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कैफे कॉफी डे की जांच में 3,535 करोड़ की हेराफेरी उजागर, आयकर विभाग को क्लीन चिट

कॉफी डे समूह के मालिक वीजी सिद्धार्थ की आत्महत्या मामले की जांच में पता चला है कि उनकी निजी कंपनियों द्वारा मूल कंपनी से 3535 करोड़ की रकम का हस्तांतरण किया गया था।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Sat, 25 Jul 2020 06:06 AM (IST)Updated: Sat, 25 Jul 2020 06:06 AM (IST)
कैफे कॉफी डे की जांच में 3,535 करोड़ की हेराफेरी उजागर, आयकर विभाग को क्लीन चिट

नई दिल्ली, पीटीआइ। कॉफी डे समूह (Cafe Coffee Day Group) के मालिक वीजी सिद्धार्थ की कथित आत्महत्या मामले (VG Siddhartha suicide case) की छानबीन में पता चला है कि उनकी निजी कंपनियों द्वारा मूल कंपनी से 3,535 करोड़ की रकम का हस्तांतरण किया गया था। इस जांच के बाद आयकर विभाग को एक तरह से क्लीन चिट मिल गई है, क्योंकि उस पर सिद्धार्थ की मानसिक प्रताड़ना का आरोप लगाया जा रहा था।

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सीबीआइ के पूर्व डीआइजी अशोक कुमार मल्होत्रा की अगुआई में हुई जांच की रिपोर्ट में कहा गया है कि सिद्धार्थ की मैसूर एमल्गमेटेड कॉफी एस्टेट्स लिमिटेड (Mysore Amalgamated Coffee Estates Ltd, MACEL) के पास कॉफी डे एंटरप्राइज लिमिटेड (Coffee Day Enterprise Ltd, CDEL) की सहायक कंपनियों का 3,535 करोड़ रुपये बकाया है।

ऑडिट के विवरण के अनुसार 31 मार्च, 2019 को एमएसीईएल पर सीडीईएल की सहायक कंपनियों का 842 करोड़ रुपये का बकाया दिखाया गया। इस तरह 2,693 करोड़ रुपये की राशि इन्क्रीमेंटल आउटस्टैंडिंग के तौर पर मान ली गई। जांच में पाया गया कि इस रकम को एमएसीईएल से हासिल करने के लिए सीडीईएल ने प्रक्रिया शुरू कर दी।

एमएसीईएल से बकाया वसूली के लिए सुझाव और कार्यों की देखरेख करने के लिए कंपनी बोर्ड ने अपने चेयरमैन को सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट के पूर्व जज को नियुक्त करने के लिए अधिकृत किया। जांच में सामने आया है कि सिद्धार्थ ने अपनी कंपनी और उसकी सहायक कंपनियों के लिए कर्ज लेने के लिए अपनी निजी संपत्ति और शेयर को गिरवी रखा था।

जांच रिपोर्ट में कहा गया कि ऐसा कोई दस्तावेजी सुबूत नहीं मिला जिससे यह अनुमान लगाया जा सके कि आयकर विभाग (Incometax department) की ओर से सिद्धार्थ को जाने-अनजाने प्रताडि़त किया गया हो। हालांकि वित्तीय रिकॉर्ड की पड़ताल से पता चलता है कि आयकर विभाग द्वारा माइंड ट्री के शेयर अटैच करने से कंपनी के समक्ष एक खास अवधि में पूंजी तरलता का गंभीर संकट पैदा हो गया था।


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