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अर्थव्‍यवस्‍था में जान फूंकेगा केंद्र का तीसरा आर्थिक पैकेज, अब तक 2.65 लाख करोड़ का हो चुका है एलान

कोविड-19 की वजह से गिरती अर्थव्‍यवस्‍था को सुधारने के लिए केंद्र सरकार अब तक 2.65 लाख करोड़ रुपये के पैकेज का एलान कर चुकी है। इस पैकेज की वजह से अर्थव्‍यवस्‍था को नई ताकत मिली है और उसमें तेजी आई है।

By Kamal VermaEdited By: Published: Wed, 18 Nov 2020 07:46 AM (IST)Updated: Wed, 18 Nov 2020 07:46 AM (IST)
अर्थव्‍यवस्‍था में जान फूंकेगा केंद्र का तीसरा आर्थिक पैकेज, अब तक 2.65 लाख करोड़ का हो चुका है एलान
केंद्र अब तक कर चुका है 2.65 लाख करोड़ रुपये का एलान

डॉ. जयंतीलाल भंडारी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत तीसरे आर्थिक पैकेज में अर्थव्यवस्था की सेहत सुधारने के लिए 2.65 लाख करोड़ रुपये की धनराशि खर्च करने का एलान किया है। इसमें दो तरह की राहतें शामिल हैं। पहली है दस उद्योग क्षेत्रों के लिए 1.46 लाख करोड़ रुपये की उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (पीएलआइ) योजना। दूसरी है अर्थव्यवस्था को गतिशील करने के लिए रोजगार सृजन, स्वास्थ्य क्षेत्र के विकास, रियल एस्टेट कंपनियों को कर राहत, ढांचागत क्षेत्र में पूंजी निवेश की सरलता, किसानों के लिए उवर्रक सब्सिडी, ग्रामीण विकास तथा निर्यात सेक्टर को राहत देने के 1.19 लाख करोड़ रुपये के प्रावधान। उल्लेखनीय है कि कोविड-19 की चुनौतियों का सामना कर रही अर्थव्यवस्था को मुश्किलों से उबारने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आत्मनिर्भर भारत अभियान का विजन सामने रखा है। इसके तहत इस वर्ष मार्च से लेकर अब तक सरकार 29.87 लाख करोड़ रुपये की राहतों का एलान कर चुकी है।

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नि:संदेह कोविड-19 की चुनौतियों के बीच आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत दी गई राहतों के बाद इस समय देश की अर्थव्यवस्था में नई मांग के निर्माण और निवेश के लिए एक और आर्थिक पैकेज की जरूरत महसूस हो रही थी। इसमें कोई दो मत नहीं है कि आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत दी गई विभिन्न राहतों से तेजी से गिरती हुई अर्थव्यवस्था को बड़ा सहारा मिला है। साथ ही सरकार की ओर से जून 2020 के बाद अर्थव्यवस्था को धीरे-धीरे खोलने की रणनीति के साथ राजकोषीय और नीतिगत कदमों का अर्थव्यवस्था पर अनुकूल असर पड़ा है। नवंबर 2020 में देश का ऑटोमोबाइल सेक्टर, बिजली सेक्टर, रेलवे माल ढुलाई सेक्टर सुधार के संकेत दे रहे हैं। दूरसंचार, ई-कॉमर्स, आइटी और फार्मास्युटिकल्स जैसे क्षेत्रों में मांग बढ़ने लगी है। निर्यात बढ़ने के साथ-साथ शेयर बाजार भी अच्छी बढ़त दर्ज कर रहा है। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रह में छह महीने गिरावट के बाद सितंबर और अक्टूबर 2020 में अच्छी बढ़ोतरी हुई है। ऐसे में अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के मद्देनजर तीसरा पैकेज लाभप्रद दिखाई दे रहा है।

तीसरे आर्थिक पैकेज का बड़ा जोर अर्थव्यवस्था में नौकरियों के सृजन पर है। रोजगार और नौकरी देने के लिए प्रोत्साहन हेतु तीन बड़े उपायों की घोषणा की गई है। पहला, सरकार ने अक्टूबर 2020 और जून 2021 के बीच नौकरी देने पर कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) योगदान में सब्सिडी देने के लिए आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना प्रस्तुत की है। इसके तहत कुल 36,000 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है, जिसमें से 6,000 करोड़ रुपये चालू वित्त वर्ष 2020-21 में खर्च किए जाएंगे। दूसरा, सरकार ने प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए बजट आवंटन को चालू वित्त वर्ष 2020-21 में मौजूदा 8,000 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 26,000 करोड़ रुपये कर दिया है। इससे निर्माण क्षेत्र में 78 लाख अतिरिक्त रोजगार अवसर निर्मित हो सकेंगे।

तीसरा, चालू वित्त वर्ष में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण रोजगार योजना के लिए बजट आवंटन में 10,000 करोड़ रुपये का इजाफा किया गया है। यह योजना गांवों में लौटे प्रवासी मजदूरों को रोजगार मुहैया कराने में उपयोगी है। इन कदमों से रोजगार सृजन होगा। उद्योगों को संकट से उबारने के लिए नई ऋण गारंटी योजना लाई गई है। इमरजेंसी क्रेडिट लाइन गारंटी स्कीम (ईसीजीएलएस) को 31 मार्च, 2021 तक बढ़ाया गया है, जिसके तहत 20 फीसद कार्यशील पूंजी देने का प्रावधान है। इसके तहत कोलेट्रल फ्री लोन देने का भी प्रावधान है। कामत कमेटी की सिफारिशों के अनुसार 26 दबावग्रस्त सेक्टरों और स्वास्थ्य सेक्टर के लिए ईसीजीएलएस के तहत लाभ देने का काम सरकार ने किया है। योजना के तहत ऋण स्थगन की समय सीमा को भी इस साल दिसंबर से बढ़ाकर अगले वर्ष मार्च 2021 कर दिया गया है, जिससे दबावग्रस्त क्षेत्रों में शामिल कॉरपोरेट जगत को मदद मिलेगी।

दबावग्रस्त क्षेत्रों में विमानन, बिजली, निर्माण, इस्पात, सड़क और रियल एस्टेट सहित कई क्षेत्र शामिल हैं। इसके तहत रियल एस्टेट और निर्माणकर्ताओं को प्रोत्साहन दिए गए हैं। कंस्ट्रशन और इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में लगीं कंपनियों को कैपिटल और बैंक गारंटी में राहत दी गई है। परफॉर्मेस सिक्योरिटी को कम करके तीन प्रतिशत किया गया है, जिससे ठेकेदारों को राहत मिलेगी। निर्माणकर्ताओं और घर खरीदारों को इनकम टैक्स में राहत दी गई है। इससे रियल एस्टेट बूस्ट होगा और मध्यम वर्ग राहत की सांस लेगा। सर्कल रेट और एग्रीमेंट वैल्यू में अंतर को 10 फीसद से बढ़ाकर 20 फीसद करने का फैसला किया गया है। मकान के खरीदारों को नए आर्थिक पैकेज में अतिरिक्त वित्तीय लाभ मिलेगा और सस्ते एवं मध्यम श्रेणी के मकानों की मांग बढ़ेगी।

तीसरे आर्थिक पैकेज की कुछ और राहतें बड़ी महत्वपूर्ण हैं। कोविड-19 वैक्सीन के शोध एवं विकास के लिए 900 करोड़ रुपये के प्रोत्साहन की घोषणा की गई है। सरकार द्वारा कोरोना वायरस वैक्सीन के लिए घोषित यह पहला वित्तीय पैकेज है। इससे निश्चित रूप से वैक्सीन से संबंधित नई परियोजनाएं शुरू करने में मदद मिलेगी। 14 करोड़ किसानों को खाद मुहैया कराने के लिए वित्त वर्ष 2020-21 में 65,000 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है। इससे किसानों को उर्वरक संबंधी लाभ दिए जा सकेंगे। निश्चित रूप से देश की अर्थव्यवस्था को गतिशील करने के लिए जिस तरह विभिन्न राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय अध्ययन रिपोर्ट में सुझाव दिए जा रहे थे, उनके मद्देनजर तीसरा आर्थिक पैकेज अत्यधिक लाभप्रद दिखाई दे रहा है। उम्मीद है कि आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत घोषित किए गए तीसरे आर्थिक पैकेज से अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों को प्रोत्साहन मिलेगा। 

कोविड-19 की चुनौतियों का सामना कर रही अर्थव्यवस्था को मुश्किलों से उबारने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आत्मनिर्भर भारत अभियान का विजन सामने रखा है। इसके तहत इस वर्ष मार्च से लेकर अब तक सरकार 29.87 लाख करोड़ रुपय की राहतों का एलान कर चुकी है। इससे देश की गिरती हुई अर्थव्यवस्था को बड़ा सहारा मिला है। नि:संदेह इस समय देश की अर्थव्यवस्था में नई मांग के निर्माण और निवेश के लिए एक और आर्थिक पैकेज की जरूरत महसूस हो रही थी, जिसकी सरकार ने घोषणा की है। उम्मीद है इससे अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों को प्रोत्साहन मिलेगा

देश को मैन्यूफैक्चरिंग हब बनाने की पहल

उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (पीएलआइ) योजना का मकसद देश को वैश्विक सप्लाई चेन का अहम हिस्सा बनाना, देश में विदेशी निवेश आकर्षति करना, घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देना, निर्यात बढ़ाना तथा रोजगार पैदा करना है। गौरतलब है कि पीएलआई स्कीम के तहत पूर्व में सरकार द्वारा मोबाइल विनिर्माण और विशेषीकृत इलेक्ट्रॉनिक पुर्जे, फार्मा ड्रग्स एवं एपीआइ तथा चिकित्सा उपकरणों जैसे क्षेत्रों के लिए 51,311 करोड़ रुपये की घोषणा की जा चुकी है। अब जिन नए क्षेत्रों को पीएलआइ के दायरे में लाया गया है उसमें बैटरी, इलेक्ट्रॉनिक एवं तकनीकी उत्पादों, वाहनों और वाहन कलपुर्जा, औषधि, दूरसंचार एवं नेटवìकग उत्पाद, कपड़ा, खाद्य उत्पादों, सोलर पीवी मॉड्यूल, एयर कंडीशनर, एलईडी और विशेषीकृत स्टील शामिल हैं। इन सभी क्षेत्रों को पांच साल के लिए पीएलआइ का लाभ दिया जाएगा।

उल्लेखनीय है कि मैन्यूफैक्चरिंग हब बनने के लिए जरूरी आर्थिक और औद्योगिक सुधारों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तेजी से आगे बढ़ाया है। वाणिज्य-व्यापार की सरलता, कॉरपोरेट टैक्स, आयकर, जीएसटी तथा कृषि के क्षेत्र में असाधारण सुधार किए हैं, निर्यात बढ़ाने तथा ब्याज दरों में बदलाव जैसे अनेक क्षेत्रों में रणनीतिक कदम उठाए हैं। ग्रामीण क्षेत्र में बुनियादी ढांचा विकसित करने का जोरदार काम भी किया है। निवेश और विनिवेश के नियमों में परिवर्तन भी किए गए हैं। ऐसे उद्योग-कारोबार अनुकूल परिवेश में मैन्यूफैक्चरिंग हब बनने के सपने को साकार करने में अब नए श्रम कानून अहम भूमिका निभा सकते हैं।

गौरतलब है कि केंद्र सरकार 29 श्रम कानूनों को चार श्रम संहिताओं में तब्दील करने की महत्वाकांक्षी योजना को आकार देने में सफल रही है। सरकार ने इंडस्टियल रिलेशन कोड 2020, ऑक्यूपेशनल सेफ्टी, हेल्थ एंड वìकग कंडीशंस कोड 2020, कोड ऑन सोशल सिक्योरिटी, 2020 और वेतन संहिता कोड 2019 के तहत जहां एक ओर मजदूरी सुरक्षा, स्वास्थ्य सुरक्षा एवं सामाजिक सुरक्षा मुहैया कराने का दायरा काफी बढ़ाया है, वहीं दूसरी ओर श्रम कानूनों की सख्ती कम करने और अनुपालन की जरूरतों को कम करने जैसी व्यवस्थाओं से उद्योग लगाने के लिए प्रोत्साहन मिलेंगे। इससे रोजगार सृजन में भी मदद मिलेगी।

निश्चित रूप से जहां नए श्रम कानूनों से श्रमिक वर्ग के लिए कई लाभ दिखाई दे रहे हैं, वहीं उद्यमियों के कारोबार को आसान बनाने के लिए कई प्रावधान भी लाए गए हैं। उद्यमियों को यूनिट चलाने के लिए अब सिर्फ एक पंजीयन कराना होगा। सभी प्रकार के श्रम संबंधी संहिता के पालन को लेकर सिर्फ एक रिटर्न दाखिल करना होगा। अभी आठ प्रकार के रिटर्न दाखिल करने पड़ते हैं। जिस तरह वियतनाम, बांग्लादेश तथा अन्य देश लचीले श्रम कानूनों से मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में बहुत आगे बढ़ गए हैं, उसी तरह भारत भी अब नए श्रम कानूनों से मैन्यूफैक्चरिंग हब बनने की डगर पर आगे बढ़ सकेगा, लेकिन भारत को मैन्यूफैक्चरिंग हब बनाने के लिए कुछ अन्य ऐसे सुधारों की भी जरूरत है, जिससे कारखाने की जमीन, परिवहन और औद्योगिक उपभोक्ताओं के लिए बिजली की लागत आदि को कम किया जा सके।

इसके साथ-साथ कर तथा अन्य कानूनों की सरलता भी जरूरी होगी। शोध, नवाचार और वैश्विक प्रतिस्पर्धा के मापदंडों पर आगे बढ़ना होगा। अर्थव्यवस्था को डिजिटल करने की रफ्तार तेज करनी होगी। हमें अपनी बुनियादी संरचना में व्याप्त अकुशलता एवं भ्रष्टाचार पर नियंत्रण कर अपने प्रोडक्ट की उत्पादन लागत कम करनी होगी। इन विभिन्न प्रयासों के साथ-साथ एक नया जोरदार प्रयास यह भी करना होगा कि जो कंपनियां चीन से अपने निवेश निकालकर अन्य देशों में जाना चाहती हैं, उनको भारत में निवेश के लिए आमंत्रित करने के लिए भारत सरकार को विशेष संपर्क अभियान और तेज करना होगा।

(लेखक अर्थशास्त्री हैं)

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