माली हमला: लौट कर आने का वादा करके गई थी अनीता पर नहीं लौटी वापस
अफ्रीकी देश माली के एक होटल रेडिसन पर शुक्रवार को हुए आतंकवादी हमले में मारे गए लोगों में एक भारतीय मूल की महिला भी शामिल थी। उच्चशिक्षा प्राप्त 41 वर्षीय अनीता स्वास्थय और शिक्षा के क्षेत्र में काम करने वाली एक अंतरराष्ट्रीय कंपनी से जुड़ी थीं। उसको म्यूजिक सुनना बेहद
पुणे। अफ्रीकी देश माली के एक होटल रेडिसन पर शुक्रवार को हुए आतंकवादी हमले में मारे गए लोगों में एक भारतीय मूल की महिला भी शामिल थी। उच्चशिक्षा प्राप्त 41 वर्षीय अनीता स्वास्थय और शिक्षा के क्षेत्र में काम करने वाली एक अंतरराष्ट्रीय कंपनी से जुड़ी थीं। उसको म्यूजिक सुनना बेहद पंसद था और यदि उसे किसी से सबसे अधिक लगाव था तो वह अपने काम से ही था। शुक्रवार का दिन अनीता के परिजनों के बेहद बुरा साबित हुआ।
पुणे अनीता के माता-पिता का गृह नगर है। उसको जानने वाले बताते हैं कि जब वह कुछ माह पहले यहां पर आई थी तब उन्होंने तीन साल बाद दोबारा आने का वादा किया था। उस वक्त वह पुणे अपने बेटे के साथ आई थीं और कुछ समय अपने रिश्तेदारों के यहां पर बिताया था। अनीता के माता-पिता 60 के दशक में अमेरिका चले गए थे। अनीता के अंकल किशोर ने बताया कि उसकी मौत की खबर उनके लिए किसी बुरे सदमे की ही तरह है।
उनकी मौत पर खुद अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन कैरी ने भी दुख व्यक्त किया था। अपने एक ट्वीट में उन्होंने कहा कि हम माली हमलों में मरी अमेरिकी अनीता दातार और दूसरे लोगों की मौत पर शोक व्यक्त करते हैं। हम परिवार और मित्रों से संवेदना जताते हैं और माली के अवाम के साथ खडे हैं। अमेरिकी विदेश मंत्रालय के माध्यम से जारी एक बयान में दातार के परिवार ने कहा कि वह इस खबर से दुखी हैं।
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अनीता के परिजनों के लिए भी यह समय बेहद मुश्किल था। परिजनों का कहना था कि उन्हें अब तक इस बात पर विश्वास नहीं हो रहा है कि अनीता अब उनके बीच नहीं है। वह वाशिंगटन डीसी के उपनगर मेरीलैंड के टकोमा पार्क में रहती थीं। अनीता स्वभाव से बेहद रहमदिल और उदार थीं। वह अपने परिवार और अपने काम से बेहद प्यार करती थी।
उन्होंने कोलंबिया यूनिवर्सिटी के जोसफ मेलमैन स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ और स्कूल ऑफ इंटरनेशनल ऎंड पब्लिक अफेयर्स से एमपीएच और एमपीए किया। अनीता ने 1997 से ले कर 1999 तक पीस कोर के साथ सेनेगल में काम किया। उन्होंने आबादी और प्रजनन स्वास्थ्य, परिवार नियोजन एवं एचआईवी पर ध्यान केन्द्रित करते हुए अपने केरियर का ज्यादातर वक्त वैश्विक स्वास्थ्य एवं अंतरराष्ट्रीय विकास पर लगाया।
बामका के इस होटल में कुछ 19 लोग मारे गए थे। हमलावरों ने सौ से अधिक लोगों को बंधक बनाकर रखा था जिन्हें बाद में सकुशल छुड़ा लिया गया।
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