1965 में टाइम मैगजीन ने माना था भारत को दुनिया में उभरती ताकत
भारत और पाकिस्तान के बीच 1965 का युद्ध कई मायनों में खास माना जाता है। उस समय टाइम मैगजीन ने लिखा था कि साफ हो गया है कि भारत अब दुनिया में नई एशियन ताकत बनकर उभर रहा है।
नई दिल्ली। भारत और पाकिस्तान के बीच 1965 का युद्ध कई मायनों में खास माना जाता है। इसको खास मानने की सबसे बड़ी वजह एक यह भी थी कि इस युद्ध आजादी के बाद पहली बार भारतीय सेना सीमा रेखा को पार कर पाकिस्तान के लाहौर तक पहुंच गई थी। इस लड़ाई में देश ने प्रधानमंत्री के तौर पर लाल बहादुर शास्त्री की कमाल की लीडरशीप भी देखी। छह सितंबर को भारत की ओर से इस युद्ध की शुरुआत की आधिकारिक घोषणा की गई। यह युद्ध 23 सितंबर 1965 को भारत की जीत के साथ खत्म हुआ था। उस समय टाइम मैगजीन ने लिखा था कि साफ हो गया है कि भारत अब दुनिया में नई एशियन ताकत बनकर उभर रहा है।
शास्त्री ने दिया था 'जय जवान-जय किसान' का नारा
शास्त्रीजी ने इस युद्ध में राष्ट्र को उत्तम नेतृत्व प्रदान किया। यही वह समय था जब उन्होंने 'जय जवान-जय किसान' का नारा दिया। इससे भारत की जनता का मनोबल बढ़ा और सारा देश एकजुट हो गया। इसकी कल्पना पाकिस्तान ने कभी सपने में भी नहीं की थी। इस लड़ाई के लिए रणनीति बनाने के लिए शास्त्री ने सेना को पूरे अधिकार दिए थे। उनका साफ तौर पर सेना प्रमुख से कहा कि सेना को देश की रक्षा करनी है वह बताएं कि उन्हें क्या करना है। इससे उत्साहित सेना ने भारतीय सेना ने संख्या में कम होेते हुए भी पाकिस्तान का डटकर मुकाबला किया और लाहौर तक पहुंच गई। इस अप्रत्याशित आक्रमण से घबराकर अमेरिका ने अपने नागरिकों को लाहौर से निकालने के लिये कुछ समय के लिये युद्धविराम की अपील की।
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17 दिनों तक चला था युद्ध
भारत और पाकिस्तान के बीच यह युद्ध 17 दिनों तक चला। दोनों ही पक्षों को जानमाल का काफी नुकसान उठाना पड़ा। 5 अगस्त 1965 को भारत के 26,000 और पाकिस्तान 33,000 सैनिकों ने लाइन ऑफ कंट्रोल को पार किया था। 15 अगस्त को भारतीय सैनिकों ने उस समय तय की हुई सीजफायर लाइन को पार कर डाला। इसके बाद पाकिस्तान ने एक सितंबर 1965 को ऑपरेशन ग्रैंड स्लैम के नाम से एक खास मिशन शुरू किया। इसका मकसद जम्मू के अखनूर सेक्टर को अपने कब्जे में लेना था। इसमें भारतीय सेना को काफी नुकसान भी पहुंचा था।