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सब्सिडी बढ़ने से पड़ा 3.25 लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ, वित्त मंत्रालय ने संसद में पेश की अनुपूरक मांगे

वित्त मंत्रालय ने वर्ष 2022-23 में 3.25 लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त खर्चे के लिए संसद से मंजूरी मांगी है। शुक्रवार को इस संदर्भ में लोकसभा में अनुपूरक मांगों वाली विधेयक पेश की गई। उर्वरक और खाद्य सब्सिडी में भारी वृद्धि के कारण बजटीय अनुमान से ज्यादा खर्च हुआ है।

By Jagran NewsEdited By: Sonu GuptaPublished: Fri, 09 Dec 2022 10:55 PM (IST)Updated: Fri, 09 Dec 2022 10:55 PM (IST)
सब्सिडी बढ़ने से पड़ा 3.25 लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ, वित्त मंत्रालय ने संसद में पेश की अनुपूरक मांगे
सब्सिडी बढ़ने से पड़ा 3.25 लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। वित्त मंत्रालय ने वर्ष 2022-23 में 3.25 लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त खर्चे के लिए संसद से मंजूरी मांगी है। शुक्रवार को इस संदर्भ में लोकसभा में अनुपूरक मांगों वाली विधेयक पेश की गई। बजटीय अनुमान से ज्यादा खर्च होने के पीछे मुख्य कारण उर्वरक और खाद्य सब्सिडी में भारी वृद्धि का होना है। वित्त मंत्रालय की तरफ से पेश संबंधित विधेयक के मुताबिक इस वित्त वर्ष बजटीय अनुमान से 1.09 लाख करोड़ रुपये की उर्वरक सब्सिडी देनी होगी जबकि गरीबों को मुफ्त राशन देने के लिए 80,348 करोड़ रुपये का इंतजाम करना पड़ रहा है।

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वित्त मंत्री ने लगया था कुल व्यय 39.45 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान

मालूम हो कि सरकार ने हाल ही में पीएम गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत दी जाने वाली मुफ्त राशन की अवधि तीन महीने बढ़ाकर 31 दिसंबर, 2022 तक कर दिया गया है। आम बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वर्ष 2022-23 में सरकार का कुल व्यय 39.45 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान लगाया था जबकि वर्ष 2021-22 में व्यय की कुल राशि 37.70 लाख करोड़ रुपये के करीब थी।

वित्त मंत्री ने रखा है 6.4 फीसद का राजकोषीय घाटे का लक्ष्य

चालू वित्त वर्ष के प्रत्यक्ष कर और अप्रत्यक्ष कर संग्रह सरकार के अनुमान से बेहतर होने की वजह से बढ़ी हुई सब्सिडी का सरकार के राजस्व संतुलन पर कोई बड़ा असर नहीं डालेगा। वित्त वर्ष के पहले छह महीनों में सरकार का राजस्व घाटा पूरे वर्ष के अनुमान का 45.6 फीसद रहा है। मौजूदा वित्त वर्ष के लिए वित्त मंत्री ने 6.4 फीसद का राजकोषीय घाटे का लक्ष्य रखा है, इसके पिछले वर्ष यह 6.7 फीसद था।

कोविड के कारण राजकोषीय घाटे का हिसाब किताब हुआ असमान्य

कोविड की वजह से राजकोषीय घाटे का पूरा हिसाब किताब असमान्य हो चुका है और माना जा रहा है कि आगामी बजट में वित्त मंत्री राजकोषीय संतुलन का रोडमैप पेश करेंगी। इसका उद्देश्य कुछ वर्षों में राजकोषीय घाटे को घटा कर तीन फीसद से नीचे लाना होगा। बहरहाल, वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी की तरफ से शुक्रवार को पेश विधेयक के मुताबिक कुल अतिरिक्त व्यय इस वर्ष 4.36 लाख करोड़ रुपये की होगी लेकिन इसमें से 1.10 लाख करोड़ रुपये का इंतजाम सरकारी विभागों में बचत करके की जाएगी।

इस तरह से वास्तविक तौर पर 3.25 लाख करोड़ रुपये की जरुरत होगी। 13,669 करोड़ रुपये का इंतजाम दूरसंचार मंत्रालय के लिए और 12 हजार करोड़ रुपये की राशि रेलवे मंत्रालय के लिए मांगी गई है। 24,943 करोड़ रुपये की राशि सरकार ने सरकारी तेल कंपनियों को एलपीजी सब्सिजी की भरपाई करने के लिए मांगी गई है। पीएम उज्ज्वला योजना के तहत सरकार गरीबों को मुफ्त में रसोई गैस कनेक्शन देती है। इसमें मनरेगा के लिए 16,400 करोड़ रुपये की अतिरिक्त धनराशि भी शामिल है। 14,979 करोड़ रुपये की राशि सड़क परियोजनाओं के संदर्भ में मांगा गया है।

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