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छोटे-मझोले उद्यमों की दिक्कतें दूर करने के लिए केंद्र सरकार ने उठाए कदम

मंत्रिसमूह जीएसटी काउंसिल की गोवा में 28-29 सितंबर को होने वाली अगली बैठक से पहले अपनी रिपोर्ट दे सकता है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Sun, 12 Aug 2018 08:49 PM (IST)Updated: Mon, 13 Aug 2018 12:13 AM (IST)
छोटे-मझोले उद्यमों की दिक्कतें दूर करने के लिए केंद्र सरकार ने उठाए कदम

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कई दर्जन वस्तुओं और सेवाओं पर जीएसटी की दर घटाकर मध्यम वर्ग को राहत देने के बाद सरकार अब छोटे और मझोले उद्यमों की कठिनाइयां दूर करने में जुट गयी है। इसी दिशा में कदम उठाते हुए केंद्र ने सभी परोक्ष कर अधिकारियों से कहा है कि वे एमएसएमई क्षेत्र से जुड़े मुद्दों को हल करने के लिए कदम उठाएं।

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सूत्रों के मुताबिक सेंट्रल बोर्ड ऑफ इनडाइरेक्ट टैक्स यानी सीबीआइसी के अध्यक्ष एस रमेश ने सभी परोक्ष कर अधिकारियों को पत्र लिखकर इस संबंध में कदम उठाने को कहा है। उन्होंने इस पत्र में कहा है कि एमएसएमई उद्योग देश में कृषि क्षेत्र के बाद सर्वाधिक रोजगार देने वाला क्षेत्र है।

सरकार हमेशा ही इस क्षेत्र की कठिनाइयों के प्रति सजग रही है। इसलिए जीएसटी के सभी अधिकारियों को एमएसएमई की सुविधा के लिए प्रयास करने तथा इस दिशा में किए गए उपायों के बारे में उद्यमियों को जागरुक बनाने के लिए कदम उठाने चाहिए।

रमेश ने यह पत्र ऐसे समय लिखा है जब एक हफ्ते पहले ही केंद्रीय वित्त मंत्री पीयूष गोयल की अध्यक्षता में हुई जीएसटी काउंसिल की 29वीं बैठक में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों की समस्याओं के समाधान और सुझावों पर अमल के लिए एक मंत्रिसमूह गठित करने का निर्णय किया गया था।

जीएसटी काउंसिल ने एमएसएमई क्षेत्र पर किया है मंत्रिसमूह का गठन

केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री शिव प्रताप शुक्ला की अध्यक्षता वाले मंत्रिसमूह में बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी, दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, असम के वित्त मंत्री हेमंत विश्व शर्मा, केरल के वित्त मंत्री थॉमस आइजैक और पंजाब के वित्त मंत्री मनप्रीत बादल शामिल हैं। माना जा रहा है कि यह समूह जीएसटी काउंसिल की गोवा में 28-29 सितंबर को होने वाली अगली बैठक से पहले अपनी रिपोर्ट दे सकता है।

गौरतलब है कि देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में तकरीबन एक तिहाई योगदान एमएसएमई क्षेत्र का ही है। वर्ष 2014-15 में जीडीपी में एमएसएमई क्षेत्र की मैन्युफैक्चरिंग इकाइयों का योगदान करीब 6.11 प्रतिशत और सेवा-प्रदाता कंपनियों का योगदान 24.63 प्रतिशत था।

हालांकि पिछले कुछ वषरें में सेवा क्षेत्र में तो एमएसएमई इकाइयों का योगदान धीमे-धीमे बढ़ा है, लेकिन मैन्युफैक्चरिंग में यह स्थिर बना हुआ है। यही वजह है कि सरकार ने इसके विस्तार के लिए आम बजट 2018-19 में महत्वपूर्ण राजकोषीय प्रोत्साहनों की भी घोषणा की थी।


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