ये पैसा-पैसा करता है, पर पैसे पे नहीं मरता है
आज मुलाकात एक ऐसे शख्स से जो पैसा-पैसा तो करता है, लेकिन खास बात है कि वह पैसे पे मरता नहीं है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि यह शख्स पेशे से डॉक्टर है और इस नाते सेवा ही उनका लक्ष्य है, पर कहते हैं न कि शौक बड़ी चीज है। बस इसीलिए, ये जनाब भीड़ में अपनी अलग पहचान बना रहे हैं। यह हैं इकबाल नर्सिग होम के चीफ एडमि
लुधियाना [¨बदु उप्पल]। आज मुलाकात एक ऐसे शख्स से जो पैसा-पैसा तो करता है, लेकिन खास बात है कि वह पैसे पे मरता नहीं है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि यह शख्स पेशे से डॉक्टर है और इस नाते सेवा ही उनका लक्ष्य है, पर कहते हैं न कि शौक बड़ी चीज है।
बस इसीलिए, ये जनाब भीड़ में अपनी अलग पहचान बना रहे हैं। यह हैं इकबाल नर्सिग होम के चीफ एडमिनिस्ट्रेटर डॉ. जगजीत सिंह। डॉ. जगजीत को 786 नंबर और स्पेशल नंबर के नोट इकट्ठा करने का शौक है। इनके पास 786 नंबर के 50 नोट 1000 रुपये के, 150 नोट 500 रुपये के, 200 नोट 100 रुपये, 200 नोट 10 रुपये, 50 नोट 20 रुपये और 50 नोट 5 रुपये के हैं। डॉ. जगजीत ने अपने सभी दोस्तों, रिश्तेदारों आदि को भी कह रखा है कि उन्हें इस स्पेशल नंबर का नोट मिले तो वह उन्हें दे दें। जब भी किसी के पास 786 नंबर या स्पेशल डिजिट का नोट आता है तो वह उन्हें दे देते हैं।
गुरुनानक होम्योपैथिक कॉलेज के स्टूडेंट रहे डॉ. जगजीत सिंह ने बताया कि कॉलेज लाइफ के दौरान ही उन्होंने 786 नंबर के नोट इकट्ठे करने की शुरुआत की थी। डॉ. जगजीत सिंह ने बताया कि उन्होंने 786 नंबर का पहला नोट दस रुपये का रखा था।
60 वर्षीय डॉ. जगजीत सिंह के पास यूनिक नंबर 444444, 000000, 000002 के भी नोट हैं। वह विभिन्न देशों की करेंसी भी जमा कर रहे हैं। डॉ. जगजीत सिंह ने बताया कि 786 नंबर के कुछ नोट अपने पर्स में जरूर रखते हैं। डॉ. जगजीत सिंह लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज करवाना चाहते हैं।
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