Election Duty: चुनाव ड्यूटी से बचने के लिए कई कर्मचारी बना रहे बहाना, कोई कह रहा पैर टूटा है... तो किसी को आया बुखार
लोकसभा चुनाव के मद्देनजर 13 हजार 300 सरकारी कर्मियों व पदाधिकारियों की चुनाव में ड्यूटी लगाई गई है और चुनावी ड्यूटी लगते ही अधिकतर मतदान पदाधिकारियों की बीमारियां बाहर आने लगी है। वे अपनी आम बीमारियों का जिक्र कर चुनावी ड्यूटी से मुक्ति पाना चाहते हैं। कई तो ऐसे हैं जिन्होंने बीमार होने का आवेदन दिया है लेकिन उन्हें अपनी बीमारी का पता ही नहीं है।
अनुज तिवारी, रांची। लोकसभा चुनाव को लेकर सरकारी कर्मियों व पदाधिकारियों की विभिन्न चुनावी कार्य के लिए लगभग 13 हजार 300 कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई है।
ड्यूटी लगते ही अधिकतर मतदान पदाधिकारियों की बीमारियां बाहर आने लगी है और वे अपनी पुरानी से लेकर आम बीमारियों का जिक्र करते हुए चुनावी ड्यूटी से मुक्ति पाना चाहते हैं। कई तो ऐसे हैं जो कमर दर्द, गर्दन दर्द, मधुमेह के कारण ही चुनाव कार्य से मुक्ति चाहते हैं।
कई ने बीमारी का ना पता होने पर भी किया आवेदन
कुछ तो सिर्फ बीमार होने का आवेदन दिया है, जिसमें कौन सी बीमारी का पता ही नहीं है। चुनाव ड्यूटी लगने के एक सप्ताह में ही कर्मियों के करीब 500 से अधिक आवेदन आए हैं। इसमें वे अपनी बीमारी की पीड़ा बताते हुए आराम करना चाहते हैं।
जबकि इनमें से अधिकतर कर्मचारी अभी भी सरकारी ड्यूटी कर रहे हैं, लेकिन चुनावी कार्य में अधिक भागदौड़ की बात बता रहे हैं जिसमें उनकी बीमारी बाधक बन रही है। बड़ी संख्या में आवेदन मिलने के बाद जिला निर्वाचन पदाधिकारी सह उपायुक्त राहुल कुमार सिन्हा ने इन सभी आवेदकों की मेडिकल जांच कराने के निर्देश दिए हैं ताकि बीमारियों की सच्चाई के बारे में पता चल सके।
मेडिकल बोर्ड में नहीं पहुंच रहे बीमार कर्मी
विभिन्न सरकारी कर्मचारियों के बीमारियों की जांच के लिए सिविल सर्जन ने मेडिकल बोर्ड का गठन किया है। इसमें सात डाक्टरों को रखा गया है। इतनी बड़ी टीम बनाने के आठ दिन बाद भी करीब 20 कर्मचारी ही अपनी जांच कराने पहुंचे हैं।
सिविल सर्जन डॉ. प्रभात कुमार ने बताया कि टीम गठन करने से लेकर मेडिकल ग्राउंड पर चुनाव से मुक्ति चाहने वाले कर्मियों को बुलाने की जानकारी जिला निर्वाचन पदाधिकारी को दे दी गई है।
लेकिन इसके बाद भी मेडिकल जांच कराने के लिए कर्मचारी आ रही नहीं रहे हैं। बहुत कम संख्या में लोग हर दिन पहुंच रहे हैं। जबकि जिला निर्वाचन कार्यालय में आवेदनों की संख्या बढ़ती जा रही है।
दायां पैर टूटा हुआ है, तो किसी को लकवा मार दिया है
निर्वाचन कार्यों से मुक्ति पाने के लिए कई तरह के मेडिकल कारण बताए गए हैं। जिसमें कुछ ने तो कैंसर से ग्रस्त होने तक की बात कही है। जबकि एक महिला ने अपना दायां पैर टूट जाने की बात लिखी है। इतना ही नहीं एक मतदान पदाधिकारी ने तो लकवा मार देने की बात लिख डाली है।
कोई सर्जरी, किडनी की समस्या, लीवर की समस्या, डायलिसिस कराने, मिर्गी बीमारी, 40 प्रतिशत तक दिव्यांगता, बीपी आदि बीमारियों को लिख कारण बताया है। हालांकि सभी आवेदनों के आधार पर सभी की मेडिकल जांच की जा रही है। बताया गया है कि जांच में जिन लोगों की समस्या सही पाई जाएगी उन्हें चुनावी फिल्ड वर्क से राहत मिल सकती है।
रांची निर्वाचन पदाधिकारी ने ये कहा
रांची के निर्वाचन पदाधिकारी सह उपायुक्त राहुल कुमार सिन्हा जिन कर्मियों ने निर्वाचन कार्य से अपने आप को मुक्त करने के लिए आवेदन दिया है, उसकी जांच मेडिकल बोर्ड कर रहा है। चुनावी कार्य से मुक्ति पाने के लिए जो भी कारण बताता है, उसकी जांच करना जरूरी है।
जांच में यह देखना होगा कि आखिर क्या वे सही में चुनावी कार्य में हिस्सा नहीं ले सकते हैं या जानकारी गलत दे रहे हैं। इसमें कोई बहाना चलेगा ही नहीं। जो बोर्ड के समक्ष उपस्थित नहीं हो रहे हैं, उनका आवेदन अस्वीकार कर दिया जाएगा और उन्हें हर हाल में चुनावी कार्य करना होगा।
निर्वाचन कार्य से विमुक्त होने के लिए आवेदन देने वाले कुछ कर्मचारी
नाम - कार्य - बीमारी
सुमित कुमार - पीठासीन पदाधिकारी - बाइलेट्रल क्लब फुट डिफोर्मिटी
मुकेश प्रसाद - सेक्टर मजिस्ट्रेट - स्कोलियोसिस
मनीष कुमार - द्वितीय चुनाव पदाधिकारी - घुटने में चोट चलने-फिरने में कठिनाई
शंकर दयाल सिंह - तृतीय चुनाव पदाधिकारी - लकवा से ग्रसित होने के कारण
शिवा खतरी - प्रथम चुनाव पदाधिकारी - कमर दर्द
इतवारी हस्सा - सेक्टर मजिस्ट्रेट - दायां पैर टूटा हुआ
उमेश चौधरी - तृतीय चुनाव पदाधिकारी - तबीयत खराब
धनश्याम प्रसाद - पीठासीन पदाधिकारी - पैरालाइसिस अटैक
नासिर अली - तृतीय चुनाव पदाधिकारी - तबीयत खराब हो जाने के कारण
रूखसाना परवीन - द्वितीय चुनाव पदाधिकारी - तबीयत ठीक नहीं होने के कारण
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