नीतीश और आडवाणी ने मिलाए हाथ, छलका प्रेम भाव
कुछ दिन पहले नीतीश कुमार ने भाजपा के 'लौहपुरुष' पर जंग लगने की टिप्पणी भले ही की हो, लेकिन आमना-सामना हुआ तो लालकृष्ण आडवाणी और नीतीश एक-दूसरे से दोस्ती दिखाने से नहीं चूके। दिल्ली में सोमवार को राष्ट्रीय एकता परिषद की बैठक के दौरान नी
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। कुछ दिन पहले नीतीश कुमार ने भाजपा के 'लौहपुरुष' पर जंग लगने की टिप्पणी भले ही की हो, लेकिन आमना-सामना हुआ तो लालकृष्ण आडवाणी और नीतीश एक-दूसरे से दोस्ती दिखाने से नहीं चूके। दिल्ली में सोमवार को राष्ट्रीय एकता परिषद की बैठक के दौरान नीतीश अपनी जगह से उठकर आडवाणी से मिलने गए।
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भाजपा में प्रधानमंत्री उम्मीदवारी के लिए कार्यकर्ता और ज्यादातर नेता जहां नरेंद्र मोदी का नारा लगा रहे थे। वहीं, बतौर राजग सहयोगी नीतीश, आडवाणी की पैरवी करते रहे थे। मोदी की उम्मीदवारी तय होने के बाद नीतीश ने कहा था कि भाजपा ने अपने लौहपुरुष को जंग लगने के लिए छोड़ दिया है। गोवा में भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में मोदी को चुनाव अभियान समिति का अध्यक्ष बनाए जाने के बाद आडवाणी ने पार्टी की कुछ समितियों से इस्तीफा दे दिया था। नीतीश ने भी तभी राजग से नाता तोड़ लिया था। सोमवार को जब दोनों नेताओं का आमना-सामना हुआ तो नीतीश अपनी जगह से उठकर आए। दोनों नेताओं ने हाथ मिलाए। आडवाणी ने नीतीश के कंधे पर हाथ भी रखा। हालांकि यह मुलाकात बहुत छोटी थी, लेकिन वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में इसे दिलचस्पी से देखा जा रहा है।
आडवाणी की सोमनाथ यात्रा पर असमंजस
करीब ढाई दशक में शायद पहली बार ऐसा होगा जब आडवाणी 25 सितंबर को सोमनाथ का दर्शन करने नहीं जाएंगे। 1990 में 25 सितंबर को ही उन्होंने पहली रथयात्रा निकाली थी। तब से वह हर साल इस दिन सोमनाथ दर्शन के लिए जाते हैं। 25 सितंबर को सोमनाथ ट्रस्ट की बैठक भी है। आडवाणी के साथ नरेंद्र मोदी और केशूभाई पटेल भी इसके सदस्य हैं। संयोगवश 25 को ही भोपाल में भाजपा की बड़ी रैली है जिसमें मोदी के साथ आडवाणी भी शामिल होंगे।
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