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भाजपा के बुजुर्गों ने बढ़ाया राजनीतिक तापमान

दिल्ली में मौसम का पारा भले ही नीचे गिर गया हो, लेकिन राजनीतिक गर्मी बढ़ गई है। संसद के भीतर विपक्षी हमले से जूझ रही भाजपा के लिए सत्र समाप्त होने के बाद उसके बुजुर्ग नेताओं की बैठक नई मुसीबत बन सकती है।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Thu, 24 Dec 2015 08:12 PM (IST)Updated: Thu, 24 Dec 2015 08:40 PM (IST)
भाजपा के बुजुर्गों ने बढ़ाया राजनीतिक तापमान

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। दिल्ली में मौसम का पारा भले ही नीचे गिर गया हो, लेकिन राजनीतिक गर्मी बढ़ गई है। संसद के भीतर विपक्षी हमले से जूझ रही भाजपा के लिए सत्र समाप्त होने के बाद उसके बुजुर्ग नेताओं की बैठक नई मुसीबत बन सकती है। बिहार विधानसभा चुनाव में मिली करारी शिकस्त के बाद मार्गदर्शक मंडल में शामिल ये बुजुर्ग नेता पार्टी नेतृत्व की कार्यप्रणाली पर खुलकर सवाल उठा चुके हैं।

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क्रिसमस की पूर्व संध्या पर लालकृष्ण आडवाणी खुद मुरली मनोहर जोशी के घर पहुंचे। शांता कुमार और यशवंत सिन्हा भी थोड़ी देर में वहां पहुंच गए। चारों नेताओं की लगभग एक घंटे तक चली मुलाकात के कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। बताया तो यह भी जा रहा है कि बैठक में भाजपा से सांसद कीर्ति आजाद के निलंबन पर भी चर्चा हुई। लेकिन बैठक में शामिल एक बुजुर्ग नेता ने कहा कि कीर्ति आजाद इतने बड़े नेता नहीं हैं कि हम उनकी चिंता करें। वहीं कीर्ति आजाद के समर्थकों का कहना है कि बुजुर्ग नेताओं की बैठक से उत्साहित सांसद उनसे मिलने की तैयारी कर रहे हैं।

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वैसे तो बैठक के बारे में बुजुर्ग नेता खुलकर बोल नहीं रहे हैं। लेकिन दशकों तक देश की राजनीति में अहम किरदार निभाने वाले इन नेताओं में से एक शांता कुमार ने दैनिक जागरण से बातचीत में कहा 'हम सबने गाजर का गरमागरम हलवा खाया और चाय पी।' उनसे जब पूछा गया कि संसद सत्र समाप्त हो गया है वो शिमला कब तक जाएंगे, तो उनका कहना था 'शिमला में तो बहुत ठंड है, गर्म तो दिल्ली है।' संकेत साफ है कई दशकों तक देश की राजनीति को दिशा देने वाले ये बुजुर्ग नेता केवल बैठक कर चुप बैठने वाले नहीं हैं।

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गौरतलब है कि बिहार विधानसभा चुनाव के बाद इन बुजुर्ग नेताओं ने भाजपा के मौजूदा नेतृत्व की कार्यशैली पर सवाल उठाया था। बयान के छिटपुट विरोध के बाद भाजपा ने बुजुर्ग नेताओं के सुझावों पर विचार करने का भरोसा दिया था। संसद सत्र शुरू होने के चलते संसद के भीतर की राजनीति से इस मुद्दे को बचाने के लिए इन नेताओं ने चुप्पी साध ली थी। अब सत्र समाप्त होने के बाद माना जा रहा है कि ये नेता पार्टी के भीतर इस मुद्दे को फिर जीवित कर सकते हैं। इस बार भी भाजपा नेता अपने बुजुर्गों की बैठक पर कुछ भी बोलने से परहेज कर रही है। इस संबंध में पूछे जाने पर पार्टी के राष्ट्रीय सचिव श्रीकांत शर्मा ने कहा कि बैठक में भाग लेने वाले सभी वरिष्ठ नेता है और पार्टी उनके नेतृत्व में भी ही यहां तक पहुंची है।

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