नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीशों की नियुक्ति को लेकर सरकार और न्यायपालिका के बीच चल रही खींचतान थमने का नाम नहीं ले रही। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के हाई कोर्ट के जजों के तबादलों की सिफारिशों को मंजूरी देने का मामला लटकाए रखने पर गहरी नाराजगी जताई।

जल्द ही नियुक्ति आदेश होगा जारी

कोर्ट ने कहा कि हमें ऐसा स्टैंड लेने को मजबूर न करें जो सरकार को असहज कर दे। केंद्र सरकार ने सर्वोच्च अदालत को बताया कि सुप्रीम कोर्ट में पांच जजों की नियुक्ति की कलेजियम की सिफारिश पर जल्द ही नियुक्ति आदेश जारी होगा। ये टिप्पणियां शुक्रवार को जस्टिस संजय किशन कौल और एएस ओका की पीठ ने जजों की नियुक्ति की कलेजियम की सिफारिशों को लागू करने में केंद्र के ढीले रवैये का मुद्दा उठाने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान कीं।

केंद्र के रविवार तक नियुक्ति की संभावना पर कोर्ट ने कहा-बताओ तय तिथि

केंद्र सरकार की ओर से पेश अटार्नी जनरल आर. वेंकेटरमणी ने सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति के लिए कलेजियम के भेजे पांच नामों की सिफारिश पर कहा कि इनके बारे में जल्दी नियुक्ति आदेश जारी होगा। पीठ ने कहा कि कलेजियम ने सुप्रीम कोर्ट में पांच न्यायाधीशों की नियुक्ति की सिफारिश पिछले साल दिसंबर में की थी और अब फरवरी आ गया है, कब तक आदेश जारी होगा। अटार्नी जनरल ने कहा कि रविवार तक जारी हो जाना चाहिए। लेकिन जब पीठ ने आदेश में निश्चित समय लिखने की बात कही तो अटार्नी जनरल ने कहा कि निश्चित समय न लिखें, लेकिन आदेश जल्दी जारी होगा।

13 को फिर सुनवाई

कोर्ट ने कलेजियम की लंबित सिफारिशों पर निर्णय लेने के लिए सरकार को समय देते हुए मामले की सुनवाई 13 फरवरी तक के लिए टाल दी। सुप्रीम कोर्ट कलेजियम ने पांच नामों की सिफारिश 13 दिसंबर को और दो नामों की सिफारिश 31 जनवरी को भेजी थी। 13 दिसंबर को कलेजियम ने राजस्थान हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश पंकज मित्तल, पटना हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजय करोल, मणिपुर हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश पीवी संजय कुमार और पटना हाई कोर्ट के जज अहसनुद्दीन अमानुल्लाह और इलाहाबाद हाई कोर्ट के न्यायाधीश मनोज मिश्रा की नियुक्ति की सिफारिश की थी।

सभी सिफारिशें सरकार के पास लंबित

31 जनवरी को कलेजियम ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल और गुजरात हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश अरविंद कुमार को सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश नियुक्ति करने की सिफारिश की थी। सभी सिफारिशें सरकार के पास लंबित हैं। केंद्र की ओर से पेश अटार्नी जनरल ने कहा कि हाई कोर्ट में न्यायाधीशों की नियुक्ति के मामले में सरकार को थोड़ा और समय दे दिया जाए। इसके बाद पीठ ने हाई कोर्ट के न्यायाधीशों के स्थानांतरण की लंबित सिफारिशों के बारे में पूछा।

स्थानांतरण की सिफारिशों में सरकार की भूमिका

पीठ ने कहा कि अगर आप स्थानांतरण संस्तुतियों को लागू नहीं कर रहे तो हमसे क्या चाहते हैं। क्या हम उन लोगों से न्यायिक कार्य वापस ले लें। कलेजियम चाहती है कि किसी का ए हाई कोर्ट के बजाए बी हाई कोर्ट में काम करना ज्यादा उचित होगा और सरकार स्थानांतरण का मामला लटकाए है। अगर नई नियुक्तियों की बात होती तो भी मानते कि सरकार को कुछ कहना होगा लेकिन स्थानांतरण की सिफारिशों में सरकार की क्या भूमिका है।

प्रशासनिक और न्यायिक हो सकती है कार्रवाई

पीठ ने कहा कि वह किसी तीसरे पक्ष को खेल करने की इजाजत नहीं देंगे। न्यायाधीशों के स्थानांतरण में कोई भी देरी का परिणाम प्रशासनिक और न्यायिक कार्रवाई हो सकती है जो कि रुचिकर नहीं होगा। पीठ ने अटार्नी जनरल से कहा कि कलेजियम ने जिन नामों को मुख्य न्यायाधीश नियुक्ति करने की संस्तुति की थी उनमें एक न्यायाधीश 19 दिनों में सेवानिवृत होने वाला है, आप चाहते हैं कि वह मुख्य न्यायाधीश नियुक्ति बगैर ही रिटायर हो जाएं। अटार्नी जनरल ने कहा कि वह इससे अवगत हैं और जरूरी कार्रवाई की जा रही है।

यह भी पढ़ें- Fact Check: यूएई के शहर का नाम 'अल हिंद' रखने के पीछे नहीं है हिंदुस्तान से कोई लेना-देना

यह भी पढ़ें- New Income Tax Slab 2023: अगर पर्याप्त कटौती है तो ओल्ड स्कीम आपके लिए बेहतर, नहीं तो नई स्कीम में ही फायदा

Edited By: Ashisha Singh Rajput