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भारत से शरण मांगेंगे बलूच नेता बुगती

पाकिस्तान से बलूचिस्तान को आजादी दिलाने की लड़ाई लड़ रहे वहां के सबसे ब़़डे अलगाववादी नेता बरहम दाग बुगती ने अब भारत में शरण लेने का मन बनाया है।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Tue, 20 Sep 2016 05:32 AM (IST)Updated: Tue, 20 Sep 2016 05:41 AM (IST)
भारत से शरण मांगेंगे बलूच नेता बुगती

नई दिल्ली(ब्यूरो)। कश्मीर में आतंकवाद को ब़़ढावा देने में कोई कसर नहीं छोड़ने वाले पाकिस्तान की स्थिति बलूचिस्तान को लेकर और खराब हो सकती है। पाकिस्तान से बलूचिस्तान को आजादी दिलाने की लड़ाई लड़ रहे वहां के सबसे ब़़डे अलगाववादी नेता बरहम दाग बुगती ने अब भारत में शरण लेने का मन बनाया है। बुगती बलूचिस्तान के सबसे लोकप्रिय राष्ट्रवादी नेता अकबर खान बुगती के पोते हैं और पिछले छह सालों से जिनेवा में निर्वासन की जिंदगी बसर कर रहे हैं।

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जिनेवा में सोमवार को अपनी पार्टी 'बलूचिस्तान रिपब्लिकन पार्टी' की बैठक के बाद उन्होंने भारत में राजनीतिक शरण लेने के फैसले का एलान किया। हालांकि, भारत ने आधिकारिक तौर पर उनके फैसले पर कोई प्रतिक्रिया नहीं जताई है। विदेश मंत्रालय सूत्रों के मुताबिक, भारत मानता है कि बलूचिस्तान में पाकिस्तान सरकार का रवैया दमनकारी है। वहां के लोगों के मानवाधिकार का हनन हो रहा है। ऐसे में बलूचिस्तान में वहां के राजनीतिक हालात से परेशान कोई भी व्यक्ति भारत में शरण मांग सकता है। माना जा रहा है कि भारत बुगती के आवेदन पर जल्दबाजी में कोई फैसला नहीं करेगा।

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हां, फिलहाल बुगती को भारत आने और यहां बलूचिस्तान की स्थिति पर सेमिनार आदि में हिस्सा लेने की अनुमति दी जा सकती है। हाल ही में कई बलूच नेताओं ने दिल्ली की यात्रा की है। पिछले कई वषर्षो से दुनिया के विभिन्न शहरों में बलूचिस्तान के हालात को लेकर प्रदर्शन आदि करने वाले बुगती और उनके साथियों ने पिछले एक महीने से अपनी आवाज और बुलंद की है। माना जा रहा है कि इसके पीछे पीएम नरेंद्र मोदी का स्वतंत्रता दिवस पर दिया गया संबोधन था जिसमें किसी भारतीय प्रधानमंत्री ने पहली बार बलूचिस्तान के लोगों की पी़़डा का जिक्र किया था।

इस संबोधन के बाद से ही पाकिस्तान तिलमिलाया हुआ है। दुनिया भर में बलूचिस्तान के पक्ष में प्रदर्शन हो रहे हैं। वैसे इन प्रदर्शनों में काफी कम लोग होते हैं। ऐसे में बलूच नेता बुगती को अगर भारत राजनीतिक शरण देता है तो प़़डोसी देश की बेचैनी और ब़़ढ जाएगी।

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