ब्रेन डेड पति 'मंजीत' को जिंदा रखेगी 'राखी'
मंजीत, उम्र महज 38 साल, ब्रेन हेमरेज हुआ। अस्पताल ले गए तो डॉक्टरों ने उन्हें ब्रेन डेड घोषित कर दिया। यानी दिमागी तौर पर मंजीत की मौत हो चुकी थी। परिजन उसकी सांसों के लिए दुआ कर रहे थे। सबका हौसला टूट रहा था, ऐसे में पत्नी ने हिम्मत दिखाई,
इंदौर। मंजीत, उम्र महज 38 साल, ब्रेन हेमरेज हुआ। अस्पताल ले गए तो डॉक्टरों ने उन्हें ब्रेन डेड घोषित कर दिया। यानी दिमागी तौर पर मंजीत की मौत हो चुकी थी। परिजन उसकी सांसों के लिए दुआ कर रहे थे। सबका हौसला टूट रहा था, ऐसे में पत्नी ने हिम्मत दिखाई, घरवालों को मनाया और चंद मिनटों में ही केडेबर ट्रांसप्लांट का फैसला लिया। मंजीत की दोनों किडनियां, आंखें सहित अन्य अंग दान किए जाएंगे। मंजीत की मां बोली 'अब मेरा बेटा चार लोगों में फिर जी उठेगा।'
उज्जैन की शास्त्री कॉलोनी में रहने वाले मंजीतसिंग की बुधवार दोपहर अचानक तबीयत बिगड़ गई। परिजन उन्हें लेकर निजी अस्पताल पहुंचे तो पता चला कि उन्हें ब्रेन हेमरेज हुआ है। उन्हें उज्जैन से इंदौर के गोकुलदास अस्पताल रेफर किया गया। देर शाम परिजन मंजीत को लेकर यहां पहुंचे।
थक गई इलाज की कोशिशें
गोकुलदास अस्पताल में डॉक्टर रातभर मंजीतसिंग की स्थिति में सुधार के लिए प्रयास करते रहे, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। बृहस्पतिवार सुबह उन्हें ब्रेन डेड घोषित कर दिया। डॉक्टरों ने परिजन को बताया कि मंजीत की सांसें तो चल रही हैं, लेकिन दिमाग ने काम करना बंद कर दिया है। हालत सुधरने की संभावना नहीं है। इतना सुनते ही परिवार में कोहराम मच गया। पत्नी राखी ने इन पलों में भी न सिर्फ परिवार को संभाला, बल्कि केडेबर ट्रांसप्लांट का मुश्किल निर्णय लिया। राखी ने बताया कि शुरुआत में परिवार के बुजुर्ग इसका विरोध कर रहे थे, लेकिन जब उन्हें अहसास हुआ कि बेटे की मौत के बावजूद वे उन्हें चार लोगों में जिंदा देख सकेंगे, इसके बाद वे तैयार हो गए। परिजन मंजीत को लेकर चोइथराम अस्पताल पहुंचे। जहां किडनी, आंखें और अन्य अंग जरूरतमंदों को प्रत्यारोपित किए जाएंगे।
9 साल पहले शादी, 7 साल का बेटा
राखी ने बताया कि मंजीत एक निजी कंपनी में ऑफिस इंचार्ज के रूप में काम करते थे। लगभग 9 साल पहले हमारा विवाह हुआ था। 7 साल का एक बेटा करमेल है। केडेबर ट्रांसप्लांट का निर्णय लेने में राखी के माता-पिता ने भी सहयोग किया।
मंजीतसिंग की किडनी की मैचिंग के बाद प्रत्यारोपण की प्रक्रिया शुरू की गई हैं। अन्य अंगों के प्रत्यारोपण भी किए जाएंगे। -डॉ. प्रदीप सालगिया, नेफ्रोलॉजिस्ट, चोइथराम हॉस्पिटल
ट्रांसप्लांट के दौरान वेंटिलेटर पर चलती हैं सांसें
टीम के सदस्य डॉ. चेतन्य एरन के अनुसार, मरीज को ब्रेन डेड घोषित करने के बाद भी वेंटिलेटर की मदद से सांसें चलती रहती हैं। इस स्थिति में शरीर के अंग तो सुरक्षित रहते हैं, लेकिन दिमाग काम नहीं करता। केडेबर ट्रांसप्लांट के दौरान वेंटिलेटर को चालू रखा जाता है, ताकि अंगों को नुकसान ना पहुंचे। केडेबर ट्रांसप्लांट पूरा होते ही वेंटिलेटर बंद कर दिया जाता है। इसके बाद शरीर डिकंपोज होना शुरू हो जाता है।
[साभार: नई दुनिया]