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राज्यों को भारी पड़ेगी किसानों की कृषि कर्ज माफी: आरबीआइ

किसानों की कर्ज माफी राज्यों के लिए आर्थिक तौर पर बेहद नुकसानदेह साबित हो सकती है। 75 हजार करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Tue, 13 Jun 2017 04:08 AM (IST)Updated: Tue, 13 Jun 2017 04:08 AM (IST)
राज्यों को भारी पड़ेगी किसानों की कृषि कर्ज माफी: आरबीआइ

जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। पहले उत्तर प्रदेश और अब महाराष्ट्र देश के दो सबसे बड़े कृषि प्रधान राज्यों में किसानों पर बकाये कर्ज की माफी के बाद दूसरे राज्यों में भी इस तरह की मांग उठने लगी है। किसानों के हितों की बात करने वाले संगठन कई राज्यों में सड़क पर उतर आए हैं। लेकिन, जानकारों का कहना है कि किसानों की कर्ज माफी इन राज्यों के लिए आर्थिक तौर पर बेहद नुकसानदेह साबित हो सकती है। खास तौर पर तब जब जीएसटी के असर की अनिश्चितता है और बिजली क्षेत्र की उदय योजना के तहत राज्यों पर पहले से ही 4.50 लाख करोड़ रुपये का बोझ पड़ चुका है।

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प्रमुख अर्थशास्त्री और आरबीआइ के निदेशक बोर्ड के सदस्य राजीव कुमार का कहना है कि किसानों के कर्ज को माफ करना कभी-कभी आजमाया जाने वाला उपाय हो सकता है। लेकिन, मौजूदा माहौल में इसकी उपयोगिता को लेकर चिंता है। क्या राज्यों की तरफ से हो रही कर्ज माफी से उनकी स्थिति ठीक हो सकती है? इसका जवाब है कि नहीं। दो वर्ष बाद किसानों की तरफ से फिर कर्ज माफी की मांग उठेगी। राज्यों को बताना चाहिए कि इतनी बड़ी राशि का बोझ वे अपने खजाने पर कैसे डालेंगे। इस तरह के कदम आगे चल कर राज्यों की राजकोषीय घाटे की स्थिति को बेहद चिंताजनक बना सकते हैैं।
राजीव कुमार की बात इसलिए भी सही दिखती है कि अभी तक कर्ज माफी की घोषणा करने वाले राज्यों-उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र पर 75 हजार करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा। बैंक ऑफ अमेरिका मेरिल लिंच ने कहा है कि भारत में जिस तरह से राजनीति हो रही है, उसे देखते हुए 2019 तक 2,47,000 करोड़ रुपये (40 अरब डॉलर) का कृषि कर्ज माफ किया जा सकता है। बैंक का कहना है कि वर्ष 2019 का आम चुनाव करीब आते ही यह मुद्दा और गरम हो सकता है। जाहिर है कि यह सारा बोझ अंतत: राज्यों को ही उठाना पड़ेगा।
देश की एक रेटिंग कंपनी ने अनुमान लगाया है कि राज्य सरकारों की तरफ से किसानों के कर्ज माफी के फैसले आने वाले कई वर्षों तक इनकी वित्तीय स्थिति को प्रभावित करते रहेंगे। वर्ष 2017-18 में राज्यों ने राजकोषीय घाटे को संयुक्त तौर पर 1.53 फीसद पर सीमित करने का लक्ष्य रखा है। यह कर्ज माफी के बोझ की वजह से बढ़ कर 2.71 फीसद हो सकता है। राज्यों पर कर्ज का बोझ 16.2 फीसद से बढ़ कर 17.44 फीसद हो सकता है।
इन आर्थिक एजेंसियों की बात सच नजर आती है। खास तौर तब जब महाराष्ट्र के फैसले के बाद अन्य राज्य सरकारें भी इसकी तैयारियों में जुट गई हैैं। पंजाब ने कहा है कि वह कृषि कर्ज माफी पर 15 जून, 2017 के बाद फैसला करेगा। कर्नाटक के मुख्यमंत्री ने कहा है कि अगर केंद्र मदद कर दे वे सभी किसानों की कर्ज माफी को तैयार हैं।

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