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कोलकाता: सम्मेलन के दौरान कन्हैया कुमार का विरोध, BJP कार्यकर्ताओं ने फेंके अंडे

एआईएसएफ के नेता कन्हैया कुमार पर कोलकाता में सम्मेलन के दौरान सड़े अंडे फेंके गए।

By Manish NegiEdited By: Published: Fri, 09 Sep 2016 12:35 AM (IST)Updated: Fri, 09 Sep 2016 02:42 AM (IST)
कोलकाता: सम्मेलन के दौरान कन्हैया कुमार का विरोध, BJP कार्यकर्ताओं ने फेंके अंडे

कोलकाता, (पीटीआई)। ऑल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन (एआईएसएफ) के नेता कन्हैया कुमार को गुरुवार को यहां भाजपा कार्यकर्ताओं के विरोध प्रदर्शन का सामना करना प़़डा, जब वह एक सम्मेलन में वक्ता के रूप में शामिल होने जा रहे थे।

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पुलिस ने कहा कि कन्हैया की कार महाजति सदन पहुंची तो भाजपा कार्यकर्ताओं ने नारेबाजी करते हुए कन्हैया पर स़़ड़े अंडे फेंकना शुरू कर दिए। उन्होंने कन्हैया पर राष्ट्रविरोधी गतिविधियों का आरोप लगाया और उनकी निंदा की। महाजति सदन में एआईएसएफ और एआईवाईएफ ने संयुक्त रूप से सम्मेलन आयोजित किया था।

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जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया को क़़डी सुरक्षा के बीच किसी तरह उत्तरी कोलकाता के महाजति सदन ऑडिटोरियम में अंदर ले जाया गया। इस घटनाक्रम से व्यस्त सेंट्रल एवेन्यू पर यातायात बाधित हो गया। पुलिस ने कहा कि तीन महिलाओं समेत दस प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया गया है। सम्मेलन को संबोधित करते हुए कन्हैया ने केंद्र पर असहिष्णुता का आरोप लगाया और हैदराबाद में दलित शोध छात्र रोहित वेमुला की खुदकुशी का जिक्र किया। कन्हैया ने पश्चिम बंगाल में तत्कालीन वाम मोर्चा सरकार द्वारा सिंगुर में भूमि अधिग्रहण पर सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले पर संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि किसानों की सहमति के बिना उनसे जमीन लेना गलत है।

उन्होंने कहा, 'मैं भूमि अधिग्रहण के पूरी तरह खिलाफ नहीं हूं, अन्यथा उद्योग नहीं लगेंगे। लेकिन किसानों की सहमति के बिना उनकी जमीन नहीं ली जानी चाहिए।' जब कन्हैया से पूछा गया कि क्या वह सिंगूर में तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष ममता बनर्जी के चलाए आंदोलन का समर्थन करते हैं तो उन्होंने कहा, 'मैं किसी व्यक्ति विशेष का समर्थन नहीं करता। कोई एक व्यक्ति आंदोलन या क्रांति नहीं कर सकता। जनता करती है, ना कि नेता या कोई एक व्यक्ति। समाज में सामूहिक प्रयासों से बदलाव लाए जाते हैं।'

तत्कालीन वाम मोर्चा सरकार द्वारा सिंगुर में जबरन भूमि अधिग्रहण के खिलाफ तृणमूल कांग्रेस के आंदोलन के चलते टाटा समूह को अपनी नैनो कार परियोजना को गुजरात के साणंद ले जाना प़़डा था। देश में वामपंथी आंदोलन का समर्थन आधार कम होने के बारे में कन्हैया ने कहा कि वामपंथी पार्टियों को आंदोलनों के बीच रहना होगा और जनता की साझेदारी ब़़ढानी होगी।

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