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कृपाल सिंह की मौत पर भारत ने पाकिस्तान से मांगा जबाव

दिन ब दिन तनावग्र्रस्त हो रहे भारत-पाक के रिश्तों में कृपाल सिंह की मौत से और कड़वाहट घुलने के आसार हैैं। भारत ने आज स्पष्ट कर दिया कि वह पाकिस्तान के जेल में जासूसी के आरोप में बंद भारतीय कृपाल सिंह की मौत को लेकर चुप्प नहीं रहेगा।

By Gunateet OjhaEdited By: Published: Wed, 13 Apr 2016 04:25 PM (IST)Updated: Wed, 13 Apr 2016 07:57 PM (IST)
कृपाल सिंह की मौत पर भारत ने पाकिस्तान से मांगा जबाव

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। दिन ब दिन तनावग्र्रस्त हो रहे भारत-पाक के रिश्तों में कृपाल सिंह की मौत से और कड़वाहट घुलने के आसार हैैं। भारत ने आज स्पष्ट कर दिया कि वह पाकिस्तान के जेल में जासूसी के आरोप में बंद भारतीय कृपाल सिंह की मौत को लेकर चुप्प नहीं रहेगा। पाकिस्तान की तरफ से वैसे तो बताया गया है कृपाल सिंह की मौत दिल का दौरा पडऩे से हुई है, लेकिन भारत इस जबाव से संतुष्ट नहीं है। भारत ने कृपाल सिंह की मौत से जुड़े तमाम जानकारी, उनकी मेडिकल रिपोर्ट और पोस्टमार्टम रिपोर्ट की मांग की है। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने पाकिस्तान से कहा है कि वह कृपाल सिंह की मौत की पूरी जांच करवायें।

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कृपाल सिंह की मौत की खबर मिलने के बाद उनके परिवार के सदस्यों ने आज विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से भी मुलाकात की। स्वराज ने शोक संतप्त परिवार को दिलासा दिलाया कि सरकार कृपाल सिंह की मौत की पूरी जांच करवाने की मांग पाकिस्तान सरकार से करेगी। साथ ही कृपाल सिंह के मृत शरीर का भारत में भी पोस्टमार्टम किया जाएगा ताकि उनकी मौत के सही कारणों का पता लगाया जा सके। स्वराज ने इसके साथ ही पाकिस्तान में कैद भारतीय कैदियों की सही स्थिति जानने के लिए वहां पूर्व में गठित एक न्यायायिक आयोग को फिर से चालू करने की मांग की।

विदेश मंत्रालय ने आज सुबह ही इस्लामाबाद स्थित अपने कार्यकारी उच्चायुक्त जे पी सिंह को निर्देश दिया कि वह पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय कके अधिकारियों से मिल कर भारत के पक्ष को रखे। उसके कुछ देर बाद सिंह ने पाक विदेश मंत्रालय के महानिदेशक (दक्षिण एशिया) से मुलाकात की। इस बारे में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने बताया है कि पाकिस्तान की तरफ से यह सूचना दी गई है कि कृपाल सिंह की मौत 11 अप्रैल को दोपहर 2.45 बजे हुई है।

कृपाल सिंह पिछले 25 वर्षों से पाकिस्तान के जेल में बंद थे। उन पर वहां आतंकवादी गतिविधि चलाने का मामला दर्ज किया गया था। पाकिस्तान पंजाब की एक स्थानीय अदालत ने उन्हें सीरियल बम्ब ब्लास्ट मामले में दोषी करार देते हुए फांसी की सजा दी थी। लेकिन बाद में लाहौर उच्च न्यायालय ने उन्हें बम विस्फोट मामलों में बरी कर दिया था। हालांकि उन्हें कभी जेल से रिहा करने की कोशिश नहीं की गई। अपने परिवार को लिखे पत्र में वह हमेशा कोट लखपत जेल की खराब हालात के बारे में बताते थे। उनके परिवार के सदस्यों ने पूर्व में कई बार उनकी सुरक्षा को लेकर मुद्दा उठाते हुए केंद्र से उनकी रिहाई के लिए कदम उठाने की मांग की थी। लेकिन समय रहते विदेश मंत्रालय यह कराने में नाकाम रहा। अंतत: कृपाल सिंह भी सरबजीत सिंह की तरह ही मंौत के शिकार हो गए।

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