बालकृष्ण का दावा, 'स्वाइन फ्लू का आयुर्वेद में उपचार संभव'
आयुर्वेदाचार्य आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि स्वाइन फ्लू से डरने या घबराने की जरूरत नहीं है। इसका कारगर इलाज घर-घर में मौजूद है। थोड़ी सी सतर्कता बरतने, आदतों में सुधार और रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत कर इस रोग पर आसानी से काबू पाया जा सकता है। आचार्य बालकृष्ण ने
हरिद्वार, जागरण संवाददाता। आयुर्वेदाचार्य आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि स्वाइन फ्लू से डरने या घबराने की जरूरत नहीं है। इसका कारगर इलाज घर-घर में मौजूद है। थोड़ी सी सतर्कता बरतने, आदतों में सुधार और रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत कर इस रोग पर आसानी से काबू पाया जा सकता है।
आचार्य बालकृष्ण ने दैनिक जागरण से बातचीत में कहा कि आयुर्वेद में स्वाइन फ्लू का जो उपचार है उसके लिए व्यक्ति को किसी चिकित्सक के पास भी जाने की जरूरत नहीं है। वह इसे घर पर ही तैयार कर सकता है। इसके उपचार में इस्तेमाल होने वाली नीम, लौंग, दालचीनी, गिलोय और तुलसी आम भारतीय घरों की रसोई में उपलब्ध रहते हैं। इसके निश्चित मात्रा में बने मिश्रण से तैयार काढ़े का सेवन करने से न सिर्फ इस बीमारी से बचा जा सकता है, बल्कि इस बीमारी से पीडि़त व्यक्ति को पूर्णत: स्वस्थ भी किया जा सकता है। उन्होंने दावा किया कि कुछ लोग देश में स्वाइन फ्लू का डर पैदा कर रहे हैं।
आचार्य बालकृष्ण ने बताया कि स्वाइन ïफ्लू के उपचार को बनाने वाले मिश्रण के लिए 100 ग्राम नीम, 100 ग्राम गिलोय, 50 ग्राम तुलसी पत्ता, 25 ग्राम लौंग और 50 ग्राम दालचीनी को लेकर इन्हें आपस में मिला कर इनका पाउडरनुमा मिश्रण तैयार लें। इसके बाद इस मिश्रण के 5 ग्राम भाग को लेकर 400 मिली लीटर स्वच्छ पानी में लेकर तब तक पकायें जब तक कि वह 100 मिली लीटर रह जाए। इसके बाद इसे ठंडा कर बंद बोतल में रख लें।
तैयार काढ़े को तीन बराबर भागों में विभक्त कर सुबह, दोपहर और शाम नियमित सेवन करने से स्वाइन फ्लू का खतरा नहीं रहता। आचार्य बालकृष्ण का दावा है कि स्वाइन फ्लू से पीडि़त व्यक्ति इसका लगातार सेवन करने से जल्द स्वस्थ हो जाता है। बच्चों को यह मात्रा छह बराबर भागों में विभक्त कर देना लाभप्रद रहेगा। स्वाइन फ्लू प्रभावित बच्चे को बड़ों के बराबर ही खुराक देना लाभप्रद रहेगा।