सेना में सुधार शुरू, सैन्य क्षमता बढ़ाने पर जोर
भारत ने अपनी सेना में बड़े सुधारों की प्रक्रिया तेज कर दी है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। ऐसे समय जब दो अहम पड़ोसी देशों पाकिस्तान और चीन के साथ सैन्य तनाव लगातार बढ़ रहे हैं, भारत ने अपनी सेना में बड़े सुधारों की प्रक्रिया तेज कर दी है। एक तरफ भारतीय सेना के लिए आवश्यक अस्त्र-शस्त्र की खरीदारी की प्रक्रिया को तेज की गई है तो दूसरी तरफ से सेना के अनावश्यक व अप्रासांगिक हो चुके विभागों को बंद किया जा रहा है। एक ही तरह के काम में लगे तमाम विभागों को एक साथ मिलाया जा रहा है। इससे तकरीबन 57 हजार अधिकारियों, जेसीओ और ओआर को ज्यादा उपयोगी कामों में लगाया जा सकेगा।
रक्षा मंत्री अरुण जेटली ने इसके लिए लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर) डॉ. डीबी शेखाटकर समिति की कई सिफारिशों को लागू करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। जेटली ने बताया कि समिति ने 99 मुख्य सिफारिशें दी थी जिसमें से 65 को लागू की जा रही हैं। सरकार का यह फैसला न सिर्फ रक्षा बजट के बेहतर इस्तेमाल का रास्ता साफ करेगा बल्कि सेना में 'टीथ टू टेल रेसियो' को सुधारेगा।
जेटली ने इन कदमों को आजादी के बाद भारतीय सेना में उठाया गया सबसे अहम कदम बताया। 'टीथ टू टेल रेसियो' सेना में इस्तेमाल होने वाला एक टर्म है जिसका मतलब होता है कि सीमा पर तैनात हर एक सिपाही के लिए आवश्यक समान पहुंचाने या उसके सहयोग के लिए तैनात अन्य लोगों का अनुपात।
सुधार के लिए उठाये जा रहे कदमों में शांति वाले क्षेत्रों में सेना के मिलिट्री फार्म को बंद करने का भी है। इससे 39 मिलिट्री फार्म (पशुपालन केंद्र) को तत्काल बंद किया जा रहा है। इन केंद्रों को राज्य सरकारों या भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद को भी सौंपा जा सकता है।
साथ ही मिलिट्री के पोस्टल विभाग को भी बंद किया जाएगा। एनसीसी को और सशक्त बनाया जाएगा ताकि इसकी क्षमता को बेहतर बनाया जा सके। सेना में लिपिकों व ड्राइवरों की योग्यता के स्तर को बेहतर किया जा रहा है। तमाम सिग्नल रेजिमेंट को एक साथ किया जा रहा है। उक्त सारे सुधार 31 दिसंबर, 2019 तक पूरे कर लिये जाएंगे।
जेटली से यह पूछा गया कि क्या सरकार यह फैसला डोकलाम विवाद को देखते हुए कर रही है तो उनका जवाब था कि समिति का गठन पहले ही हुआ था और इसकी सिफारिशों पर डोकलाम विवाद से पहले से विचार हो रहा है। वैसे जेटली ने डोकलाम विवाद सुलझने के मुद्दे पर कोई अलग से बयान नहीं दिया। उन्होंने कहा कि सरकार का रुख विदेश मंत्रालय की तरफ से जारी बयान में जताया जा चुका है। अलग से विचार जताने की जरुरत नहीं है।
यह भी पढ़ें : धमकी से समझौते तक डोकलाम पर डील की अंदर की कहानी