मकान, दुकान सहित अन्य निर्माण शुरू कर चुके लोगों के लिए बुरी खबर, रेत से जुड़ा है मामला
मानसून जल्द आने के कारण छह दिन ही खदानों में उत्खनन कर पाए ठेकेदार। राजधानी में छोटे विक्रेताओं के पास रेत खत्म 65 से 70 रपये फीट तक दाम जा सकते हैं।
भोपाल, जेएनएन। प्रदेश में मकान, दुकान सहित अन्य निर्माण शुरू कर चुके लोगों के लिए बुरी खबर है। रेत के दाम अभी और रुलाएंगे। बारिश जल्द आने से ठेकेदार रेत का भंडारण नहीं कर पाए, इसलिए पिछले दो माह से रेत इकट्ठी कर रहे बिचौलियों का साम्राज्य कायम रहेगा और रेत के दाम 65 से 70 रपये फीट तक जाने की आशंका है। वर्तमान में रेत दो से ढाई गुना अधिक दाम में बिक रही है। हालात यह हैं कि छोटे निर्माण कार्यो के लिए बाजार में रेत मिल ही नहीं रही है।
दिसंबर 2019 में खनिज विभाग ने बोली लगाकर 19 जिलों में तीन साल के लिए लीज पर खदान लेने वाले ठेकेदारों को 12 जून तक खदानें सौंपी थीं। विभाग पांच से 11 जून के बीच ठेकेदारों को खदानें सौंपने की ताब़़डतो़़ड कार्यवाही करता रहा। जानकार बताते हैं कि जिन ठेकेदारों को उत्खनन की अनुमति मिल गई। उन्होंने 12 जून से उत्खनन कर रेत का भंडारण शुरू किया था और 16 जून से प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में बारिश शुरू हो गई।
राजधानी और आसपास के जिलों में रेत उपलब्ध कराने वाले होशंगाबाद, सीहोर और रायसेन जिले में चार दिन पहले करीब डे़़ढ घंटे तेज बारिश हुई है। इसका असर खदानों और खदानों तक जाने वाले रास्तों पर प़़डा है। रास्तों में कीच़़ड होने से जहां डंपर खदानों तक नहीं पहुंच पा रहे हैं, वहीं कुछ खदानों में पानी भी भर गया है।
कम हो पाया है भंडारण
सूत्र बताते हैं कि 12 से 16 जून तक चार दिन में प्रदेशभर में ठेकेदार 18 लाख घनमीटर रेत का ही भंडारण कर पाए हैं। जबकि हर माह करीब 12 लाख घनमीटर रेत की जरूरत होती है। ऐसे में ठेकेदारों ने जो रेत का भंडारण किया है, वह अधिकतम डे़़ढ माह ही चल पाएगी और फिर पूरा बाजार बिचौलियों के हाथों में होगा। ज्ञात हो कि वर्तमान में 50 से 60 रपये फीट में रेत बिक रही है। वह भी सिर्फ ब़़डे विक्रेताओं के पास है।
पिछले साल ही तय हो गई थी दामों में ब़़ढोतरी
रेत के दामों में ब़़ढोतरी तो पिछले साल तभी तय हो गई थी, जब कमल नाथ सरकार ने छह गुना अधिक दाम में रेत खदानें नीलाम की थीं। रही--सही कसर ठेकेदारों और खनिज विभाग के अधिकारियों की लापरवाही ने पूरी कर दी। लॉकडाउन में रेत नहीं बिकेगी। यह सोचकर ठेकेदारों ने मार्च से मई तक उत्खनन शुरू नहीं किया। उन्हें डर था कि खदान की सुपुर्दगी लेते ही सरकार पैसा मांगना शुरू कर देगी और फिलहाल रेत बिकना नहीं है। वे छूट मिलने की कोशिशों में लगे रहे और रेत का संकट ख़़डा हो गया। इसके लिए विभाग के अधिकारी भी पूरी तरह से जिम्मेदार हैं। उन्हें बाजार की स्थिति देखते हुए व्यवस्था बनानी थी पर वह प्रदेश के सियासी संग्राम के मजे लेते रहे।
सरकार के पास कोई योजना नहीं
रेत को लेकर इतनी हायतौबा के बाद भी सरकार के पास दाम कम कराने की कोई योजना नहीं है। सरकार ने सिर्फ ठेकेदारों को खदानें सौंपकर जनता को अपने हाल पर छो़़ड दिया है। अब चाहे बिचौलिए ठगी करें या ठेकेदार, सरकार को कोई लेना--देना नहीं है। इस संबंध में खनिज विभाग के सचिव सुखवीर सिंह को मोबाइल फोन लगाया गया, लेकिन उन्होंने फोन ही नहीं उठाया।
ऐसे ब़़ढे रेत के दाम
वषर्ष ---- दाम
2016 ---- 18 से 19 रपये
2017 ---- 20 से 22 रपये
2018 ---- 21 से 25 रपये
2019 ---- 24 से 48 रपये
2020 ---- 28 से 60 रपये ([मई अंत तक)]
([नोट-- दाम प्रति फीट के हिसाब से)]