झारखंड में बिहार का प्रयोग दोहराने की कवायद
बिहार विधानसभा की 10 सीटों के उप चुनाव के दौरान बने समीकरण को झारखंड में आजमाने की कोशिश चल रही है। जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव की कोशिश को कांग्रेस और राजद का समर्थन मिलने की उम्मीद है। दो दिनों से पटना में कैंप कर रहे शरद ने शुक्रवार को उम्मीद जाहिर की कि जदयू, राजद और कांग्रे
जागरण ब्यूरो, पटना। बिहार विधानसभा की 10 सीटों के उप चुनाव के दौरान बने समीकरण को झारखंड में आजमाने की कोशिश चल रही है। जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव की कोशिश को कांग्रेस और राजद का समर्थन मिलने की उम्मीद है।
दो दिनों से पटना में कैंप कर रहे शरद ने शुक्रवार को उम्मीद जाहिर की कि जदयू, राजद और कांग्रेस का गठबंधन झारखंड में भाजपा को चुनौती देगा। बिहार विधानसभा के उप चुनाव में इन तीन दलों की दोस्ती को महागठबंधन का नाम दिया गया था। इसका असर पड़ा। 10 में छह सीटें तीन दलों के हिस्से आ गईं। इसी फार्मूले के आधार पर झारखंड में भाजपा से मुकाबले की रणनीति बन रही है। कांग्रेस और झामुमो के बीच दोस्ती की गुंजाइश खत्म हो चुकी है। महागठबंधन में पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी की अगुआइ वाले झारखंड विकास मोर्चा के भी शामिल होने पर स्थिति साफ नहीं है।
झारखंड चुनाव के संबंध में शुक्रवार को जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष की पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से बातचीत हुई। वैसे, राजद की कोशिश है कि गठबंधन में झामुमो को शामिल किया जाए। राजद अपने लिए 15-16 सीटों की मांग कर रहा है। उसके हिसाब से जदयू को पांच से सात सीटें दी जा सकती हैं। वह बाकी सीटों पर झामुमो और कांग्रेस के चुनाव लड़ने के पक्ष में है। अगर राजद का फार्मूला चलता है तो प्रस्तावित गठबंधन से झाविमो अलग हो जाएगा। झामुमो को लेकर जदयू को भी परहेज नहीं है।
2000 में नीतीश कुमार की अगुआई में बनी एक सप्ताह की सरकार में झामुमो शामिल था। बाद के दिनों में भी झामुमो शिबू सोरेन और पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बीच अच्छा संबंध कायम रहा।
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