नक्सलगढ़ के बच्चे गोलियां नहीं, दागते हैं दनादन गोल, BSP चला रहा मुहिम
वर्तमान में दो हजार से ज्यादा स्कूली खिलाड़ियों में करीब 600 बेटियां हैं जो एथलेटिक्स और फुटबॉल में प्रतिभा दिखा रही हैं। बीएसपी इन पर सालाना करीब 30 लाख रुपये खर्च करता है।
अजमत अली, भिलाई। छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित क्षेत्र रावघाट और इसके आसपास के 64 गांवों के बच्चों की खेल प्रतिभा को भिलाई इस्पात संयंत्र (बीएसपी) निखार रहा है। यहां के 40 से अधिक बच्चे फुटबॉल, वॉलीबॉल, बैडमिंटन और खो-खो में राष्ट्रीय स्तर पर रहे हैं। जंगल में करीब 40 किलोमीटर अंदर रहने वाले जो बच्चे पहले इन खेलों के बारे में जानते तक नहीं थे, अब गोल्ड, सिल्वर और कांस्य पदक जीत रहे हैं।
हाल ही में यहां के बच्चों ने शालेय वॉलीबॉल की राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में गोल्ड जीता है। संतोष ट्रॉफी के लिए भी इनका चयन हुआ है। बीएसपी का उद्देश्य क्षेत्र का विकास और शिक्षा व खेल के जरिये इन बच्चों को मानसिक रूप से इतना मजबूत बनाना है, जिससे वे मुख्यधारा से भटकें ना। नक्सलगढ़ से निकले ये बच्चे आज गोलियां नहीं, मैदान में दनादन गोल दागते हैं तो हर किसी का सीना चौड़ा हो जाता है।
शिक्षा, प्रशिक्षण, रहना-खाना सब नि:शुल्क उपलब्ध कराता है बीएसपी
बीएसपी ने वर्ष 2006 से नारायणपुर के रामकृष्ण मिशन आश्रम मैदान में खेल मेला आयोजित करना शुरू किया था। यह सिलसिला अब भी जारी है। यहां विभिन्न खेलों में आठवीं से 12वीं तक की कक्षाओं से निकली प्रतिभाओं को वह गोद ले लेता है। इसके बाद उन्हें शिक्षा, प्रशिक्षण, रहना-खाना सब कुछ नि:शुल्क उपलब्ध कराता है। खेल में आगे बढ़ने पर नौकरी के रास्ते भी निकल आते हैं।
दो हजार खिलाड़ियों में करीब 600 बेटियां
वर्तमान में दो हजार से ज्यादा स्कूली खिलाड़ियों में करीब 600 बेटियां हैं, जो एथलेटिक्स और फुटबॉल में प्रतिभा दिखा रही हैं। बीएसपी इन पर सालाना करीब 30 लाख रुपये खर्च करता है। 17 वर्षीय सुरेश कुमार फुटबॉल का स्टार खिलाड़ी है। एशियन स्कूल गेम्स में इंडिया टीम में अपना लोहा मनवाने पर सिक्किम यूनाइटेड टीम ने उससे कांट्रैक्ट किया है। इस बार छत्तीसगढ़ से संतोष ट्रॉफी में वह खेला है। इतना ही नहीं, इंटरनेशनल सुब्रतो कप में भी उसने दनादन गोल दागे हैं।
बीएसपी इसलिए चला रहा मुहिम
रावघाट में लौह अयस्क खदानें हैं, जिन्हें करीब 50 साल तक खनन के लिए बीएसपी ने लीज पर ले रखा है। खनन शुरू करने से पहले वह यहां की तस्वीर बदलना चाहता है। यहां के बच्चों को आगे बढ़ाना चाहता है, जिससे कि समाज की मुख्यधारा से भटककर वह नक्सलवाद की राह पर न बढ़ें।
नक्सलियों ने पिता को उतारा था मौत के घाट
वर्ष 2004 में बीजापुर के भैरमगढ़ तहसील के सरपंच और एक अन्य की हत्या नक्सलियों ने की थी। मां ने बच्चों का भविष्य बनाने के लिए उन्हें वनवासी आश्रम भेज दिया। बीएसपी के राजहरा स्थित आश्रम में मनोज करताम, अर्जुन कर्मा और जयराम कर्मा को रखकर पढ़ाया जा रहा था। वर्ष 2015 में इन्हें सेल अकादमी में रखा गया। जयराम बीजापुर लौटकर शिक्षा की रोशनी फैला रहा है। अर्जुन सेल अकादमी में हैमर थ्रो में अंतरराष्ट्रीय पदक लाने की तैयारी कर रहा है। मनोज स्पोट्र्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (साई) में तैयारियों में जुटा है। नक्सल प्रभावित इन बच्चों के नाम 15 से ज्यादा नेशनल खेलने की उपलब्धियां हैं।
रावघाट में भिलाई इस्पात संयंत्र खनन शुरू करने वाला है। इससे जहां देश को मजबूती मिलेगी, वहीं क्षेत्र का विकास भी होगा। बीएसपी की मुहिम रंग ला रही है और खेल के क्षेत्र में प्रतिभाएं निखर रही हैं। खेल के लिए बीएसपी पूरी तरह से मदद करता रहेगा।
-अनिर्बान दास गुप्ता, सीईओ, बीएसपी
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