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पतंगों के पेशे ने जगमोहन को दिलाई अंतरराष्ट्रीय पहचान

अमृतसर [रमेश शुक्ला 'सफर']। घर की छत पर पानी की टंकी पतंग की तरह। घर की कुर्सी-मेज से लेकर बेड भी पतंग के डिजाइन में। ड्राइंगरूम का शीशा पतंग जैसा तो गले में पहना सोने के लॉकेट में भी पतंग। कपड़ों में पतंग का डिजाइन। पतंग को अपनी जिंदगी की तरह प्यार करने वाले यह हैं जगमोहन कन्नौजिया। वैसे तो जगमोहन कन्नौजिया ने 1

By Edited By: Published: Sat, 21 Sep 2013 02:51 PM (IST)Updated: Sat, 21 Sep 2013 02:53 PM (IST)

अमृतसर [रमेश शुक्ला 'सफर']। घर की छत पर पानी की टंकी पतंग की तरह। घर की कुर्सी-मेज से लेकर बेड भी पतंग के डिजाइन में। ड्राइंगरूम का शीशा पतंग जैसा तो गले में पहना सोने के लॉकेट में भी पतंग। कपड़ों में पतंग का डिजाइन। पतंग को अपनी जिंदगी की तरह प्यार करने वाले यह हैं जगमोहन कन्नौजिया।

वैसे तो जगमोहन कन्नौजिया ने 1996 में रोजी-रोटी के संकट के चलते पतंग बनाने का काम शुरू किया था, लेकिन उनकी लगन और मेहनत ने जहां पतंगों ने उन्हें दो जून की रोटी दी, वहीं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान भी।

दुनिया की सबसे बड़ी 40 फुट व सबसे छोटी दो एमएम की पतंग बनाने का रिकार्ड उनके नाम है। अब तक कुल 14 रिकार्ड उनके नाम हो चुके हैं जिनमें 13 इंडिया बुक ऑफ व‌र्ल्ड रिकार्ड और एक लिम्का बुक ऑफ व‌र्ल्ड रिकार्ड शामिल है। यही नहीं, गिनीज बुक ऑफ व‌र्ल्ड रिकार्ड में नाम दर्ज करवाने के लिए रिकार्ड पर जांच-पड़ताल चल रही है, जबकि तीन दिन पहले ही उनके तीन रिकार्ड इंडिया बुक ऑफ व‌र्ल्ड रिकार्ड में दर्ज किए गए हैं।

जगमोहन कन्नौजिया के पिता ज्वाला प्रसाद कन्नौजिया शहर में ड्राई क्लीनर का काम करते थे। पिता की मौत के बाद सबसे बड़े बेटे जगमोहन कन्नौजिया के सिर पर सारी जिम्मेदारी आ पड़ी। दो छोटे भाई चंद्रमोहन व राकेश के साथ-साथ परिवार का खर्चा चलाने के लिए उन्होंने पतंग बनाने का काम 1996 में घर से ही शुरू किया।

जगमोहन कन्नौजिया व उनका परिवार जितनी भी पतंग बनाता उसे मार्केट से कम दामों में बेच आता। पतंग बेहद डिजाइन वाली बनाकर उसे हाथों-हाथ बेचने का आर्ट जगमोहन सीख चुका था। फिर क्या था, बेहतरीन डिजाइन वाली पतंग उसके आसमान पर छाने लगी। काम बढ़ा तो शहर से निकलकर पॉश इलाके बसंत एवेन्यू मार्केट में दुकान खोल ली। कुछ ही सालों में जगमोहन कन्नौजिया का दूसरा नाम ही पतंग पड़ गया।

जगमोहन को पतंग ही अपनी जिंदगी लगने लगी। पतंगों को उन्होंने जीवन में उतार लिया। जबकि कुछ कर गुजरने की धुन ऐसी सवार हुई कि आज उनके नाम 14 रिकार्ड दर्ज है, जल्द ही सबसे अधिक एक व्यक्ति के नाम सबसे अधिक इंडिया बुक ऑफ रिकार्ड में नाम दर्ज होने का एक और रिकार्ड जगमोहन कन्नौजिया के नाम हो सकता है।

इंडिया बुक ऑफ रिकार्ड व लिम्का बुक ऑफ व‌र्ल्ड में दर्ज रिकार्ड

2013 : बल्ब के अंदर सबसे छोटी पतंग बनाने का रिकार्ड।

2013 : दो लाख देशी व विदेशी बटनों के डिजाइन इकट्ठे करने का रिकार्ड।

2013 : एक माचिस की डिब्बी में सौ पतंगे बनाकर डिब्बी बंद करने का रिकार्ड।

2013 : 8 फुट ऊंची मूली का पेड़ उगाने का रिकार्ड।

2013 : एक अंग्रेजी गुलाब के पेड़ पर 127 गुलाब के फूल उगाने का रिकार्ड।

2012 : बल्ब में अमरूद का फल उगाने का रिकार्ड ।

2012 : आठ फुट ऊंचा भिंडी का पेड़ उगाने का रिकार्ड।

2012 : 32 फुट ऊंचा पपीते का पेड़ की लंबाई पहुंचाने का रिकार्ड। (यह रिकार्ड लिम्का बुक ऑफ व‌र्ल्ड रिकार्ड में भी दर्ज है)

2011 : दस हजार डिजाइनों की पतंग बनाने का रिकार्ड ।

2011: बल्ब के अंदर अंगूर के फल उगाने का रिकार्ड ।

2010 : दुनिया की सबसे बड़ी 40 फुट की पतंग बनाकर उड़ाने का रिकार्ड।

2009 : बीस फुट ऊंचा देशी गुलाब का पौधा उगाने का रिकार्ड।

2009 : एक साथ ग्यारह सौ पतंगे उड़ाने का रिकार्ड।

2008 : दुनिया की सबसे छोटी पतंग दो एमएम की बनाने का रिकार्ड।

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