो टैक्स चोरों ने इसमें भी सेंध लगा दी। घोटालेबाजों ने बड़ा हेरफेर करते हुए तीन हजार करोड़ रुपये तक का गोलमाल कर दिया। जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ेगी, देशभर में घोटाला और ज्यादा बड़ा हो सकता है। फिलहाल पानीपत में सेंट्रल जीएसटी की टीम डटी हुई है। अफसर भी हैरान हैं कि इतना बड़ा बिल का फर्जीवाड़ा हो कैसे गया। टैक्स चोरी की खबर को विस्तार से आगे पढि़ए।
15 टीमों ने पानीपत में फर्जी बिलिंग मामले में छापामारी की। इस दौरान दो फर्जी फर्मों का रहस्योद्घाटन करते हुए 450 करोड़ की फर्जी बिलिंग का भंडाफोड़ किया। 75 अफसरों की टीमों का नेतृत्व कमिश्नर राजेश आनंद ने किया। टीमों ने 18 परिसरों में छापामारी कर 50 फर्मों को चिह्नित किया। इनमें से 15 फर्मों ने फर्जी बिलिंग की बात स्वीकार कर ली है। अधिकारियों का कहना है कि यह फर्जीवाड़ा तीन हजार करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है। इस कार्रवाई से यार्न और कंबल उद्यमियों में हड़कंप मचा रहा। फर्जी बिल काटने वाला मास्टरमाइंड फरार हो गया। फर्जीवाड़ा करने वाली फर्मों ने ज्यादातर बिल यार्न और कंबल बाजार के व्यापारियों के काटे थे।
कई व्यापारी शामिल, पूरी चेन बनी है
अधिकारियों ने बताया कि फर्जीवाड़े में कई व्यापारी शामिल हैं। पूरी चेन बनी हुई है। मामले के जांच चल रही है। हरियाणा और दिल्ली सहित कई राज्यों में नेटवर्क फैला हुआ है। देश के नामचीन व्यापारी इस फर्जीवाड़े में शामिल हैं।
एक फर्म ने काटे 450 करोड़ के फर्जी बिल
फर्जी बिल बनाने के मामले में मुख्य रूप से ललित ट्रेडिंग कंपनी और सिद्धि विनायक टेक्सटाइल नामक फर्म शामिल हैं। अकेले ललित ट्रेडिंग कंपनी ने 450 करोड़ रुपये के बिल सिद्धि विनायक टेक्सटाइल कंपनी के नाम से काटे हैं। सिद्धि विनायक टेक्सटाइल ने आगे बिल काट दिए। ज्यादातर बिल कंबल और यार्न व्यापारियों को काटे गए हैं। ताज्जुब की बात यह है कि इन बिलों पर न तो माल लिया गया और न ही बेचा गया। साथ ही इनके ई-वे बिल भी बनाए गए। मास्टरमाइंड के बैंक खातों को भी खंगाला गया है। जहां से 12-12 लाख के चेक का भुगतान हुआ है।
फर्जीवाड़े के तार यूपी, दिल्ली, पंजाब, महाराष्ट्र, गुजरात से जुड़े
प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि जीएसटी फर्जीवाड़े के तार उत्तर प्रदेश, दिल्ली, पंजाब, महाराष्ट्र और गुजरात से जुड़े हैं। इन राज्यों में भी फर्जी बिल दिए गए हैं। व्यापारियों के नाम से डमी वेबसाइट भी मिली है। इन राज्यों में बनाई गई कई बोगस फर्मों के कागजात भी सेंट्रल जीएसटी की टीमों ने जब्त किए हैं। फर्मों ने जीएसटी रजिस्ट्रेशन तो कराया, लेकिन कोई फर्म नहीं बनी है।
और भी फर्मों की पहचान
450 करोड़ के फर्जीवाड़े के मामले के अतिरिक्त और भी कई फर्मों की सेंट्रल जीएसटी टीमों ने पहचान की है। बहुत सी ऐसी फर्मों की पहचान की गई है, जो एक ही बिल्डिंग में फर्जी रूप से चल रही हैं। पंचकूला से आई सेंट्रल जीएसटी की टीमों ने 18 फर्मों की जांच की। 15 फर्मों ने बिल आने की बात स्वीकारी। मामले की जांच अभी चल रही है।
उद्यमियों ने टिफिन सप्लायर को बना दिया करोड़पति
टीमों ने जांच की तो सामने आया कि 450 करोड़ के बिल काटने वाली ललित ट्रेडिंग कंपनी टिफिन सप्लायर की आइडी से रजिस्ट्रर्ड है। दैनिक जागरण ने टिफिन सप्लायर से संपर्क किया तो वह पूरे मामले से अनभिज्ञ मिला। वह शहर में 30 गज के मकान में रहता है।
27 दिसंबर को दैनिक जागरण में प्रकाशित खबर।
दैनिक जागरण ने 27 दिसंबर को किया था पर्दाफाश
दैनिक जागरण ने 27 दिसंबर के अंक में 'जीएसटी : पानीपत में 500 करोड़ की फर्जी बिलिंगÓ शीर्षक से फर्जीवाड़े को प्रमुखता से प्रकाशित किया था। अधिकारियों ने इस पर संज्ञान लेते हुए शुक्रवार को बड़ी कार्रवाई की।
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तीन हजार करोड़ का हो सकता है फर्जीवाड़ा
सेंट्रल जीएसटी के एक संयुक्त कमिश्नर ने बताया कि 450 करोड़ के फर्जी बिलों का रैकेट पकड़ में आ चुका है। मामले की जांच चल रही है। और भी अधिक फर्में पकड़ में आएंगी। फर्जी बिलों के माध्यम से सरकार को चूना लगाया जा रहा है। फर्जीवाड़ा करीब तीन हजार करोड़ तक पहुंचने की आशंका है।