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नक्सलियों के आर्थिक स्रोत पर अंकुश लगाने के लिए केंद्र सरकार ने समूह गठित किया

नक्सलियों के आर्थिक स्रोत पर अंकुश लगाने के लिए सरकार ने बहु-अनुशासनिक समूह का गठन किया है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Mon, 07 May 2018 06:20 PM (IST)Updated: Mon, 07 May 2018 11:00 PM (IST)
नक्सलियों के आर्थिक स्रोत पर अंकुश लगाने के लिए केंद्र सरकार ने समूह गठित किया

नई दिल्ली, प्रेट्र। नक्सलियों के आर्थिक स्रोत पर अंकुश लगाने के लिए सरकार ने बहु-अनुशासनिक समूह का गठन किया है। यह समूह नक्सलियों के नेताओं की संपत्ति भी जब्त करेगा। गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने सोमवार को बताया कि समूह में विभिन्न केंद्रीय एजेंसियों के अधिकारियों को शामिल किया गया है।

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-नक्सली नेताओं की संपत्ति जब्त करेगा बहु-अनुशासनिक समूह

अधिकारी ने कहा कि समूह का नेतृत्व एक अतिरिक्त सचिव के हाथों में सौंपा गया है और इसमें गुप्तचर ब्यूरो, प्रवर्तन निदेशालय, राजस्व गुप्तचर निदेशालय, एनआइए और सीबीडीटी (केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड) और सीबीआइ के प्रतिनिधि शामिल किए गए हैं। समूह में राज्य के खुफिया विभाग और सीआइडी के प्रतिनिधि भी शामिल हैं। इसके साथ ही गृह मंत्रालय ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) में अलग से शाखा तैयार करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। यह कदम वामपंथी आतंकवाद से संबंधित मामलों की जांच के लिए उठाया जा रहा है।

भयादोहन से जुटाए जा रहे धन के बड़े हिस्से का इस्तेमाल नक्सली नेता अपनी निजी संपत्ति बनाने में कर रहे हैं। अक्सर यह आरोप लगता रहा है कि नक्सली नेताओं के बच्चे बेहतर शिक्षा पा रहे हैं और उनके परिवार को जीवन की सभी सुख-सुविधाएं हासिल हैं। जबकि उनके नेता जंगलों में छिपकर अपने साथियों को गुमराह करते हैं। जानकारी सामने आने पर सरकार ने यह कदम उठाया है।

अधिकारियों के मुताबिक, देश में चरम वामपंथी आतंकवाद को संदिग्ध गतिविधियों के माध्यम से वित्तीय मदद मिलती है। प्राइवेट ठेकेदारों, खनन ठेकेदारों, ट्रांसपोर्टरों और लघु एवं मध्यम उद्योगों के मालिकों से नक्सली लेवी वसूलते हैं। इसके अलावा गैरकानूनी रूप से पत्थर तोड़ने वालों से वसूली की जाती है और नक्सली साहित्य का वितरण किया जाता है।

जांच में पता चला कि भाकपा (माओवादी) बिहार-झारखंड विशेष क्षेत्र समिति के सदस्य प्रद्युम्न शर्मा ने पिछले वर्ष एक निजी मेडिकल कॉलेज में अपनी भतीजी के नामांकन के लिए 22 लाख रुपये खर्च किए थे। भाकपा (माओवादी) के एक अन्य सदस्य संदीप यादव ने नोटबंदी के दौरान 15 लाख रुपये दिए थे। यादव की बेटी एक प्रतिष्ठित निजी कॉलेज में पढ़ रही है और उनका बेटा एक निजी इंजीनियरिंग कॉलेज का छात्र है। एक अन्य नक्सली नेता अरविंद यादव ने अपने भाई को निजी इंजीनियरिंग कॉलेज में नामांकन कराने पर 12 लाख रुपये खर्च किए थे।

प्रवर्तन निदेशालय ने इन चारों के खिलाफ मनी लांड्रिंग रोकथाम अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया है और 1.5 करोड़ रुपये व 32 एकड़ जमीन अटैच की है। इसके अलावा नोटबंदी के दौरान एक करोड़ सहित 2.45 करोड़ रुपये की नकदी जब्त की गई।


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