विधानसभा चुनाव के जरिए गोवा का ‘वानरमारे’ समुदाय आया सामने
आम जिंदगी से कोसों दूर जंगलों में बंदरों को भगाने वाले वानरमारे समुदाय ने पहली बार गोवा विधानसभा चुनाव में अपने मताधिकार का उपयोग किया है।
पणजी (प्रेट्र)। गोवा के वानरमारे समुदाय ने 4 फरवरी को राज्य विधानसभा चुनाव में पहली बार मतदान किया। गोवा के जंगलों में रहने वाला यह समुदाय काफी पिछड़ा हुआ है और हैरानी की बात की इनके पास किसी तरह का डॉक्यूमेंट भी नहीं। इस बार के विधानसभा चुनाव में पहली बार इन्हें शिरोदा विधानसभा क्षेत्र में कतार में लगा हुआ देखा गया।
एग्रीकल्चर एक्सपर्ट व समाजसेवी कार्यकर्ता सचिन तेंदुलकर, भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारी सचिन शिंदे व वकील वसुधा सवाइकर समेत अन्य द्वारा दो सालों के अथक प्रयास के फलस्वरूप यह परिणाम मिला है।
गोवा-कर्नाटक और महाराष्ट्र के जंगलों में बंदरों को भगाने की अपनी पुरानी परंपरा का निर्वाह करने के कारण इस समुदाय का नाम ‘वानरमारे’ है जो अलग और एकांतप्रिय है। अब इस समुदाय ने गन्ने के खेत में काम के लिए अपना यह पारंपरिक काम छोड़ दिया है।
तेंदुलकर ने बताया, ‘एक धनुष और बाण की ये पूजा करते हैं। बंदरों को भगाने का काम छोड़ने के बाद इन्होंने खेत में काम करना शुरू कर दिया। लेकिन इनके लिए मुख्यधारा में शामिल होने का सपना काफी दूर है।‘
केंद्र सरकार की खाद्य सुरक्षा योजना के तहत साउथ गोवा के जिला अधिकारी सचिन शिंदे इस समुदाय के लिए बड़ी मदद लेकर आए और इन्हें राशन कार्ड के साथ आधार कार्ड भी मुहैया कराया। इस समुदाय के 35 लोगों ने बैंक अकाउंट भी खुलवाया। उनकी जीवन में बड़ा बदलाव अब आया जब 40 सदस्यों को वसुधा की मदद से वोटर आइडी कार्ड मिला।
गोवा के मुख्य निर्वाचन अधिकारी कुणाल ने बताया, ‘इस समुदाय को मुख्यधारा में लाने के लिए इन्हें मतदान में शामिल करने का काम एक अच्छी उपलब्धि है। ऐसे लोगों के लिए इस तरह के प्रयासों का हम स्वागत करेंगे।‘